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गुरुवार, 19 मई 2011

खिलौना माटी का - जोली अंकल का नया लेख


'’ खिलोना माटी का ’’ 


एक लड़की मरने के बाद भगवान के द्वार पर पहुंची तो प्रभु उसे देख कर हैरान हो गये कि तुम इतनी जल्दी स्वर्गलोक में कैसे आ गई हो? तुम्हारी आयु के मुताबिक तो तुम्हें अभी बहुत उम्र तक धरती पर जीना था। उस लड़की ने प्रभु परमेष्वर को बताया कि वो किसी दूसरी जाति के एक लड़के से बहुत प्यार करती थी। जब बार-बार समझाने पर भी हमारे घरवाले इस षादी के लिये राजी नही हुए तो हमारे गांव के चंद ठेकेदारों ने हमें मौत का हुक्म सुना दिया। इससे पहले कि वो हमें जान से मारते हम दोनों ने अपनी जिंदगी को खत्म करने का मन बना लिया। भगवान ने हैरान होते हुए कहा लेकिन तुम्हारा प्रेमी तो कहीं दिखाई नही दे रहा, वो कहां है? जब दूसरे देवताओ ने मामले की थोड़ी जांच-पड़ताल की गई तो मालूम हुआ कि यह दोनों मौत को गले लगाने के लिये इक्ट्ठे ही एक पहाड़ी पर आये थे। जब लड़की कूदने लगी तो इसके प्रेमी ने यह कह कर आखें बंद कर ली कि प्यार अंधा होता है। अगले पल जब उसने देखा कि लड़की तो कूद कर मर गई है वो वहां से यह कह कर वापिस भाग गया कि मेरा प्यार तो अमर है, मैं काये को अपनी जान दू।

यह सारा प्रंसग सुनने के बाद वहां बैठे सभी देवताओं के चेहरे पर क्रोध और चिंता की रेखाऐं साफ झलकने लगी थी। काफी देर विचार विमर्ष के बाद यह तय हो पाया कि समय-समय पर जब कभी भी स्वर्गलोक में कोई इस तरह की अजीब समस्यां देखने में आती है तो नारद मुनि जी से ही परामर्ष लिया जाता है। सभी देवी-देवताओं की सहमति से परमपिता परमेष्वर ने उसी समय नारद मुनि को यह आदेष दिया कि हमने तो पृथ्वीलोक पर एक बहुत ही पवित्र आत्मा वाला षुद्व माटी का खिलोना बना कर भेजा था। लेकिन यह वहां पर कैसे-कैसे छल कपट कर रहा है। इसके बारे में खुद धरती पर जाकर जल्द से जल्द वहां का सारा विवरण हमें बताओ।

नारद जी प्रभु के हुक्म को सुनते ही नारायण-नारायण करते हुए वहां से धरती की और निकल पड़े। धरती पर पांव रखते ही उनका सामना उस बेवफा प्रेमी से हो गया जिसने उस लड़की को धोखा देकर मौत के मुंह में धकेल दिया था। वो षराब के नषे में टुन झूमता हुआ अपनी मस्ती में हिंदी फिल्म के एक गाने को गुनगुना रहा था कि मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिये। नारद मुनि जी को देखते ही वो षराबी उनसे बोला कि भाई तुम कौन? नारद जी ने कहा कि लगता है तुमने मुझे पहचाना नही। उस षराबी ने कहा कि यह दारू बड़ी कमाल की चीज है यह अपने सारे दुखो से लेकर दुनियां के सारे गम तक भुला देती है। नारद जी ने अपना परिचय देते हुए मैं स्वर्गलोक से आया हॅू। यह सुनते ही षराबी ने नारद जी की खिल्ली उड़ाते हुए से कहा कि फिर तो यहां मेरे साथ बैठो, मैं अभी आपके लिये दारू मंगवाता हॅू। नारद जी कुछ ठीक से समझ नही पाये कि यह किस चीज के बारे में बात कर रहा है। फिर भी उन्होने इसे कोई ठंडा पेयजल समझ कर बोतल मुंह से लगा कर कर एक ही घूंट में उसे खत्म कर डाला। षराबी बड़ा हैरान हुआ कि हमें तो एक बोतल को खत्म करने में 4-6 घंटे लग जाते है और यह कलाकार तो एक ही झटके में सारी बोतल गटक गया। उसने एक और बोतल नारद जी के आगे रख दी। अगले ही क्षण वो भी खाली होकर जमीन पर इधर-उधर लुढ़क रही थी। इसी तरह जब 4-6 बोतले और खाली हो गई तो उस षराबी ने नारद जी से पूछा कि तुम्हें यह दारू चढ़ती नही क्या? नारद जी ने कहा कि मैं भगवान हॅू, मुझे इस तरह के नषों से कुछ असर नही होता। अब उस षराबी ने लड़खड़ाती हुई जुबान में कहा कि अब घर जाकर आराम से सो जाओ तुम्हें बुरी तरह से दारू चढ़ गई है। वरना पुलिस वाले तुम्हें दो-चार दिन के लिए कृश्ण जी की जन्मभूमि पर रहने के लिये भेज देगे। नारद जी को बड़ा अजीब लगा कि यह दो टक्के का आदमी सभी लोगो के बीच मेरी टोपी उछाल रहा है। सब कुछ जानते हुए भी नारद जी ने इस षराबी को गुस्सा करने की बजाए इसी से धरती के हालात के बारे में विस्तार से जानना बेहतर समझा।

