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सोमवार, 24 अप्रैल 2017

How to become a good Writer - कामयाब लेखक कैसे बने

कामयाब लेखक कैसे बनें

रोजमर्रा की जिदंगी में हम सभी कुछ न कुछ जरूर लिखते रहते हैं। लेकिन एक कामयाब लेखक कैसे बना जायें। सबसे अच्छी किताब किस तरह से लिखी जाऐं, इस बात को लेकर अधिकतर लोग दुविधा में रहते हैं। इस लेख में हम उन सभी महत्वपूर्ण पहलूओं पर विचार करेगे जो किसी भी साधारण इंसान को सफल लेखक बनाने में मदद कर सकते हैं। किसी भी नये रचनाकार के मन में एक बड़ी उत्सुकता यह भी होती हैं कि पुस्तक लिखने की षुरूआत से लेकर प्रकाषित होने तक का सफर किन गलियों से होकर गुजरता हैं। इस राह में किस प्रकार की कठिनाईया आती हैं और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता हैं। इसी के साथ हर लिखने वाले के मन में यह चिंता भी बनी रहती हैं कि वो ऐसा क्या लिखे जिससे वो हर पाठक के दिल में खास जगह बना पायें। आईये अपनी कलम के हुनर को निखारने संबधी अन्य पहूलओं को जानने का प्रयास करें।

लिखने से पहले पढ़ना जरूरी होता हैं

यह बात सुन कर हो सकता हैं कि आपको हैरानगी हो लेकिन हर लेखक को कुछ भी लिखने से पहले एक अच्छा पाठक बनना चाहिए। ऐसा इसलिये भी जरूरी होता हैं क्योंकि यह सारा खेल हमारे विचारों का होता हैं। अगर हम अपने विचार प्रभावषाली तरीके से सामने वाले तक पहुंचा पाते हैं तो हम उसके दिल में उतर जाते हैं। अगर विचारों को ठीक से समझें बिना जल्दबाजी में कुछ भी लिख देगे तो हो सकता हैं हम हमेषा के लिये दूसरों के मन से ही उतर जायें। कुछ भी नया लिखने से पहले हम जितना अधिक अनुभवी और विद्वान लोगों की पुस्तकों को पढ़ेगे उतने ही अच्छे

पुस्तक की खास बातें  

एक सफल किताब लिखने के लिये हमें खासतौर से तीन मुख्य बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले हमें अपनी पुस्तक की षुरूआत यानि भूमिका बहुत ही प्रभावी लक जरूर दिखनी चाहिए। दूसरा हम जिस विशय के बारें में पुस्तक लिख रहें हैं उस विशय का पूर्ण रूप से और सही ज्ञान का होना बहुत आवष्यक होता हैं। क्योंकि जब तक हमारे पास ज्ञान पूरा न हो तो हमें अपनी किसी भी समस्या का समाधान नही मिल सकता। वैसे भी आधी-अधूरी बातें या वास्तविकता से दूर कुछ भी लिख देने से पाठकों के मन में लेखक के प्रति नकारात्मक भाव पैदा हो सकते हैं। तीसरा कहानी या पुस्तक की समाप्ति से पहले उसका निश्कर्श इतने साफ

सरल और सहज भाशा

कुछ लेखकों का मानना हैं कि लेख या पुस्तक लिखते समय भारी-भरकम बातें लिखने से उनका पद और प्रतिश्ठा बढ़ती हैं। लेकिन अनुभवी लेखकों की बात मानी जायें तो उनका मानना हैं कि सरल और सहज भाशा में लिखी हुई पुस्तकों को पाठक अधिक चाव से पढ़ना पसंद करते हैं। हमें सदैव अपनी हर बात इस तरह से लिखनी चाहिए जिसे कम से कम पढ़ा-लिखा इंसान भी आसानी से समझ सकें। इस तरह की पुस्तक को पढ़ते समय पाठक को किसी तरह का भारीपन या बोझ नही प्रतीत होता। साथ ही विशय को और अधिक रोचक बनाने के लिये अगर हल्का सा हंसी-मज़ाक का पुठ जोड़ दिया जाऐं तो हम अपनी पुस्तक को बहुत हद तक दिलचस्प बना सकते हैं।

कथन, कहावते और मुहावरों का महत्व

कहानी, किताबों के साथ कथन, कहावते और मुहावरों की बात हो सकता है कि आपको थोड़ी अजीब लगे। परंतु आजकल हर किसी के पास समय की कमी होती जा रही हैं। ऐसे में कम से कम षब्दों में अपनी बात लिखने का चलन बहुत लोकप्रिय हो रहा हैं। हमारा लेखन चाहें किसी भी विशय से जुड़ा हो उसमें इन सभी का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता हैं। कई बार हमे अपने विचारों को लिखने के लिये एक पैराग्राफ भी कम पड़ता हैं। ऐसे में किसी कहावत या मुहावरें का इस्तेमाल करते हुए हम बिल्कुल कम अक्षरों में अपनी बात प्रभावी

