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मंगलवार, 7 मई 2013

PEHLA KADAM - Motivational story by JOLLY UNCLE


पहला कदम जौली अंकल वकील साहब के बेटे ने शाम को कहचरी से आकर अपने पिता के पांव छू कर उन्हें खुशी-खुशी बताया कि आपके आर्शीवाद से आज में पहले ही दिन आपके द्वारा दिया हुआ मुकदमा जीत गया हूं। वकील साहब ने खुश होने की बजाए बेटे को गुस्सा करते हुए कहा कि मैं तो तुम्हारी ड्रिगियां और काबलियत देख कर तुम्हें बहुत बुद्विमान समझ रहा था लेकिन तुम तो बड़े ही बेवकूफ किस्म के इंसान निकले हो। अपने पिता का यह रवैया देख कर नया-नया वकील बना बेटा चकरा गया कि पिता जी कैसी अजीब बाते कर रहे है? मैने तो जी तोड़ मेहनत करके केस को अच्छे से तैयार किया था, जिसकी वजह से जज साहब ने पहले ही दिन मेरे हक में फैसला सुना दिया। थोड़ी हिम्मत जुटा कर इस लड़के ने अपने पिता से पूछ ही लिया कि आपको ऐसा क्यूं लग रहा है कि मैने अपना पहला महत्वपूर्ण केस जीत कर कोई बहुत बड़ी गलती कर दी है। वकील साहब ने कहा कि मुझे तुम्हारा पहला केस जीतने से कोई परेशानी नही है। मुझे तो दिक्कत इस बात से हो रही है कि मैने शहर के सबसे बड़े सेठ का केस तुम्हें दिया था। इस केस को तुम बरसों लटका कर आसानी से लाखों रूपये कमा सकते थे। परंतु तुमने तो पहले ही दिन इस केस को निपटा कर आसानी से होने वाली मोटी कमाई पर खुद ही लात मार दी है। अपने पिता का यह व्यवहार देखकर वकील साहब का बेटा अपनी कामयाबी पर खुश होने की बजाए खुद को मन ही मन दोशी समझने लगा था। आज पहले ही दिन बेटे को ऐसा महसूस होने लगा कि उसने शायद अपने पेशे में पहला कदम ही गलत तरीके से रख दिया हो। अपने बेटे को उदास और दुखी देख कर वकील साहब की पत्नी ने अपने बेटे को खुल कर सारी बात बताने को कहा। सारी घटना सुनने के बाद वकील साहब की पत्नी ने उनसे कहा कि आप हमेशा दूसरों को तो आंकते रहते है, क्या कभी आपने अपने आप को भी आंकाने की कोशिश की है। मैं जानती हूं कि आप ऐसा नही कर सकते लेकिन जिस दिन ऐसा करोगे उस दिन आप अपने को काफी खुश महसूस करोगे। जीवन जीने के लिये हर कोई धन कमाता है और धन कमाना कोई बुरी बात नही है। लेकिन एक कामयाब वकील होने के नाते क्या आप गलत तरीके से धन कमाने को उचित ठहरा सकते हो? दुनियां भर के कानून की समझ रखने वाले वकील साहब इतना तो आप भी मानोगे कि अधर्म से की गई कमाई की गिनती तो अधिक हो सकती है, परंतु बरकत सिर्फ ईमानदारी की कमाई में ही होती है। हम सभी यह बात जानते है कि ईमानदारी कभी भी किसी कायदे कानून की मोहताज नही होती। जहां तक धन-दौलत की बात है तो अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा यह सिर्फ बुराई का एक ढ़ेर है और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है। जिस धनवान के पास संतुष्टि नहीं वह सबसे बड़ा गरीब और जिस गरीब के पास संतुश्टि होती है वही सबसे बड़ा अमीर होता है। कोई भी बच्चा जब पैदा होता है तो उसके वस्त्रों में जेब नही होती और जब मनुष्य इस दुनियां से जाता है तब उसके कफन में जेब नही होती। जेब भरने का लालच जन्म और मरण के बीच में आता