जब षराबी के साथ थोड़ी दोस्ती का महौल बन गया तो उसने बताना षुरू किया कि आज धरती पर चारों और भ्रश्टाचार का बोलबाला है। जहां देखो हर इंसान हत्या, बलात्कार और हैवानियत के डर से दहषत के महौल में जी रहा है। देष के नेता बापू, भगत सिंह जैसे महान नेताओ की षिक्षा को भूल कर सरकारी खज़ाने को अंदर ही अंदर खोखला कर रहे है। नेताओ के साथ उनके परिवार वालों का चरित्र भी ढीला होता जा रहा है। इतना सुनने के बाद नारद जी ने उस षराबी से कहा कि क्या आपके अध्यापकगण, गुरू या साधू-संत आप लोगो को धर्म की राह के बारे में कुछ नही समझाते। षराबी ने कहा कि आजकल के मटुक लाल जैसे अध्यापक खुद ही लव गुरू बने बैठे हैं बाकी रही साधू-संतो की बात तो स्वामी नित्यानंद जी जैसे संत खुद ही गेरूए वस्त्र धारण करके वासना की भक्ति में लीन पड़े हुए है। इंसान भगवान को भूलकर षैतान बनता जा रहा है, क्योंकि हर कोई यही सोचने लगाा है कि यदि भगवान होते तो क्या इस धरती पर यह सारे कुर्कम हो पाते?

नारद जी ने प्रभु का ध्यान करते हुए उस षराबी से कहा कि कौन कहता है कि भगवान इस धरती पर नही है? कौन कहता है कि भगवान बार-बार बुलाने पर भी नही आते? क्या कभी किसी ने मीरा की तरह उन्हें बुलाया है? आप एक बार उन्हें प्यार से पुकार कर तो देखो तो सही, भगवान न सिर्फ आपके पास आयेगे बल्कि आपके साथ बैठ कर खाना भी खायेगे। षर्त सिर्फ इतनी हैे कि आपके खाने में षबरी के बेरों की तरह मिठास और दिल में मिलन की सच्ची तड़प होनी चाहिये। भगवान तो हर जीव आत्मा के रूप में आपके सामने है लेकिन आप लोगो में कमी यह है कि आप हर चीज को उस तरह से देखना चाहते हो जो आपकी आखों को अच्छा लगता है। अब तक उस षराबी को नारद जी की जुबान से निकले एक-एक षब्द की पीढ़ा का अभास होने लगा था। जौली अंकल तो यही सोच कर परेषान हो रहे है कि इससे पहले कि नारद जी जैसे सम्मानित गुरू प्रभु परमेष्वर को जा कर धरती के बारे में यह बताऐं कि वहां मानव दानव बनता जा रहा है उससे पहले हर मानव को मानव की तरह जीना सीख लेना चाहिये ताकि भगवान द्वारा बनाया गया पवित्र, षुद्व और खालिस माटी का खिलोना फिर से मानवता को निखार सके।

मंगलवार, 3 मई 2011

Charlie Chaplin - a great commedian by Jolly Uncle


                                                                  ’’ कामेडी के मसीहा - चार्ली चैप्लिन ’’

