मौत के बाद
जिंदगी के बारे मे तो हम सभी अच्छे से जानते है, लेकिन मौत और मौत के बाद क्या होता है, यह एक गहरा रह्सय है। दुनियाँ का शायद अकेला यह एक ऐसा विषय है जो हम सभी के लिये शुरु से ही एक पहेली बना हुआ है। इस बात से तो कोई भी इंकार नही कर सकता की मौत सच में बहुत ही हसीन होगी क्युकि जो कोई भी इस से एक बार मिलता है वो दुनियाँ ही छोड़ देता है। मौत के बारे में अलग-अलग धर्मों व संस्कृतियों में भिन्न मत देखने को मिलते हैं। इस लेख मे हम अलग-अलग धर्मिक ग्रंथों और ज्ञानी लोगो के अभी तक ज्ञान एवम् अनुभव के आधार पर जानने की कोशिश करेगे की मौत के बाद का सफर आखिर कैसा होता है? एक बात तो सारा संसार जानता है कि मौत के बाद हमारा शरीर सिर्फ मिट्टी बन कर रह जाता हैं। एक और मरने के बाद कुछ लोग शरीर का अंतिम संस्कार करते है तो कुछ पानी मे बहा देते है। मुस्लिम लोग शरीर को ज़मीन मे दफन कर देते है। बाकी के अगले क्रिया कर्म मरने वाले के परिजनों द्वारा पूरे किये जाते हैं ताकि उसकी आत्मा को शांति मिल सके। इसके लिए परिवार के लोग, श्रद्धालु आत्मा की शांत के लिए पूजा-पाठ, प्रार्थना आदि करते हैं।
जब हम इस दुनिया को अलविदा कहते हैं तो हमारी आत्मा जिसे हिंदू धर्म में आत्मा और अन्य धर्मों में रूह कहा जाता है, शरीर को छोड़ देती है। साधु-संतो के मुताबिक मौत के बाद एक बार जब आत्मा शरीर से अलग हो जाती है तो वो फिर से शरीर मे कभी भी वापिस नहीं आती। अधिक्तर धर्मो में आत्मा का मृत्यु के बाद भी जीवित रहने की मान्यता है। धर्मिक लोग यह मानते हैं कि आत्मा शरीर के बाहर होती है और वह अनंत है। इसलिए मौत के बाद जीवात्मा का अस्तित्व बना रहता है। उसके बाद उसे किसी अन्य जगह पर जाना होता है। ऐसा भी माना जाता है कि इस शरीर का नाश होते ही हमारी आत्मा प्रभू के चरणों में लीन हो जाती है, लेकिन आत्मा का कभी नाश नहीं होता है। धार्मिक मान्यताओं और धर्म ग्रंथों के अनुसार, आत्मा मृत्यु के बाद भी अमर होती है। मौत के बाद जीवात्मा का सफर अनन्त होता है। कुछ लोग इसे मोक्ष या मुक्ति के नाम से जानते हैं जो उन्हें संसार से मुक्ति देता है। धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो कुछ लोगो की आस्था यह भी है कि मौत के बाद जीवात्मा आत्मा लोक जाती है जहां वह आत्मा के साथ एकीकृत होती है। इस प्रकार वह आत्मा अनंत सुख का अनुभव करती है।
धर्मिक ग्रंथों मे यह भी समझाया गया है कि आत्मा की मुक्ति के लिए हमें अपने किये हुए कर्मों का फल भोगना पड़ता है। यदि हम अपने जीवन काल मे नेक कर्म करते हैं तो हमारी आत्मा अगले जन्म में भी खुशहाल रहेगी। अभी तक यह तो समझ आ गया की मौत के बाद भी जीवात्मा मौजूद रहती है। यह अपने कर्मों के आधार पर अगले जन्म का फैसला करने के लिए अपने नये शरीर का चयन करती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आत्मा अपने कर्मों के अनुसार अगले जन्म में साधु, क्षत्रिय, समृद्ध व्यापारी, विद्वान ब्राह्मण आदि के रूप में जन्म लेती है। ईसाई धर्म में, मौत के बाद आत्मा स्वर्ग या नरक में चली जाती है। स्वर्ग एक आनंदमय स्थान है जहाँ आत्मा अपनी भावनाओं व संवेदनाओं के अनुसार जाती है। इस विषय पर ईसाई धर्म में भी कई अलग विचार हैं। कुछ लोग विभिन्न आध्यात्मिक दृष्टिकोण से मौत के बाद के जीवन के अनुभवों के बारे में बताते हैं। लेकिन इन बातो को और उनकी वैधता सबूतों द्वारा साबित नहीं की जा सकती है। मौत के बारे में हम बेशक कितना भी जानने की कोशिश कर ले, लेकिन जौली अंकल का तो यही मानना है की यह राज, हमेशा राज ही रहेगा। वो ऐसा इसलिये बोलते है क्यूँकि कोई भी इंसान जीते जी मौत के बाद के सच को देख नही सकता और कोई भी आदमी मरने के बाद वापिस आ कर मौत के बाद का सच बता नही सकता।
जौली अंकल
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