Life Coach - Author - Graphologist

यह ब्लॉग खोजें

फ़ॉलोअर

गुरुवार, 12 अगस्त 2010

हड़ताल

मसुद्दी लाल जैसे ही अपनी बीवी को डिलवरी के लिए अस्पताल लेकर आये तो वहां के डॉक्टर ने उन्हें डांटते हुए कहा कि हम लोग दुनियां को समझाते है कि बच्चे कम से कम पैदा करो। एक तुम हो कि अस्पताल में काम करते हुए अपनी बीवी को 5वी बार डिलवरी के लिये यहां लेकर आ रहे हो। मसुद्दी लाल ने अपने तेवर थोड़े टेढ़े करते हुए कहा कि डॉक्टर साहब आऐ दिन तो आप अस्पताल में कोई न कोई बहाना बना कर हड़ताल कर देते हो। जिस दिन अस्पताल की हड़ताल खुलती है, उस दिन बस वाले हड़ताल कर देते है। अब रोज-रोज घर बैठेगे तो बच्चे तो होगे ही। आऐ दिन किसी न किसी विभाग की हड़ताल के बारे में छपी खबरें देख कर ऐसा लगता है कि अग्रेंज लोग हमें अजादी के साथ-साथ बिना किसी ठोस वजह के हड़ताल करने का हक भी मुफत में दे गये है।

दुनियां के वैज्ञानिकों ने इतनी तरक्की कर ली है बरसों पहले यह अंदाजा लगा कर बता देते है कि किस समय देश में आंधी, तुफान या भुचाल आयेगा, देश में कब सूखा पड़ेगा और कब बरसात होगी? लेकिन आज तक कोई भी माई का लाल यह अंदाजा नही लगा पाया कि सरकार के किस विभाग में कब हड़ताल हो जायेगी? इसीलिये शायद देश में रहने वाले सभी समझदार लोग कहीं भी आने जाने के लिये निश्चित समय से पूर्व ही अपनी यात्रा का रिजर्वेश्न करवा लेते है। इन्ही बातों के मद्देनजर मसुद्दी लाल जी ने भी इस साल गर्मीयों की छुट्टीयों का आनंन्द लेने के लिये सर्दीयों में ही अपनी बुकिंग करवा ली। लेकिन वो शायद यह नही जानते कि इतना सब कुछ करने के बावजूद हमारे देश में भगवान भी यह गारंन्टी नही दे सकते कि वो अपना सफर योजना मुताबिक ठीक से पूरा कर पायेगे या नही? मसुद्दी लाल जी के प्लान को भी पहला धक्का उस समय लगा जब सारा समान पैक करके टैक्सी स्टेंड पर पहुंचे। उन्हें मालूम हुआ कि आज सारे शहर में आटो-टैक्सी वाले हड़ताल पर है। कई घंटे परेशान होने के बाद एक टैक्सी वाला कई गुना अधिक पैसे लेकर बड़ी मुशकिल से रेलवे स्टेषन तक छोड़ने को राजी हुआ।

टैक्सी ड्राईवर ने अपनी जन्मों पुरानी प्रथा निभाते हुए आधे रास्ते में पहुंचते ही गाड़ी पैट्रोल पम्प की और मोड़ दी। मसुद्दी लाल जी के चेहरे का रंग उस समय पीला पड़ना शुरू हो गया जब उन्होने सुनसान पड़े पैट्रोल पम्प के सभी कर्मचारीयों को वहां किक्रेट खेलते देखा। टैक्सी ड्राईवर ने भी नौटंकी करते हुए कहा, कि मुझे तो ध्यान ही नही रहा कि आज आटो-टैक्सी वालों के समर्थन में पैट्रोल पम्प वालों ने भी हड़ताल रखी है। इतना सुनते ही मसुद्दी लाल जी अपनी सभी मर्यादाओं को ताक पर रख कर टैक्सी ड्राईवर की मां-बहन को सच्चे दिल से याद करने लगे। बहुत देर तक सड़क के बीचो-बीच पागलों की तरह भटकने के बाद उन्हें अपने पड़ोसी की एक गाड़ी दिखाई दी। सारे परिवार ने उसे देखते ही इतना हो-हल्ला मचाया कि उस गाड़ी के साथ अन्य कई गाड़ीयां भी सड़क के बीच में ही रूक गई। मसुद्दी लाल जी ने उस समय राहत की सांस ली जब उन्हें यह मालूम हुआ कि वो अपने पिता को लेने रेलवे स्टेशन ही जा रहा है। बिना एक पल की देरी किये मसुद्दी लाल ने अपने बच्चो के साथ सारा समान उसकी कार में ढूंस दिया। अभी मसुद्दी लाल जी का पसीना सूखा भी नही था कि सामने चैराहे पर भारी भीड़ को देख उस पड़ोसी को गाड़ी वहीं रोकनी पड़ी।