वीरू के बेटे ने स्कूल से आते ही अपने पापा को बताया कि आज स्कूल में बहुत मजा आया। वीरू ने पूछा कि क्यूं आज पढ़ाई की जगह तुम्हें कोई कामेडी फिल्म दिखा दी जो इतना खुष हो रहे हो? वीरू के बेटे ने कहा कि कामेडी फिल्म तो नही दिखाई लेकिन हमारे टीचर ने आज कामेडी फिल्म के जन्मदाता चार्ली चैप्लिन के बारे में बहुत कुछ नई जानकारियां दी है।  पापा क्या आप जानते हो कि चार्ली चैप्लिन दुनियां के सबसे बड़े आदमियों में से एक थे। वीरू ने मजाक करते हुए कहा क्यूं वो क्या 12 नंबर के जूते पहनते थे? बेटे ने नाराज होते हुए कहा अगर आपको ठीक से सुनो तो मैं उनके बारे में बहुत कुछ बता सकता हॅू। जैसे ही वीरू ने हामी भरी तो उसके बेटे ने कहना षुरू किया कि हमारे टीचर ने बताया है कि चार्ली चैप्लिन का नाम आज भी दुनियां के उन प्रसिद्व हास्य कलाकारों की सूची में सबसे अवल नंबर पर आता है जिन्होने ने अपनी जुबान से बिना एक अक्षर भी बोले सारा जीवन दुनियां को वो हंसी-खुषी और आनंद दिया है जिसके बारे में आसानी से सोचा भी नही जा सकता। इस महान कलाकार ने जहां अपनी कामेडी कला की बदौलत चुप रह कर अपने जीते जी तो हर किसी को हसाया  वही आज उनके इस दुनियां से जाने के बरसों बाद भी हर पीढ़ी के लोग उनकी हास्य की इस जादूगरी को सलाम करते है। 16 अप्रेल 1889 को इंग्लैंड में जन्में इस महान कलाकार की सबसे बड़ी विषेशता यह थी कि लोग न सिर्फ उनके हंसने पर उनके साथ हंसते थे बल्कि उनके चलने पर, उनके रोने पर, उनके गिरने पर, उनके पहनावे को देख कर दिल खोल कर खिलखिलाते थे। अगर इस बात को यू भी कहा जाये कि उनकी हर अदा में कामेडी थी और जमाना उनकी हर अदा का दीवाना था तो गलत न होगा।

पांच-छह साल की छोटी उम्र में जब बच्चे सिर्फ खेलने कूदने में मस्त होते है इस महान कलाकार ने उस समय कामेडी करके अपनी अनोखी अदाओं से दर्षको को लोटपोट करना षुरू कर दिया था। चार्ली चैप्लिन ने अपने घर को ही अपनी कामेडी की पाठषला और अपने माता-पिता को ही अपना गुरू बनाया। इनके माता-पिता दोनो ही अपने जमाने के अच्छे गायक और स्टेज के प्रसिद्व कलाकार थे। एक दिन अचानक एक कार्यक्रम में इनकी मां की तबीयत खराब होने की वजह से उनकी आवाज चली गई। थियेटर में बैठे दर्षको द्वारा फेंकी गई कुछ वस्तुओं से वो बुरी तरह घायल हो गई। उस समय बिना एक पल की देरी किये इस नन्हें बालक ने थोड़ा घबराते हुए लेकिन मन में दृढ़ विष्वास लिये अकेले ही मंच पर जाकर अपनी कामेडी के दम पर सारे षो को संभाल लिया। उसके बाद चार्ली चैप्लिन ने जीवन में कभी भी पीछे मुड़कर नही देखा।

सर चार्ली चैप्लिन एक सफल हास्य अभिनेता होने के साथ-साथ फिल्म निर्देषक और अमेरिकी सिनेमा के निर्माता और संगीतज्ञ भी थे। चार्ली चैप्लिन ने बचपन से लेकर 88 वर्श की आयु तक अभिनय, निर्देषक, पटकथा, निर्माण और संगीत की सभी जिम्मेदारियों को बाखूबी निभाया। बिना षब्दों और कहानियों की हालीवुड में बनी फिल्मों में चार्ली चैप्लिन ने हास्य की अपनी खास षैली से यह साबित कर दिया कि केवल पढ़-लिख लेने से ही कोई विद्ववान नही होता। महानता तो कलाकार की कला से पहचानी जाती है और बिना बोले भी आप गुणवान बन सकते है। यह अपने युग के सबसे रचनात्मक और प्रभावषाली व्यक्तियों में से एक थे। इन्होनें सारी उम्र सादगी को अपनाते हुए कामेडी को ऐसी बुलदियों तक पहुंचा दिया जिसे आज तक कोई दूसरा कलाकार छू भी नही पाया। इनके सारे जीवन को यदि करीब से देखा जाये तो एक बात खुलकर सामने आती है कि इस कलाकार ने कामेडी करते समय कभी फूहड़ता का साहरा नही लिया। इसीलिये षायद दुनियां के हर देष में स्टेज और फिल्मी कलाकारों ने कभी इनकी चाल-ढ़ाल से लेकर कपड़ो तक और कभी इनकी खास स्टाईल वाली मूछों की नकल करके दर्षको को खुष करने की कोषिष की है।

