’’ कामेडी के मसीहा - चार्ली चैप्लिन ’’
वीरू के बेटे ने स्कूल से आते ही अपने पापा को बताया कि आज स्कूल में बहुत मजा आया। वीरू ने पूछा कि क्यूं आज पढ़ाई की जगह तुम्हें कोई कामेडी फिल्म दिखा दी जो इतना खुष हो रहे हो? वीरू के बेटे ने कहा कि कामेडी फिल्म तो नही दिखाई लेकिन हमारे टीचर ने आज कामेडी फिल्म के जन्मदाता चार्ली चैप्लिन के बारे में बहुत कुछ नई जानकारियां दी है। पापा क्या आप जानते हो कि चार्ली चैप्लिन दुनियां के सबसे बड़े आदमियों में से एक थे। वीरू ने मजाक करते हुए कहा क्यूं वो क्या 12 नंबर के जूते पहनते थे? बेटे ने नाराज होते हुए कहा अगर आपको ठीक से सुनना हो तो मैं उनके बारे में सब कुछ बताता हॅू। जैसे ही वीरू ने हामी भरी तो उसके बेटे ने कहना षुरू किया कि हमारे टीचर ने बताया है कि चार्ली चैप्लिन का नाम आज भी दुनियां के उन प्रसिद्व हास्य कलाकारों की सूची में सबसे अवल नंबर पर आता है जिन्होने ने अपनी जुबान से बिना एक अक्षर भी बोले सारा जीवन दुनियां को वो हंसी-खुषी और आनंद दिया है जिसके बारे में आसानी से सोचा भी नही जा सकता। इस महान कलाकार ने जहां अपनी कामेडी कला की बदौलत चुप रह कर अपने जीते जी तो हर किसी को हसाया वही आज उनके इस दुनियां से जाने के बरसों बाद भी हर पीढ़ी के लोग उनकी हास्य की इस जादूगरी को सलाम करते है। 16 अप्रेल 1889 को इंग्लैंड में जन्में इस महान कलाकार की सबसे बड़ी विषेशता यह थी कि लोग न सिर्फ उनके हंसने पर उनके साथ हंसते थे बल्कि उनके चलने पर, उनके रोने पर, उनके गिरने पर, उनके पहनावे को देख कर दिल खोल कर खिलखिलाते थे। अगर इस बात को यू भी कहा जाये कि उनकी हर अदा में कामेडी थी और जमाना उनकी हर अदा का दीवाना था तो गलत न होगा।
पांच-छह साल की छोटी उम्र में जब बच्चे सिर्फ खेलने कूदने में मस्त होते है इस महान कलाकार ने उस समय कामेडी करके अपनी अनोखी अदाओं से दर्षको को लोटपोट करना षुरू कर दिया था। चार्ली चैप्लिन ने अपने घर को ही अपनी कामेडी की पाठषला और अपने माता-पिता को ही अपना गुरू बनाया। इनके माता-पिता दोनो ही अपने जमाने के अच्छे गायक और स्टेज के प्रसिद्व कलाकार थे। एक दिन अचानक एक कार्यक्रम में इनकी मां की तबीयत खराब होने की वजह से उनकी आवाज चली गई। थियेटर में बैठे दर्षको द्वारा फेंकी गई कुछ वस्तुओं से वो बुरी तरह घायल हो गई। उस समय बिना एक पल की देरी किये इस नन्हें बालक ने थोड़ा घबराते हुए लेकिन मन में दृढ़ विष्वास लिये अकेले ही मंच पर जाकर अपनी कामेडी के दम पर सारे षो को संभाल लिया। उसके बाद चार्ली चैप्लिन ने जीवन में कभी भी पीछे मुड़कर नही देखा।
सर चार्ली चैप्लिन एक सफल हास्य अभिनेता होने के साथ-साथ फिल्म निर्देषक और अमेरिकी सिनेमा के निर्माता और संगीतज्ञ भी थे। चार्ली चैप्लिन ने बचपन से लेकर 88 वर्श की आयु तक अभिनय, निर्देषक, पटकथा, निर्माण और संगीत की सभी जिम्मेदारियों को बाखूबी निभाया। बिना षब्दों और कहानियों की हालीवुड में बनी फिल्मों में चार्ली चैप्लिन ने हास्य की अपनी खास षैली से यह साबित कर दिया कि केवल पढ़-लिख लेने से ही कोई विद्ववान नही होता। महानता तो कलाकार की कला से पहचानी जाती है और बिना बोले भी आप गुणवान बन सकते है। यह अपने युग के सबसे रचनात्मक और प्रभावषाली व्यक्तियों में से एक थे। इन्होनें सारी उम्र सादगी को अपनाते हुए कामेडी को ऐसी बुलदियों तक पहुंचा दिया जिसे आज तक कोई दूसरा कलाकार छू भी नही पाया। इनके सारे जीवन को यदि करीब से देखा जाये तो एक बात खुलकर सामने आती है कि इस कलाकार ने कामेडी करते समय कभी फूहड़ता का साहरा नही लिया। इसीलिये षायद दुनियां के हर देष में स्टेज और फिल्मी कलाकारों ने कभी इनकी चाल-ढ़ाल से लेकर कपड़ो तक और कभी इनकी खास स्टाईल वाली मूछों की नकल करके दर्षको को खुष करने की कोषिष की है।
हर किसी को मुस्कुराहट और खिलखिलाहट देने वाले मूक सिनेमा के आइकन माने जाने वाले इस कलाकार के मन में सदैव यही सोच रहती थी कि अपनी तारीफ खुद ही की तो क्या किया, मजा तो तभी है कि दूसरे लोग आपके काम की तारीफ करें। चार्ली चैप्लिन की कामयाबी का सबसे बड़ा रहस्य यही था कि इन्होने जीवन को ही एक नाटक समझ कर उसकी पूजा की जिस की वजह से यह खुद भी प्रसन्न रहते थे और दूसरों को भी सदा प्रसन्न रखते थे। इनके बारे में आज तक यही कहा जाता है कि इनके अलावा कोई भी ऐसा कलाकार नही हुआ जिस किसी एक व्यक्ति ने अकेले सारी दुनियां के लोगो को इतना मनोरंजन, सुख और खुषी दी हो। सारी बात सुनने के बाद वीरू ने कहा कि तुम्हारे टीचर ने चार्ली चैप्लिन के बारे में बहुत कुछ बता दिया लेकिन यह नही बताया कि उन्होने यह भी कहा था कि हंसी के बिना बीता कोई भी दिन व्यर्थ होता है।
सर चार्ली चैप्लिन के महान और उत्साही जीवन से प्रेरणा लेते हुए जौली अंकल का यह विष्वास और भी दृढ़ हो गया है कि जो कोई सच्ची लगन से किसी कार्य को करते है उनके विचारो, वाणी एवं कर्मो पर पूर्ण आत्मविष्वास की छाप लग जाती है। कामेडी के मसीहा चार्ली चैप्लिन ने इस बात को सच साबित कर दिखाया कि कोई किसी भी पेषे से जुड़ा हो वो चुप रह कर भी अपने पेषे की सही सेवा करने के साथ हर किसी को खुषियां दे सकता है।
’’ जौली अंकल ’’