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शनिवार, 13 मार्च 2010

हनीमून


शिमला की हसीन वादीयों में वीरू को अकेले घूमता देख उसके दोस्त जय ने उससे पूछा कि यहां शिमला में क्या कर रहे हो? वीरू ने खुशी-खुशी बताया कि कुछ दिन पहले उसकी शादी हो गई है और वो हनीमून मनाने के लिये यहां आया है। जय ने शादी की मुबारक देते हुए कहा कि हनीमून पर आये हो और यहां अकेले घूम रहे हो, हमारी प्यारी भाभी कहां है? वीरू ने सफाई देते हुए कहा कि वो कह रही थी कि मैने तो शिमला कई बार देख रखा है, अगर आप कहीं दूसरी जगह चलो तो ठीक है वरना शिमला तो आप अकेले ही हनीमून मना आओ। इसीलिये मुझे मजबूरी में यहां अकेले ही हनीमून मनाने आना पड़ा।
अजी जनाब यह तो कुछ भी नही हनीमून से जुड़े ऐसे सैंकड़ो किस्सो से इस तरह का इतिहास भरा पड़ा है। एक बार दो कजूंस अपने बच्चो के हनीमून के किस्से एक दूसरे को सुना रहे थे। एक कजूंस ने कहा कि मैने तो हनीमून के पैसे बचाने के लिये अपने बेटे को अकेले ही हनीमून पर भेज दिया था। दूसरे कजूंस ने और अधिक शेखी बघारते हुए कहा तूने तो सिर्फ आधे पैसे ही बचाए थे, मैने तो हनीमून का सारा खर्च ही बचा लिया था। अब जब पहले कजूंस ने हैरान होकर जानना चाहा तो उसने बताया कि मेरे पड़ोसी का बेटा अपने हनीमून के लिये जा रहा था, तो मैने अपनी बहू को उन्ही लोगो के साथ हनीमून मनाने भेज दिया था।
दुनियां में कोई भी व्यक्ति किसी धर्म, जात या देश से ताल्लुक रखता हो, अमीर हो या गरीब, शादी के लिये चाहे हजारों-लाखो रूप्यों का कर्ज सिर पर चढ़ जाये, लेकिन हर दुल्हा अपनी दुहलन को खुश करने के लिये अपना हनीमून जरूर मनाना चाहता है। आज तक हम में से कभी भी किसी ने चाहे अपने देश का गणतंत्र दिवस या आजादी का दिन न मनाया हो, लेकिन हनीमून मनाना हमारे देश वासीयों की पहली प्राथमिकताओं में से एक होती है। कुछ लोग शादी-विवाह में बहुत अधिक खर्चा हो जाने के कारण हनीमून के लिये बैंक से कर्ज लेने से भी नही चूकते। वो बात अलग है कि हमारे बैंक कई बार हनीमून का कर्ज पहले बच्चे की डिलवरी तक ही मुहैया करवा पाते है।
हनीमून का क्या मतलब है, इसे मनाने के पीछे क्या उद्दे्श्य है, इन सभी बातो को समझे बिना हर कोई हनीमून के सुहावने सपनों में खो जाना चाहता है। हनीमून मनाने की पंरपरा कब और कहां से शुरू हुई, इस बारे में कोई भी ठीक से नही जानता। बरसों पहले विदेशो में अपनी शादी के उत्सव को दुल्हा-दुलहन कुछ और अधिक समय तक मनाने के लिये घर से दूर नई-नई जगह पर चले जाते थे। जबकि हमारे यहां पुराने जमाने में माता-पिता बच्चो की शादी करते ही लंबी तीर्थ यात्रा पर निकल जाते थे। उस समय के शादी-शुदा जोड़ो को मजबूरन अपना हनीमून घर की चार दीवारी में ही मनाना पड़ता था।
असल में हनीमून मनाने से मुराद यह होती है कि दो अनजान लोग जो शादी के बंधन में बंध कर अपना गृहस्थ जीवन शुरू करने जा रहे है, वो एक दूसरे का विश्वास जीतने के साथ और करीब आते हुए अपने जीवन साथी को अच्छी तरह से समझ सके। इसी के साथ पति-पत्नी की इच्छा और घर के महौल के अनुरूप खुद को अच्छी तरह से ढ़ाल सके। वैसे भी हनीमून के यह पल जीवन का वो हिस्सा होते है, जो पति पत्नी की शादी-शुदा जिंदगी को सबसे रंगीन और हसीन बना देते है। अक्सर देखने में आता है कि प्रेम विवाह करने वाले जोड़ो का प्यार जिस तेजी से हिलोरे मारता हुआ ऊपर की और उठता है, उतनी ही तेजी से राजनीतिक पार्टीयो के गठबंधन की तरह उनका यह नशा हनीमून से पहले ही उतर जाता है।
कुछ लोग दहेज के लालच की लालसा मन में रख कर अपने दांम्पतय जीवन की नींव रखते है, ऐसे लोगो को जीवन में कभी सुख नही मिलता। पराये धन से अगर सुख मिल सकते तो शायद इस दुनिया में कभी कोई दुखी नहीं होता। गृहस्थ जीवन में जो इंसान सदा ही अपनी गर्दन ऊंची रखता है, वह सदा मुंह के बल गिरता है। महापुरषो का कथन है कि स्वर्ग-नर्क सब कुछ इसी लोक में है, आज जो कुछ बोओगे कल तुम्हें वही सब कुछ काटाना पड़ेगा, इसीलिये जीवन में सदैव अच्छा करो, अच्छा पाओ। बड़े-बर्जुगो के विचार से हमारा दांम्पतय जीवन तभी सार्थक है, जब उसमें परोपकार भी शामिल हो। अब यदि अपने वैवाहिक जीवन को हमेशा ही हनीमून की तरह महकदार है तो अपनी वाणी को सदा सत्य पर आधरित रखने का प्रयास करो तभी जीवन का सच्चा सुख मिल पायेगा।
अंत में आप सभी के लिये जौली अंकल भगवान से यही प्रार्थना करते है कि तेरे फूलो से भी प्यार, तेरे कांटो से भी प्यार, जौली अंकल की यही दुआ है कि सदा सुखी रहे आप सभी का संसार।

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