हर किसी को मुस्कुराहट और खिलखिलाहट देने वाले मूक सिनेमा के आइकन माने जाने वाले इस कलाकार के मन में सदैव यही सोच रहती थी कि अपनी तारीफ खुद ही की तो क्या किया, मजा तो तभी है कि दूसरे लोग आपके काम की तारीफ करें। चार्ली चैप्लिन की कामयाबी का सबसे बड़ा रहस्य यही था कि इन्होने जीवन को ही एक नाटक समझ कर उसकी पूजा की जिस की वजह से यह खुद भी प्रसन्न रहते थे और दूसरों को भी सदा प्रसन्न रखते थे। इनके बारे में आज तक यही कहा जाता है कि इनके अलावा कोई भी ऐसा कलाकार नही हुआ जिस किसी एक व्यक्ति ने अकेले सारी दुनियां के लोगो को इतना मनोरंजन, सुख और खुषी दी हो। सारी बात सुनने के बाद वीरू ने कहा कि तुम्हारे टीचर ने चार्ली चैप्लिन के बारे में बहुत कुछ बता दिया लेकिन यह नही बताया कि उन्होने यह भी कहा था कि हंसी के बिना बीता हमारा हर दिन व्यर्थ होता है।

सर चार्ली चैप्लिन के महान और उत्साही जीवन से प्रेरणा लेते हुए जौली अंकल का यह विष्वास और भी दृढ़ हो गया है कि जो कोई सच्ची लगन से किसी कार्य को करते है उनके विचारो, वाणी एवं कर्मो पर पूर्ण आत्मविष्वास की छाप लग जाती है। कामेडी के मसीहा चार्ली चैप्लिन ने इस बात को सच साबित कर दिखाया कि कोई किसी भी पेषे से जुड़ा हो वो चुप रह कर भी अपने पेषे की सही सेवा करने के साथ हर किसी को खुषियां दे सकता है।
                                                                                                                             ’’ जौली अंकल ’’




’’ कामेडी के मसीहा - चार्ली चैप्लिन ’’

वीरू के बेटे ने स्कूल से आते ही अपने पापा को बताया कि आज स्कूल में बहुत मजा आया। वीरू ने पूछा कि क्यूं आज पढ़ाई की जगह तुम्हें कोई कामेडी फिल्म दिखा दी जो इतना खुष हो रहे हो? वीरू के बेटे ने कहा कि कामेडी फिल्म तो नही दिखाई लेकिन हमारे टीचर ने आज कामेडी फिल्म के जन्मदाता चार्ली चैप्लिन के बारे में बहुत कुछ नई जानकारियां दी है।  पापा क्या आप जानते हो कि चार्ली चैप्लिन दुनियां के सबसे बड़े आदमियों में से एक थे। वीरू ने मजाक करते हुए कहा क्यूं वो क्या 12 नंबर के जूते पहनते थे? बेटे ने नाराज होते हुए कहा अगर आपको ठीक से सुनो तो मैं उनके बारे में बहुत कुछ बता सकता हॅू। जैसे ही वीरू ने हामी भरी तो उसके बेटे ने कहना षुरू किया कि हमारे टीचर ने बताया है कि चार्ली चैप्लिन का नाम आज भी दुनियां के उन प्रसिद्व हास्य कलाकारों की सूची में सबसे अवल नंबर पर आता है जिन्होने ने अपनी जुबान से बिना एक अक्षर भी बोले सारा जीवन दुनियां को वो हंसी-खुषी और आनंद दिया है जिसके बारे में आसानी से सोचा भी नही जा सकता। इस महान कलाकार ने जहां अपनी कामेडी कला की बदौलत चुप रह कर अपने जीते जी तो हर किसी को हसाया  वही आज उनके इस दुनियां से जाने के बरसों बाद भी हर पीढ़ी के लोग उनकी हास्य की इस जादूगरी को सलाम करते है। 16 अप्रेल 1889 को इंग्लैंड में जन्में इस महान कलाकार की सबसे बड़ी विषेशता यह थी कि लोग न सिर्फ उनके हंसने पर उनके साथ हंसते थे बल्कि उनके चलने पर, उनके रोने पर, उनके गिरने पर, उनके पहनावे को देख कर दिल खोल कर खिलखिलाते थे। अगर इस बात को यू भी कहा जाये कि उनकी हर अदा में कामेडी थी और जमाना उनकी हर अदा का दीवाना था तो गलत न होगा।

