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बुधवार, 27 जून 2012
पूजा के फूल
मां ने अपने बेटे अमन को बड़े ही प्यार से उठा कर उसे उसके जन्मदिन की मुबारक देते हुए कहा कि अब जल्दी से उठ जाओ। देखो सूरज कब से निकल आया है। अमन ने मां से कहा कि आपको सूरज के जल्दी निकलने का तो मालूम है लेकिन आप षायद यह नही जानती की वो सोता भी तो मुझ से पहले है। बेटा आज घर में तेरे जन्मदिन की पूजा रखवार्इ है। तू जल्दी से नहां कर मुझे पूजा के फूल ला दे। अमन ने मसखरी करते हुए पूछा कि मां कौन सी पूजा के फूल चाहिये, पूजा बेदी के या पूजा भê के। अब मां को थोड़ा तल्ख होते हुए कहना पड़ा कि हर समय मज़ाक अच्छा नही लगता। तू अपने घर के सामने वाले पार्क से अच्छे वाले फूल तोड़ कर ला दे। लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि कालोनी के प्रधान वहां ना बैठे हो। मां अगर बैठे भी हो तो हमें क्या फर्क पड़ता है, यह पार्क कोर्इ उनका निजी तो है नही।
मां ने बेटे को समझाया कि यह बात नही है। असल में सारे बाग-बगीचे की देख रेख वो प्रधान जी ही करते है। वो एक-एक पौधे को अपने बच्चो की तरह संभाल कर पालते है। इसलिये जब कोर्इ फूल तोड़ता है तो उन्हें बहुत तकलीफ होती है और वो गुस्सा करने लगते है। फिर अगर वो पार्क में बैठे हो तो मैं फूल कैसे तोड़ूगा, बेटे ने पूछा? मां ने कहा, तू उन्हें किसी बहाने से पार्क के बाहर भेज देना। कुछ देर बाद जब अमन पार्क में फूल तोड़ने के लिये पहुंचा तो उसने देखा कि प्रधान अंकल वही सामने बैंच पर बैठे हुए है। अमन ने होषियारी दिखाते हुए कहा कि अंकल आपको घर में बुला रहे है। प्रधान अंकल जल्दी से अपने घर की और चले गये। अमन ने बड़े चैन से पार्क से अच्छे-अच्छे ढ़ेर सारे फूल तोड़ कर अपना थैला भर लिया। घर आते ही इतने खुषबूदार फूल देख कर अमन की मम्मी बहुत खुष हुर्इ। अमन का ध्यान जैसे ही सामने पड़े लìूओं के थाल की और गया तो उसने उसमें से झट एक लìू उठा लिया। उसकी मम्मी ने कहा कि बेटा यह क्या कर रहे हो, यह तो प्रसाद है। अगर तुमने यह झूठा कर दिया तो भगवान जी नाराज हो जायेगे। अमन ने पूछा लेकिन भगवान को कैसे मालूम पड़ेगा कि मैने प्रसाद के थाल में से एक लìू खा लिया है। मम्मी ने प्यार से समझाया कि भगवान हमारे हर कर्म को हर समय देखते रहते है।
कुछ देर बाद अमन के घर में उसके जन्मदिन की पूजा षुरू हो गर्इ। सारा परिवार पूजा में षामिल हो गया, परंतु अमन उदास सा होकर अपने कमरे में जा बैठा। कर्इ बार बुलाने पर भी वो पूजा में षामिल नही हुआ। जब पूजा खत्म हो गर्इ तो पुजारी जी ने अमन से उसकी उदासी का कारण पूछा। अमन ने कहा कि ऐसी पूजा का क्या फायदा? जिसको करने के लिये हम समाज के साथ भगवान को भी धोखा दे रहे है। एक तरफ तो मेरी मम्मी कहती है कि भगवान हर समय हमारे साथ रहते है और हमारी हर अच्छी बुरी बात पर नज़र रखते है। दूसरी और मुझे झूठ बोलने और चोरी करने के लिये कहती है। आज हमने यह जो फूल चोरी करके भगवान को अर्पण किये है क्या इसके बदले वो मुझे सच में कोर्इ अच्छा सा आर्षीवाद देगे? पुजारी जी ने कहा कि आज तक तो मैं दुनियां को ज्ञान-ध्यान की बाते समझाता रहा हू। परंतु आज इस नन्हें से बालक की बाते सुन कर मेरी भी आखें खुल गर्इ है। मैं वादा करता हू कि आज से अपने हर प्रवचन में सभी भक्तजनों को यह बात जरूर समझाऊगा कि यदि हम पेड़-पौधे लगा नही सकते तो हमें उन पर लगे हुए फूलों को तोड़ने का भी कोर्इ हक नही बनता।
अमन की बातो से प्रभावित होकर जौली अंकल भी यह प्रण लेते है कि आज के बाद मुझे जब भी र्इष्वर के चरणों में फूल अर्पित करने होगे तो मैं या उन्हें अपनी मेहनत से लगाऐ हुए बगीचे से लाऊगा या अपनी नेक कमार्इ से खरीद कर। क्योंकि यह बात सच है कि भगवान चोरी की कोर्इ भी चीज कभी स्वीकार नही करते फिर चाहे वो पूजा के फूल ही क्यों ना हो?
• जौली अंकल
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1 टिप्पणी:
सुंदर सीख देती कहानी
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