साफ और सकारात्मक सोच
हम अपने लेखनकार्य की षुरूआत बेषक किसी लेख, कहानी या अन्य विशय से करें। लेकिन विशय के प्रति हमारी सोच, नजरिया और विचार सदैव सकारात्मक ही होने चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी होता हैं कि हमारी हर बात में कुछ नया और अनूठापन भी अवष्य हो। ऐसा लिखने से ही हम पाठकगणों के लिये कुछ नया लिख पायेगे। यह सच हैं कि नकारात्मक भावनाओं वाली रचना समाज के किसी छोटे से वर्ग को कुछ समय के लिये अच्छी लग सकती हैं। लेकिन ऐसा लिखने वालों को कभी भी न तो पाठकों का प्यार और न ही मान-सम्मान मिल पाता हैं। लाख कोषिष करने के बावजूद भी ऐसे लेखक आज तक लोगों के दिलों में जगह बनाने में कामयाब नही हो पाये। इसलिये हमें हमेषा अपनी हर बात इतने सलीके से लिखनी चाहिए जिसे समाज का हर वर्ग खुषी-खुषी पढ़ कर उस पर अमल कर सकें।

आलोचना से न घबराऐ

इतना तो हम सभी जानते हैं कि दूसरे अन्य कार्यो के मुकाबले लेखक बनना काफी कठिन होता हैं। लेकिन यह भी सच हैं कि किसी भी इंसान की षख्सियत मुसीबतों से टकराने के बाद ही निखर पाती हैं। झरना भी जब तक पहाड़ो से नही टकराता उसे आगे बढ़ने का रास्ता नही मिल पाता। हम अपने जीवन में जब भी कुछ नया काम करने की कोषिष करते हैं तो कुछ न कुछ कमी तो रह ही जाती हैं। यहा हमें इस बात पर गौर करना चाहिए कि जो गलती एक बार हुई हैं उसे हम कभी भी दौबारा न करें। इसलिये अगर आप का कुछ भी लिखा हुआ षुरू में लोगों को पसंद नही भी आता तो भी आलोचना से डरना नही चाहिए। इस बारें में कबीर साहब ने तो अपनी वाणी में लिखा था कि जो कोई हमारी निंदा करता उसे हमेषा अपने पास ही रखना चाहिए। क्योंकि एक यही इंसान तो ऐसा हैं जो बिना साबुन और पानी के हमारी कमियां बता कर हमारे व्यक्तित्व को बेहतर बनाता हैं। जब भी कुछ नया लिखने की षुरूआत करें तो मन में इतना आत्मविष्वास जरूर बनाऐं रखें कि मैं आज पहले से बेहतर लिखने की कोषिष करूगा। इतनी सी सोच से ही कामयाब लेखक की राह आसान होने लगती हैं।

सबसे अच्छी किताब अक्सर लोग सवाल करते हैं कि सबसे अच्छी ’बुक’ कौन सी होती हैं? इस बारें में अनुभवी लोग यही कहते है कि इस दुनिया में एक ही ऐसी ’बुक’ हैं जिसे हर इंसान छोटा हो या बड़ा, सभी दिल से प्यार करते हैं। जी हा इस ’बुक’ का नाम हैं ’चैकबुक’। जिस तरह सोना हर किसी को अच्छा लगता हैं लेकिन उसी सोने से जब खूबसूरत गहने बन कर तैयार हो जाते हैं तो कहा जाता हैं कि यह तो सोने पर सुहागा हो गया। इसी तरह चैकबुक पर भी हमारा नाम लिखा हो तो हमें सोने पर सुहागे जैसे भाव महसूस होने लगते हैं। बहुत सारे लेखक अक्सर यह जानना चाहते हैं कि सबसे अच्छी किताब किस लेखक की हैं। ऐसे लोगों के लिये जौली अंकल इतना ही कहते हैं कि सबसे अच्छी किताब अभी तक लिखी ही नही गई। बहुत जल्द एक कामयाब लेखक बन कर आप उस पुस्तक को लिखेगे।

जौली अंकल - 9810064112

रविवार, 23 अप्रैल 2017

How to become a good writer

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शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017