पांच-छह साल की छोटी उम्र में जब बच्चे सिर्फ खेलने कूदने में मस्त होते है इस महान कलाकार ने उस समय कामेडी करके अपनी अनोखी अदाओं से दर्षको को लोटपोट करना षुरू कर दिया था। चार्ली चैप्लिन ने अपने घर को ही अपनी कामेडी की पाठषला और अपने माता-पिता को ही अपना गुरू बनाया। इनके माता-पिता दोनो ही अपने जमाने के अच्छे गायक और स्टेज के प्रसिद्व कलाकार थे। एक दिन अचानक एक कार्यक्रम में इनकी मां की तबीयत खराब होने की वजह से उनकी आवाज चली गई। थियेटर में बैठे दर्षको द्वारा फेंकी गई कुछ वस्तुओं से वो बुरी तरह घायल हो गई। उस समय बिना एक पल की देरी किये इस नन्हें बालक ने थोड़ा घबराते हुए लेकिन मन में दृढ़ विष्वास लिये अकेले ही मंच पर जाकर अपनी कामेडी के दम पर सारे षो को संभाल लिया। उसके बाद चार्ली चैप्लिन ने जीवन में कभी भी पीछे मुड़कर नही देखा।

सर चार्ली चैप्लिन एक सफल हास्य अभिनेता होने के साथ-साथ फिल्म निर्देषक और अमेरिकी सिनेमा के निर्माता और संगीतज्ञ भी थे। चार्ली चैप्लिन ने बचपन से लेकर 88 वर्श की आयु तक अभिनय, निर्देषक, पटकथा, निर्माण और संगीत की सभी जिम्मेदारियों को बाखूबी निभाया। बिना षब्दों और कहानियों की हालीवुड में बनी फिल्मों में चार्ली चैप्लिन ने हास्य की अपनी खास षैली से यह साबित कर दिया कि केवल पढ़-लिख लेने से ही कोई विद्ववान नही होता। महानता तो कलाकार की कला से पहचानी जाती है और बिना बोले भी आप गुणवान बन सकते है। यह अपने युग के सबसे रचनात्मक और प्रभावषाली व्यक्तियों में से एक थे। इन्होनें सारी उम्र सादगी को अपनाते हुए कामेडी को ऐसी बुलदियों तक पहुंचा दिया जिसे आज तक कोई दूसरा कलाकार छू भी नही पाया। इनके सारे जीवन को यदि करीब से देखा जाये तो एक बात खुलकर सामने आती है कि इस कलाकार ने कामेडी करते समय कभी फूहड़ता का साहरा नही लिया। इसीलिये षायद दुनियां के हर देष में स्टेज और फिल्मी कलाकारों ने कभी इनकी चाल-ढ़ाल से लेकर कपड़ो तक और कभी इनकी खास स्टाईल वाली मूछों की नकल करके दर्षको को खुष करने की कोषिष की है।

हर किसी को मुस्कुराहट और खिलखिलाहट देने वाले मूक सिनेमा के आइकन माने जाने वाले इस कलाकार के मन में सदैव यही सोच रहती थी कि अपनी तारीफ खुद ही की तो क्या किया, मजा तो तभी है कि दूसरे लोग आपके काम की तारीफ करें। चार्ली चैप्लिन की कामयाबी का सबसे बड़ा रहस्य यही था कि इन्होने जीवन को ही एक नाटक समझ कर उसकी पूजा की जिस की वजह से यह खुद भी प्रसन्न रहते थे और दूसरों को भी सदा प्रसन्न रखते थे। इनके बारे में आज तक यही कहा जाता है कि इनके अलावा कोई भी ऐसा कलाकार नही हुआ जिस किसी एक व्यक्ति ने अकेले सारी दुनियां के लोगो को इतना मनोरंजन, सुख और खुषी दी हो। सारी बात सुनने के बाद वीरू ने कहा कि तुम्हारे टीचर ने चार्ली चैप्लिन के बारे में बहुत कुछ बता दिया लेकिन यह नही बताया कि उन्होने यह भी कहा था कि हंसी के बिना बीता हमारा हर दिन व्यर्थ होता है।

सर चार्ली चैप्लिन के महान और उत्साही जीवन से प्रेरणा लेते हुए जौली अंकल का यह विष्वास और भी दृढ़ हो गया है कि जो कोई सच्ची लगन से किसी कार्य को करते है उनके विचारो, वाणी एवं कर्मो पर पूर्ण आत्मविष्वास की छाप लग जाती है। कामेडी के मसीहा चार्ली चैप्लिन ने इस बात को सच साबित कर दिखाया कि कोई किसी भी पेषे से जुड़ा हो वो चुप रह कर भी अपने पेषे की सही सेवा करने के साथ हर किसी को खुषियां दे सकता है।
           ’’ जौली अंकल ’’