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गुरुवार, 14 जनवरी 2010

शतरंज की गोटीयॉ

आजकल शहर के हर चौराहे, गली कूचो की दीवारो, पर राजनीतिक पार्टीयों के संदेश, तरह-तरह के रंगीन पोस्टर, एवं झंडे आदि दिखाई देने लगे है। समाचार पत्रों और टी. वी. में सुबह-शाम मंत्रीयो के लच्छेदार भाषण सुनने को मिल रहे है। नेताओ ने एक दूसरे पर इल्जाम लगाने की झड़ी शुरू कर दी है। जिस तरह पुराने समय में युध्द की तैयारी से पहले सभी सिपाई अपने-अपने हथियारो को मांज कर तैयार करते थे ठीक उसी प्रकार आज के नेता लोग नये-नये खादी के सफेद कुरतें-पायजमों के साथ अपनी जुबान को चीनी की मिठास में घोल कर वोटरो को रिझााने में लगे है।
क्योंकि सभी नेता जानते है कि अब छुटभैये नेताओ, कुर्सी-टैंंट वाले, हलवाई से लेकर एक आम आदमी की न जाने किस सभा में कहा जरूरत आन पड़े। हर छोटे से छोटे वोटर से भी रिश्ते बनाने में लगे है। हमारे प्रिय नेता लोग अच्छी तरह से जानते है कि अब समय आ गया है कि हर वोटर को किस तरह शतरंज की गोटीयों की तरह अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करना है।
हमारे देश की राजनीति की अनेक विशेषताऐ है। दुनियॉ का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के बावजूद हमारे देश में चुनाव एक हंसी-मजाक का मुद्दा बन कर रह गये है। जिस किसी शरीफ आदमी के पास अच्छे गुण और देश को संभलाने की समर्था है, वो इस क्षेत्र में आने की हिम्मत नही जुटा पाता। पैसे और ताकत के जोर पर देश के जाने-माने अपराधी भी मंत्री पद तक आसनी से पहुंच जाते है। कुछ लोग तो बिना चुनाव लड़े ही प्रधानमंत्री की गद्दी पर असीन हो जाते है। ऐसा आदमी जो जनता के सामने चुनाव लड़ने की हिम्मत न रखता हो वो जनसाधारण के हित की बात कैसे सोच सकता है? ऐसा प्रधानमंत्री तो सिर्फ उन्ही का गुणगाण करेगे जिन लोगो ने उसे कठपुतली बना कर देश की सबसे बड़ी जिम्मेदारी सोंप दी है।
चुनावों से कुछ अरसा पहले हर प्रदेश की राजनीतिक पार्टीयों से जरूर यह सुनने को मिलता है कि केवल योग्य प्रत्याशियों को ही चुनाव का टिकट दिया जायेगा। लेकिन हकीकत जनता से छुपी नही है। पैसे की चमक के आगे सभी योग्ताए धरी की धरी रह जाती है। कुछ प्रत्याक्ष्ीयों के लिये योग्यता का पैमाना सिर्फ पार्टी के बड़े नेताओ की सेवा या यूं कहिये कि चम्चागिरी तक ही सीमित होती है। जनता को उनसे क्या अपेक्षाऐं है, इससे उन लोगो को कोई सरोकार नही होता। कुछ खास किस्म के नेता हर हाल में सत्ता की बागडोर को अपने हाथो में रखने के लिए कुछ भी करने से परहेज नही करते। हर छुटभैया अपने आप को किसी बड़े नेता से कम नही समझता। अपने मुंह से वो चाहे हर किसी के लिए आग ही उगले, लेकिन दूसरो के मुख से उसे हर समय सिर्फ अपनी तारीफ सुनना ही भाता है।
आज एक अनपढ़ रिक्शा चलाने वाला भी यह समझता है, कि नेता लोग सिर्फ चुनावो के मौसम में ही अनेक लुभावने वादे और हसीन ख्वाब दिखा कर गुमराह करते है। सब कुछ जानते हुऐ भी हम सभी इन कलाकारो से बढ़ कर अपने नेताओ का तमाशा देखने को मजबूर है। हालिंक देश की जनता चाहे तो नेताओ के लिये योग्यता का पैमाना तय कर के राजनीति के अध्याय में एक नई शुरूआत कर सकती है।
लेकिन चुनावों के प्रति हमारी उदासहीनता के कारण, नेता हमारी कमजोरीयों का भरपूर फायदा उठाते है। अगर अब भी देश का वोटर नही जागा तो हमारे देश के स्वार्थी नेता पूरे देश के वोटरो को सदा के लिये अपनी इच्छा के मुताबिक केवल अपने फायदे के लिये शतरंज की गोटीयों की तरह ही इस्तेमाल करते रहेगे।
अंत में जौली अंकल आप सब को इतना ही कहना चाहते है कि हर बार शतरंज की गोटीयॉ बनने की बजाए इस बार अपना कीमती वोट देने से पहले अपने प्रिय नेताओ से पिछले 5 साल का पूरा-पूरा हिसाब-किताब जरूर मांगे।           

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