मसुद्दी लाल जी ने जैसे ही थोड़ी जांच-पड़ताल की तो मालूम हुआ कि फिल्म-इन्डट्ररी के सभी खलनायकों ने देश के नेताओ द्वारा रोजी-रोटी छीनने के विरोध में हड़ताल की हुई है। मसुद्दी लाल ने एक मोटी सी गाली का इस्तेमाल करते हुए कहा कि यह लोग लाखों-करोड़ो रूप्ये कमाने के साथ दुनियां भर की रंगरलियां मनाते है, फिर इन्हें हड़ताल करने की क्या जरूरत आन पड़ी। उनके  पड़ोसी ने ठंडे दिमाग से बताते हुए कहा कि आज सुबह ही मैने इन लोगो की हड़ताल के बारे में समाचार पत्र में पढ़ा था। इनकी मांग यही है कि जो कुछ गुंडा-गर्दी के काम यह लोग फिल्मों में करते थे, वो सभी हमारे प्रिय नेताओ ने करने शुरू कर दिये है। मसुद्दी लाल जी ने कहा कि मैं तुम्हारी बात ठीक से समझा नही कि तुम कहना क्या चाहते हो?

पड़ोसी ने विस्तार से समझाते हुए कहा कि हमारी फिल्मों में खलनायक का मुख्य काम होता है चोरी, डकेती, लूट-पाट, लड़कियो को छेड़ना, उनका यौन शोषण करना आदि। अब यह सारे काम हमारे नेता खुल्मा-खुल्ला कर रहे है। ऐसे में जनता पैसे खर्च करके यही सब कुछ देखने थियेटर में क्यूं जायेगी? इन्ही सब कारणों से इनके रोजगार को भारी धक्का लगा है। कुछ बड़े-बड़े गब्बर सिंह और मुगेंबो जैसे खलनायक जो इस सदमें को बर्दाशत नही कर पायें वो तो पतली गली से होकर अल्ला मियां के घर निकल लिये बाकी सभी हड़ताल कर रहे है। खैर आप चिंता मत करो, मैं दूसरे रास्ते से आपको रेलवे स्टेशन पहुंचा दूंगा। भीड़-भाड़ से भरी तंग गलियों से होकर जब मसुद्दी लाल रेलवे स्टेशन पहुंचे तो उनकी पत्नी ने भगवान का शुक्रियां करने की बजाए पड़ोसी का कोटि-कोटि धन्यवाद किया। जैसे ही पड़ोसी गाड़ी लेकर मुड़ा तो मसुद्दी लाल जी की नजर सामने आ रही लाल झंड़े उठाये और नारे लगाते हुई भीड़ पर पड़ी। यह लोग बिना किसी वजह के सड़क पर आने जाने वाली गाड़ीयों को पथ्थर मार-मार कर तोड़ रहे थे। एक सुरक्षाकर्मी ने बताया कि रेलवे के एक कर्मचारी के साथ यात्री द्वारा मारपीट के कारण अगली घोषणा तक सभी गाड़ीयां रद्द कर दी गई है।

यह सब कुछ देख मसुद्दी लाल जी ने पूरे देश की व्यवस्था को कोसना शरू कर दिया। उनकी पत्नी जो अभी तक बिल्कुल चुप बैठी थी उसने कहा कि क्या आपने कभी सोचा है कि पिछले एक साल में आप लोगो ने कितनी बार हड़ताल की है? उस समय कभी आपके मन में यह ख्याल आया है कि आम जनता को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्हें हैरान, परेशान और मजबूर करना कहां तक उचित है। एक बार कभी सच्चे मन से अपने दिल में झांकने का प्रयास करो तो तुम्हें अपनी आत्मा की असली परछाई दिखाई देगी। पूज्य बापू ने एक हड़ताल तथा धरने का जो सबक अग्रेजों के कुशासन के खिलाफ दिया था, वो ही आज हमारे लिये अभिशाप बन गया है। यह सुनते ही जौली अंकल के मन से यही आवाज निकली कि जब योग्यता, ईमानदारी और धैर्य से हर समस्यां का हल निकल सकता है तो फिर बार-बार हड़ताल करने से क्या फायदा?