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मंगलवार, 5 जुलाई 2011

मुमकिन - एक और नया लेख


                                      ’’ मुमकिन ’’

मिश्रा जी ने अपने बेटे को स्कूल का काम करवाते हुए उससे पूछा कि यदि 10 औरते मिल कर एक बगीचे की सफाई दो दिन में करती है तो उसी काम को 20 औरते कितने समय में कर पायेगी। बेटे ने जवाब देते हुए कहा कि पापा मुझे एक बात समझ नही आती कि जब एक बार बगीचे की सफाई अच्छे से हो ही गई है तो आप उसे दुबारा क्यूं साफ करवाना चाहते हो? अपने बेटे के मुंह से यह जवाब सुन कर मिश्रा जी को कहना पड़ा कि तुम्हारे जैसे आलसी लोग सदा यही सोचते रहते है कि यदि किसी काम को कोई दूसरा आदमी कर रहा है तो उसे ही करने दो, हमें खामख्वाह मुसीबत लेने की क्या जरूरत पड़ी हैं? अपनी बात को थोड़ा आगे बढ़ाते हुए मिश्रा जी ने बेटे से कहा कि अब जरा एक बात बताओ कि कोई ऐसा काम हो जिसे कोई भी व्यक्ति नही कर सकता और वोहि काम तुम्हें करने को कहा जाये तो तुम उस काम के बारे में क्या कहोगे? अब इस बात का जवाब जरा सोच समझ कर ही देना। मिश्रा जी के बेटे ने कहा कि इसमें सोचने-समझने वाली क्या बात है जब किसी काम को कोई भी व्यक्ति नही कर सकता तो उसे मैं कैसे कर सकता हॅू?

मिश्रा जी ने बेटे की नदानी को नज़रअंदाज करते हुए उससे कहा कि आमतौर पर तुम्हारे जैसे लोगो का यही मानना होता है कि यदि कोई दूसरा आदमी कोई काम कर सकता है तो आप भी उसे कर सकते हो। परंतु कामयाब लोगो की सोच इससे थोड़ी अलग होती है उनका मानना यह है यदि कोई साधारण व्यक्ति किसी काम को नही कर सकता उसे हम कर सकते है। मिश्रा जी के बेटे ने बड़ी ही हैरानगी से उनकी और देखते हुए कहा कि यह कैसे मुमकिन हो सकता है कि जिस काम को कोई नही कर सकता उसे हम कैसे कर सकते है? आखिर मिश्रा जी को कहना ही पड़ा कि इस दुनियां में ऐसा कोई काम नही है जो नामुमकिन हो। अक्सर किसी काम में मिलने वाली असफलता से हम जल्द घबरा कर उस राह को छोड़ देते है और यह कहने लगते है कि यह काम मुमकिन नही है। ऐसी सोच रखने वाले अक्सर यह भूल जाते है कि असफलता ही सफलता की पहली सीढ़ी होती है। जो कोई इस मंत्र को जीवन में अपना लेते है मंजिल दौड़ती हुई उनके कदमों में आ जाती है। कोई भी व्यक्ति किसी क्षेत्र में अपनी मंजिल पाने के लिये यदि बिना पीछे मुड़े लगातार प्रयास करता है तो वो हर कार्य पर आसानी से विजय पा सकता है।

यह सब कुछ सुनने के बाद मिश्रा जी के बेटे ने गर्दन झुकाने की बजाए पिता से बहस करते हुए कहा कि एक और आप खुद ही कहते हो कि भगवान ने हर किसी के हिस्से की धन-दौलत, सुख-सुविधाएंे सब कुछ पहले से ही हमारे नसीब में लिख दी है फिर हर समय अपने हाथ-पैरों को इतना कश्ट देने की क्या जरूरत हैं? ऐसे में क्यूं न चैन की बंसी बजाते हुए सुख-चैन से जिंदगी गुजारी जाये। मिश्रा जी ने अपने बेटे को घूर कर देखते हुए कहा कि मुझे समझ नही आता कि तुम हर समय क्यूं अक्कल के पीछे लठ लिए फिरते रहते हो। माना कि कोई भी व्यक्ति हालात को नही बदल सकता लेकिन कठिन समय में अपनी सकारात्मक सोच से तुम कम से कम अपने विचारों को तो बदल सकते हो। एक विचार ही तुम्हारी जिंदगी बदल देता है। यह भी सच है कि किस्मत किसी के हाथ में नही होती लेकिन मेहनत तो हमारे हाथ में होती है। किस्मत ने कभी भी आज तक किसी के काम पूरे नही किये। लेकिन आपके द्वारा किये गये काम आपकी किस्मत को बदलने की क्षमता रखते है। मेरे प्यारे बेटे यह कभी मत भूलना कि मन के हारे हमारी हार होती है और मन के जीते ही हमारी जीत मुमकिन हो पाती है। कोई भी जीत सिर्फ आपका मन और आपके सकारत्मक विचार ही दिला सकते है। जब तक किसी भी कार्य से डर कर उससे भागते रहोगे वो तुम्हारे पीछे भाग कर तुम्हें परेषान करता रहेगा। एक बार जब आप हिम्मत करके उस का मुकाबला करने के लिये तैयार हो जाते है तो हर किस्म की कामयाबी तुम्हारे करीब आ जाती है।

मिश्रा जी के बेटे ने यह सब कुछ जानने के बाद भी हार न मानते हुए अपने पिता से कहा कि मेरे छोटे से दिमाग में आपकी यह बड़ी-बड़ी ज्ञान की बाते नही आती। मेरी समझ से तो यह बाहर हेै कि किस तरह एक छोटा सा इंसान बड़े-बड़े असंभव कार्यो को अंजाम तक पहुंचा सकता है। मिश्रा जी ने बहुत ही धीरज से बात को संभालते हुए कहा कि इतना तो तुम भी जानते हो कि एक छोटा सा दीपक रात के अंधेरे में उस समय रोषनी कर देता जब सूर्य नही होता। क्या इस बात से यह साबित नही होता कि कोई भी अपने आकार से श्रेश्ठ नही होता बल्कि उद्देषय से ही बड़ा या छोटा होता है। बेटे यदि जीवन में हर नामुमकिन काम को मुमकिन करना है तो कभी भी यह मत सोचो की क्या कुछ हमारे पास नही है, बल्कि यह सोचो कि क्या कुछ हमारे पास है। तुम हर समय किस्मत की बात करते हो लेकिन क्या इस बारे में कभी गौर किया है किस्मत कभी भी उन लोगो का साथ नही देती जो हर समय उस पर भरोसा किये हाथ पर हाथ रखे बैठे रहते है। इसलिये अपने हर सपने को मुमकिन बनाने के लिये आत्मविष्वास पर भरोसा करते हुए जीवन में आगे बढ़ने का प्रयास करना सीखो।

मिश्रा जी की इतनी अहम और षानदार बाते सुनने के बाद उनके बेटे के नजरिये में कुछ बदलाव हुआ है या नही लेकिन जौली अंकल इतना जरूर जान गये है कि असल जिंदगी में सबसे कामयाब इंसान उसे ही कहा जा सकता है जो विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य बनाए रखता है। ऐसे लोग ही हर नामुमकिन सपने को मुमकिन बना सकते है।

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