है। जेब भरने के इस खेल में हर कोई खुद को सबसे बड़ा खिलाड़ी समझते हुए हर प्रकार के गलत काम करने लगता है। हम लोगो को अपने मन से समय-समय पर विकार रूपी खर-पतवार को हटाते रहना चाहिये ताकि वो हमारे नेक विचारों को प्रभावित न कर सकें। इसी के साथ हमें अपना मन और आचरण सदा ही शुद्ध रखने चाहिये, क्योंकि मैले आईने पर तो सूर्य का भी प्रतिविंब दिखाई नही देता। अपनी पत्नी का इतना लंबा-चोड़ा व्याख्यान सुन कर वकील साहब को ऐसा लगने लगा कि वो अपनी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण केस हार रहे है। इसी बौखलाहट में उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। वकील साहब की पत्नी ने उन्हें शांत करते हुए कहा कि हर समय मन में क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी दूसरे पर फेंकने की नीयत से पकड़े रहने के सामान है, इसमें दूसरों से पहले आप ही जलते है। कोई भी व्यक्ति कभी भी क्रोधित हो सकता है, यह आसान है, लेकिन सही व्यक्ति के ऊपर, सही सीमा में, सही समय पर और सही उद्देष्य के साथ सही तरीके से क्रोधित होना सभी के बस की बात नही होती और यह आसान भी नही होता। वकील साहब की पत्नी ने अपने तर्क जारी रखते हुए कहा कि हमारे जीवन का उद्देष्य यह होना चाहिये कि हमारा जीवन उद्देष्यों से भरा हो। पहले कदम से ही हमें वो सब कुछ षुरू करना चाहिये जो हम भविश्य में बनना चाहते है। अपना घर संसार बनाने के लिये एक योजना की आवष्यकता होती है। जिंदगी को सुखमई बनाने के लिये यह और भी जरूरी हो जाता है कि हमारे पास एक अच्छी योजना और एक लक्ष्य हो। एक साफ लक्ष्य एक समय सीमा के साथ देखे गये सपने की तरह होता है। ठीक से कोई लक्ष्य ना होने की दिक्कत यह होती है कि आप अपनी जिंदगी के मैदान में इधर-उधर दौड़ते हुए समय गवां देगे पर एक भी गोल नही कर पाएंगे। आज आपके बेटे ने अपनी जीविका कमाने की दौड़ में पहला कदम रखा है। उसे उस राह की और मत धकेलिये जहां सारी दुनियां आखें बंद करके भागे जा रही है, बल्कि उसे वो राह दिखाईये जहां कोई नही जा रहा ताकि वहां वह अपनी अलग पहचान बना कर उसके निशान छोड़ सके। हर अच्छी बात का जन्म दो बार होता है, पहली बार हमारे दिमाग में दूसरी बार वास्तविकता में। हर चीज में कोई न कोई खूबसूरती होती है लेकिन हर कोई उसे नही देख पाता। आपका बेटा भी एक अनमोल हीरा है, उसे साधारण पथ्थरों के साथ मत मिलाओ। उसे जो कुछ अच्छा दिखाई दे रहा है उसे उस और जाने दो, जब वो वहां पहुंचेगा फिर वह और आगे देख पाएंगा। शिखर तक पहुंचने के लिए सिर्फ ताकत भरे पहले कदम की जरूरत होती है, फिर चाहे वो माउन्ट एवरेस्ट का शिखर हो या आपके पेशे का, आपको वहां पहुंचने से कोई नही रोक सकता। वकील साहब की पत्नी की जोरदार दलीलें सुनकर कर जौली अंकल तो इसी फैसले पर पहुंचे है कि प्रत्येक अच्छा कार्य शुरू में असभ्भव नजर आता है। परंतु महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा पूरे होते है बस सिर्फ शर्त इतनी है कि उनका पहला कदम सही समय पर सही दिशा से शुरू हो। www.jollyuncle.com

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