कुछ दिन पहले हमारे पड़ोसी के यहां बहुत अच्छी दावत चल रही थी। एक तरफ अच्छा बढ़िया संगीत और दूसरी और दारू पार्टी का दौर जारी था। मजाक-मजाक में किसी ने मुसद्दी लाल जी से कुछ बदजुबानी कर दी। गुस्से में लाल-पीले होते हुए उन्होनें जोर-जोर से कहना शुरू कर दिया की हम बहुत इज्जतदार आदमी है, हम यहां कोई बेइज्जती करवाने नही आये। नशें में टुन हो चुके वीरू ने मुसद्दी लाल जी को पूछ लिया कि आप एक बात बताओ फिर आप बेइज्जती करवाने कहां जाते हो। वीरू की इस बात ने आग में घी डालने का काम किया और सारी पार्टी में अच्छा खासा बवाल खड़ा हो गया। वीरू की पत्नी बंसन्ती ने उसे डांटते हुए कहा कि आपको किसी के झगड़े में बोलने की क्या जरूरत थी? इन्ही बातों के कारण पहले ही कोई भी तुम्हारी इज्जत नही करता। वीरू ने तपाक से कहा कि न तो मुझे किसी की परवाह है और न ही मैं किसी से डरता हूँ। मैं तो दुनियां में केवल दो लोगो की इज्जत करता हूँ। बंसन्ती ने माथे पर हाथ मारते हुए कहा कि एक तो मैं जानती हूँ कि मैं हूँ, अब यह दूसरा मुंआ कौन आ गया जिसकी तुम इज्जत करने लगे हो।
साधु संतो को छोड़ यदि आम आदमी की बात करे तो जीवन में लाभ-हानि, उतार चढ़ाव को वो फिर भी किसी तरह बर्दाशत कर लेता है, लेकिन समाज में अपनी नाक उंची रखने के लिये अपनी इज्जत के साथ कभी समझोता नही कर पाता। इज्जत पाने के लिये हर किसी की यही सोच होती है कि जो कुछ हमारे पास है या जो कुछ हर किसी को असानी से मिल जाता है उसे पाने से क्या होगा? दोस्तो यारों में इज्जत पाने की यह हौड़ बचपन से ही शुरू हो जाती है। सबसे अच्छे कपड़े, स्कूल में अवल स्थान पाना, पार्टी में सबसे सुंदर दिखने की चाह और जवान होते-होते सबसे मंहगी कार या मोटर साईकल के साथ एक सुंदर प्रेमी या प्रेमिका को पाने की होती है।
कल तक हमारे यहां मर्द के सिर पर पगड़ी और औरतों के सिर पर दुप्ट्टा इज्जत की निशानी माने जाते थे। परन्तु आज की औरत अपने देश के सभी रीति-रिवाजों को भूलकर फैशन के नाम पर कटे हुए खुले बाल, सिर से गायब दुप्ट्टा और अधनंगे से कपड़े पहन कर खुद ही अपनी इज्जत नीलाम करने पर ऊतारू है। आदमी ऐसी औरतो को एक जंगली शिकारी की तरह देखते है। फिर जब कुछ शरारती लोग इनकी शान में कुछ कह देते है, तो इन्हें लगता है कि इनकी इज्जत से खिलवाड़ हो रहा है। पैसा और शौहरत पाने की चाह में कुछ बच्चे जवानी में ऐसी भूल कर बैठते है कि माता-पिता की बरसों पुरानी मेहनत से कमाई हुई इज्जत एक पल में सरे बाजार नीलाम हो जाती है। कुछ खुबसूरत लड़कियां तो अपने कैरियर की बुलंदियों को छूने के लिये धनी और ताकतवर विवहित लोगो से प्रेम और शादी कर लेती है। इस नशे में वो यह भी भूल जाती है कि चालबाज, धूर्त लोग अपनी लच्छेदार बातो से सिर्फ उनकी जिंदगी बर्बाद कर सकते है। ऐसे में कोई गलती से इन्हें समझाने की कोशिश कर दे तो सामने वाले की इज्जत को तार-तार करते हुए इनका सीधा सा जवाब होता है कि आप पहले अपने घर को ठीक कर लो फिर किसी दूसरे को उपदेश देना।
सबसे अधिक दुख तो उस समय होता है जब हम अपने आस पास रहने वाले कुछ लोगो को देश की इज्जत और कानून के साथ खिलवाड़ करते हुए देखते है। कितनी ही विदेशी महिलाओं के साथ हमारे देश में लूटपाट और बलात्कार तक के मामले देखने में आ चुके है। नतीजतन जब हम में कोई विदेश जाता है तो वहां हमें वो इज्जत नही मिलती जिस की हम सभी उम्मीद लेकर जाते है। कुछ लोगो के मन में यह बात घर कर चुकी है कि किसी तरह का कोई भी कुर्कम पैसे के बल पर छिप जाता है। ऐसे लोग यह क्यूं भूल जाते है कि तकदीर एक रईस को भिखारी और भिखारी को कब रईस बना दे कोई नही जानता। परन्तु एक छोटी सी भूल के कारण जीवन भर की इज्जत सदा के लिये खत्म हो जाती है। केवल कोरी शिक्षा प्राप्त कर लेने से आज तक कोई इज्जत नही पा सका। शिक्षा में जब तक नैतिक शिक्षा का समावेश नहीं होगा, तब तक न तो शिक्षा का लक्ष्य पूरा होता है और न ही समाज में इज्जत से वो स्थान मिल पाता है, जिसके हम सच्चे हकदार होते है।
जब हम आईने में देखते है तो हमें अपना प्रतिबिंब दिखाई देता है, यदि हम अपने दिल में झांकने की कोशिश करे तो हमें अपनी आत्मा की परछाई ही दिखाई देती है। सामने वाले से इज्जत की उम्मीद करने से पहले हमें उसकी इज्जत करना सीखना होगा। अपनों से बड़ो और गुणी व्यक्ति की इज्जत करने का सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि आपसे छोटे आपकी इज्जत खुद-ब-खुद शुरू कर देते है। कुछ लोग मजाक मजाक में सामने वाले को छोटा और कमजोर जानकर उसकी इज्जत उतार देते है, जबकि हमारे सविधान और नैतिक मूल्यो के मुताबिक हर कोई बराबर की इज्जत का हकदार है।
जौली अंकल की सोच तो यही कहती है कि समझदार इंसान को इशारा ही काफी होता है। हर आदमी की इज्जत उसके अपने हाथ में होती है। अब यदि हमें एक साफ सुथरे और सभ्य समाज की कल्पना को अमली जामा पहनाना है, तो हमें सभी को एक जैसी इज्जत देनी होगी।