Life Coach - Author - Graphologist

यह ब्लॉग खोजें

फ़ॉलोअर

सोमवार, 14 दिसंबर 2009

भरोसा

एक बार एक विदेशी भारत देश घूमने की मंशा से चंद महीने हमारे देश में रहा। जब वो वापिस अपने परिवार के पास पहुंचा तो सबसे पहले उसने अपनी पत्नी से एक बात कही कि अब मुझे पूरा भरोसा हो गया है, कि भगवान सचमुच इस दुनियां में मौजूद है। उसकी पत्नी को बहुत हैरानगी हुई कि भारत के इस दौरे में ऐसा क्या कमाल हो गया कि जन्म-जन्म से मेरा यह नास्तिक पति अचानक ईश्वर को मानने लगा है। उस विदेशी ने बड़ी ही शंति से अपनी पत्नी को समझाया कि भारत में हर कोई बहुत ही मौज मस्ती से रहता है। किसी भी सरकारी दफतर में कभी भी चले जाओ, हर कोई या तो चाय पीता हुआ या गपशप करता ही आपको दिखाई देगा। कुछ लोग तो दिन में दफतर में सोते हुए या ताश खेलते भी आम देखे जा सकते है। परन्तु मजे की बात तो यह है कि इतने बड़े देश के सारे काम फिर भी ठीक से चल रहे है। अब अगर वहां के लोग काम नही करते तो हमारे पास इस बात को मानने के इलावा कोई चारा नही है कि यहां सब कुछ भगवान के भरोसे ही चल रहा है।

यह बात कहने सुनने में चाहें किसी को मजाक लगे, लेकिन अजादी के छह दशकों बाद भी आम आदमी का भरोसा न तो देश के नेताओ पर और न ही सरकारी दफतरों में बैठे अफसरों पर जमता है। इसका एक मात्र कारण यह है कि हमारे प्रिय नेता चुनाव जीतने के लिये अपने सगे रिश्तेदारो और शुभचिंतको को छोड़कर इलाके के नामी बदमाशों और गुंड़ो पर अधिक भरोसा करते है। राजनेताओं की बात चलते ही उनके बार-बार किये गये झूठे वादों को लेकर हर किसी का खून खोलने लगता है। हमारे नेता गद्दी पाने की लालसा में किसी को डरा-धमका कर और कहीं धर्म, भाषा, जाति, ऊंच नीच के भेदभाव से आग भड़का कर अपनी रोटीयां सेकने में ही भरोसा करते है। दुनियां में सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के बावजूद भी आम आदमी को सरकार से इंसाफ मिलने को कोई भरोसा नही होता। आम आदमी की बेबसी तो देखो कि यह जानते हुए भी कि हमारे नेता हमारी किसी समस्यां का हल नही दे सकते, हमें फिर ऐसे ही लोगो के झूठे वादो पर भरोसा करके उन्हें वोट देने को मजबूर होना पड़ता है।

जनता के भरोसे को इस बात से भी ठेस लगती है जब उन्हें यह मालूम होता है कि सरकारी पदों पर काम करने वालों में से अधिकाश लोग जनहित के बारे में न सोच कर व्यक्तिगत हित में काम करते है। आम आदमी चाहे कितना ही मजबूर या परेशान क्यूं न हो परन्तु अपनी सुरक्षा के लिये उसका पुलिस विभाग पर भरोसा नही बैठता। हर कोई अच्छी तरह से जानता है कि पुलिस को अपने इलाके में होने वाले हर वैध-अवैध काम की पूरी जानकारी होती है। फिर भी शरारती लोग तो मौज-मस्ती से इलाके में घूमते है जबकि ईमानदार आदमी को हर समय सरकारी डंडे का भय सताता रहता है। सरकारी दावें कुछ भी कहें परन्तु फुटपाथ पर रोजी रोटी कमाने वालों को इतना भरोसा जरूर होता है कि बिना कुछ भ्रष्ट पुलिस कर्मीयों का पेट भरे हुए वो अपने बच्चो के मुंह में रोटी का एक निवाला भी नही डाल सकता।

ऐसी बात नही है कि हालात इतने बिगड़ चुके है कि हमें किसी भी चीज पर भरोसा ही नही रहा। अभी भी बहुत सी ऐसी बाते है जिन के ऊपर हर कोई आंखे मूंद कर भरोसा कर सकता है। आपको और अधिक हैरान-परेशान न करते हुए मैं यह सब कुछ भी आपको बता ही देता  हूँ। हर दिन 8-10 बार बिजली रानी का गायब होना, सुबह-शाम नल खोलने पर सप्ताह में 3-4 दिन पानी के नदारद होने का हर किसी को पूरा भरोसा होता है। हमें इस बात का भी पूरा विश्वास होता है यदि गलती से नल में पानी आ ही गया है तो इस लायक नही होगा कि उसे आसानी से पीया जा सके। सड़को पर बड़े-बड़े गव्े और कालोनी के मेन होल से ढंक्कन गायब होने के भरोसे को हमारे सरकारी कर्मचारी कभी भी टूटने नही देते। व्यापारी वर्ग मंत्रीयों के साथ साठ-गांठ के चलते जरूरी घरेलू वस्तुओं की कीमत को बिना जनता का भरोसा तोड़े हर चंद दिनों में बढ़ा देते है।
रिश्वत देने के बावजूद भी हमें कई बार यह भरोसा नही होता कि सरकारी दफतर से काम ठीक तरीके और समय से हो पायेगा। लेकिन जब कोई बाबू आपको बहुत ही प्यार से पेश आये और दफतर में घुसते ही आपको कुर्सी पर बैठने के लिये कहें तो यह भरोसा पक्का हो जाता है कि अब कुछ ले दे कर हमारा काम असानी से हो जायेगा। हमारे नेताओ को चाहे खुद पर, चाहे अपनी गद्दी पर भरोसा हो या न हो, लेकिन वो हम सभी को यह भरोसा दिलवाने में अक्सर कामयाब हो जाते है कि उनको जनता पर पूरा भरोसा है कि सभी लोग वोट उन्हें ही देगे। इस सारे छल-कपट के खेल में जनसाधारण का भरोसा इतना टूट जाता है कि हम पूर्ण रूप से भगवान को मानते हुए भी कई बार उसके आस्तित्व पर भरोसा नही कर पाते।
अब यदि हमें एक दूसरे का भरोसा जीतना है तो समाज में इस तरह का वातावरण और व्यवस्था बनानी होगी जिससे हर अमीर के साथ गरीब आदमी को न्याय मिल सके। इससे पहले कि आपका भरोसा जौली अंकल से उठ जाये मैं एक ही बात कहना चाहता  हूँ कि दूसरो को आंकने से पहले अपने आप को आंके, आप सही में अपने को काफी खुश महसूस करेंगे। अंत मे मैं आपको विश्वास दिलाता  हूँ कि अब यदि आपको अपने ऊपर पूरा भरोसा है तो दूसरे सभी प्राणी भी आप पर भरोसा करने लगेगे।