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मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

बात फूलों की

एक बार कुछ हास्य कलाकार प्रोग्राम करने के लिये एक बस सें मंसूरी जा रहे थे। बस का ड्राईवर काफी तेजी और बेढ़ंगे तरीके से बस चला रहा था। बस में बैठे सभी कलाकार बार-बार कभी इधर और कभी उधर गिर रहे थे। एक कलाकार ने जोर से आवाज देकर बस ड्राईवर को कहा कि भाई बस को जरा प्यार से चलाओ क्योंकि तुम्हारी बस में सारे कलाकार बैठे हुए है। लगता है तुम्हें यह मालूम नही कि कलाकार फूलों की तरह कोमल और नाजुक होते है। बस ड्राईवर ने रावण की तरह हंसते हुए कहा यदि आप सभी अपने को फूल समझते हो तो फिर मंसूरी क्या करने जा रहे होआपको तो फिर हरिद्वार जाना चहिये था। यह बात ड्राईवर ने शायद इसलिये कही क्योंकि हमारे यहां अस्थीयों को भी फूल कहा जाता है और उन्हें सभी लोग हरिद्वार में ही प्रवाह करते है। खुशबूदार फूलों की बात करते-करते हम तो मौत के करीब पहुंच गये। बात चाहें बच्चे के जन्मदिन की हो या किसी की मौत की फूल तो हर मौके के अनुसार अपने रंगो का जलवा बिखरते दिखाई देते है।
घरदफतर या परिवार में किसी प्रकार की खुशी का कोई मौका होऐसे में महौल को खूबसूरत बनाने और उसे शानदार ताजी खुशबू से महकाने के लिये फूलों से बढ़कर कुछ और हो ही नही सकता। किसी भी बाग में टहलते हुए जब हमारी नजर सुंदर फूलो पर पड़ती है तो झट से उन्हें तोड़ कर अपने पास रखने का मन करता है। फूलों की खूबसरूती के बारे अब तक हर कवि और लेखक ने अपनी कलम और काबलियत अनुसार इनका भरपूर गुणगाण किया है। अलग-अलग किस्म और रंगों के फूल जब इक्ट्ठे होकर एक गुलदस्ते की शक्ल अख्तियार करते है तो एक दूसरे के साथ मिलते ही इनकी सुगंध और खूबसूरती में चार चांद लग जाते है। इन्हें देख ऐसा लगता है कि इन्द्रधनुष धरती पर उतर आया हो। सारी दुनियां को अपनी खुशबू और खूबसूरती से लुभाते इन फूलों में गरूर नाम की कोई चीज नही होती। आखिर फूल बेचारे गरूर करे भी तो कैसेनाजूक से इन फूलो को अपना सारा जीवन कांटो के साथ निभाना होता है। हर समय कांटो के बीच रहते हुए भी कोई फूल कभी अपने मन में छिपे हुए दर्द की शिकायत नही करता और न ही किसी फूल को देखने पर किसी प्रकार की परेशानी या शिकन का एहसास तक होता है।
प्रेमी-प्रेमीका की पहली मुलाकात हो या जीत का कोई जशनफूलों के बिना सब कुछ अधूरा सा लगता है। लिखने वाले ने भी फूलों की किस्मत न जाने किस कलम से लिखी है कि एक ही बगीचे से निकले हर प्रकार के फूल कभी आशिक-महबूबा को खुश करते हैकभी कोई इन्हें डोलीसेहरे को सजाने के लिये और कभी कोई अपने प्रियजन की अर्थी को समर्पित करने में इस्तेमाल करता है। कुछ लोग पीर-फकीरो के लिये चद्दर चढ़ाने के लिये और कुछ कोठे पर नाचने गाने वाली तवायफ को खुश करने के लिये फूलो का साहरा लेते है। जब कभी हमें भगवान से अपने परिवार के लिये कुछ खास मांगना होता हैतो हम उसे खुश करने के लिये मंहगे से मंहगे फूलों की माला चढ़ाते है। इस दुनियां में शायद भगवान ने सबसे बड़ा दिल फूलों को ही दिया है। यह बात मैं दावे से इसलिये कह रहा  हूँ क्योंकि इनकी और चाहे कोई हिंदुमुसलमानसिखईसाई या अन्य कोई भी हाथ बढ़ाता हैयह सभी का हंसते हुए स्वागत करते है। यह मदिंरगुरूद्ववारे या चर्च कहीं पर भी जाये वहां पहुंचते ही बहार सी छा जाती है।
इसमें कोई दूसरी राय नही हो सकती कि हर किसी को सदा ही खुशी देने वाले छोटे-बड़े हर रंग के फूल कुदरत के सबसे अनमोल तोहफो मे से एक है। फूल अपने रंग रूप के जरिये पल भर में हमें कुदरत के करीब ले जाते है। प्यार से मुस्कहराते हुए फूल मानों यह कह रहे हो कि कुछ पलों के लिये ही सही एक बार हमारी और गौर से देखे तो आपके चेहरे से परेशानी और तनाव खत्म होकर हंसी और मुस्कराहट आ जायेगी। भगवान ने खूबसूरती के साथ फूलो को इतना शांतप्रिय स्वभाव दिया है कि वो चाहे डाल के साथ झूम रहे हो या कोई उन्हें मसल कर मिट्टी में डाल देवो अपने खुशनुमा स्वभाव के अनुसार सदैव ही खुशबू फैलाते रहते है। हम सभी की लापरवाही के चलते शहरों में चारो और फैलते प्रदूषण से बेखबर हर फूल हमें सिर्फ खुशबू ही खुशबू देते है।
प्यार से सुदर फूलो को निहराते समय ऐसा महसूस होता है कि जैसे यह सारी मानव जाति को संदेश दे रहे हो कि जीवन में कितनी ही परेशानीयां क्यूं न हो सदा ही उन्हें हंसते-खेलते झेलना चहिये। फूलों को मंद-मंद मुस्कराहते देख न सिर्फ आपके मन को खुशी मिलती हैबल्कि आप दूसरों के जीवन में भी आशा की किरण संचारित कर देते हैं। बेजुबान होते हुए भी ऐसा प्रतीत होता है कि हर फूल खामोशी से यह कह रहा हो कि नेकी वह फल है जो इंसान के जीवन रूपी पेड़ को अमर करता है। यह भी सच है कि हर नया रास्ता कांटों से भरा होता हैपरन्तु आप पहला कदम बढ़ाने की हिम्मत तो दिखाइए मंजिल खुद-ब-खुद आपके करीब आ जायेगी। हमारे बच्चे भी फूलों की तरह नाजुक और कोमल होते हैयदि एक अच्छे माली की तरह उनकी परवरिश भी सही तरीके से की जायें तो उनका जीवन भी फूलों की तरह महकने लगेगा।

जौली अंकल रंग-बिरगें महकते फूलों की मस्ती में खोये हुए यही महसूस कर रहे कि सच्चा आनन्द किसी को पीड़ा पहुंचाने में नही बल्कि उसे सहते हुए हर तरफ अच्छे कर्मो की खुशबू फैलाने में है।