हस्ताक्षर और व्यक्तित्व विकास - जौली अंकल

हस्ताक्षर और व्यक्तित्व विकास  
हर इंसान के मन यही इच्छा होती हैं कि उसका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली हो कि वो अपनी पहली ही मुलाकात में दूसरों को प्रभावित कर सकें। वो जहा कही भी जायें उसके नाम से ही उसका हर काम हो जायें। लेकिन कई कारणों से असल जिदंगी में यह सब कुछ मुमकिन नही हो पाता। रोजमर्रा की जिदंगी में हमें बहुत सारे लोगों से मिलना-जुलना पड़ता हैं। लेकिन इनमे से कुछ ही खास लोग होते हैं जो पहली बार में ही अपने व्यक्तित्व से दूसरों के दिलों पर अलग छाप छोड़ने में कामयाब हो पाते हैं। वैसे तो व्यक्तित्व को निखारने के लिये बहुत सारी अलग किस्म की तकनीक हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानगी होगी कि हम अपनी लिखाई और हस्ताक्षर में थोड़ा सा सुधार कर के अपने व्यक्तित्व को प्रभावशाली बना सकते हैं। हस्ताक्षर का विशेषलण करने की इस वैज्ञानिक तकनीक को ग्राफोलोजी कहा जाता हैं। ग्राफोलोजी दो अक्षरों से मिल कर बना हुआ हैं। पहला हैं ’’ग्राफो’’ जिसके मायने होते हैं कुछ लिखना या बनाना। हम जो कुछ भी लिखते या बनाते हैं उसका एक अलग आकार बनने लगता हैं जिसे आम भाषा में ग्राफ कहा जाता हैं। दूसरा अक्षर हैं ’’लोजी’’ जिसके मायने होते हैं विज्ञान। यह एक ऐसी सरल तकनीक हैं जो हमारी सोच, व्यवहार, सफलता, असफलता और व्यक्तित्व का बारीकी से अध्ययन कर के हमारी कमिया हमारे सामने लाती हैं। 

एक आम इंसान की भाषा में अगर कहा जायें तो हमारे मन और मस्तिष्क से निकलने वाले विचारों से ही हम अपने व्यक्तित्व को निखार सकते हैं। हम बेशक किसी विषय के बारें में कुछ भी सोचते रहें लेकिन लिखते समय हमारी लिखाई में सिर्फ वही सब कुछ देखने को मिलेगा जो कुछ हमारे दिमाग में उस समय चल रहा होता हैं। नतीजतन हमारे सकारात्मक और नकारात्मक विचारों की झलक साफ तौर पर हमारी लिखाई में देखने को मिलती हैं। दूसरी और जैसे-जैसे कोई आदमी उम्र के साथ बड़ा होता हैं उसके हस्ताक्षर में थोड़ा बहुत बदलाव आता रहता हैं। लेकिन यह बदलाव असल में उम्र के बढ़ने से नही बल्कि विचारों और अनुभव के आधार से आता हैं। यह बदलाव कई बार बहुत अच्छा और कई बार नकारात्मक भी हो सकता हैं। ऐसा इसलिये माना जाता हैं क्योंकि हमारे आसपास के महौल से लेकर हमारे दोस्तों, रिश्तेदारों का जो प्रभाव हमारे विचारों पर पड़ता हैं उसी के मुताबिक हमारी लिखावट और व्यक्तित्व बदलने लगता हैं।

इस विज्ञान को अधिकतर देशों में मान्यता मिली हुई हैं। विदेशों में तो बहुत लबें अरसे से इस विषय पर शौध कार्य किये जा रहे हैं। पश्चिमी देश तो इस तकनीक को व्यक्तित्व का सबसे स्टीक विश्लेशण बताने वाला भी मानते हैं। अब इससे भी अहम बात यह हैं इस विज्ञान पर कभी भी किसी प्रकार के ग्रहों और सितारों का कोई प्रभाव नही पड़ता। न ही किसी प्रकार की दशा और दिशा से इसका कोई लेना देना हैं। इसलिये आपको न तो किसी तंत्र-मत्र और न ही अंधविश्वास के चलते घर, दफ्तर के खिड़की दरवाजों को इधर-उधर करने की जरूरत पड़ती हैं। आगे बढ़ने से पहले हमें एक बात को गौर से समझना होगा कि किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व को पहचानने के लिये लिखावट से पहले उसके लिखने के ढंग को बारीकी से समझना आवश्यक होता हैं। हम जिस तरह से लिखते हैं हमारी लिखावट का सीधा संबंध हमारे स्वभाव से होता हैं। ऐसा इसलिये भी कहा जाता हैं क्योंकि हमारी लिखावट कभी भी झूठ नही बोलती। वो हमारे दिलों-दिमाग की हर सच्चाई को साफ-साफ ब्यां कर देती हैं। जैसे की हम किसी व्यक्ति पर किस हद तक भरोसा कर सकते हैं। कोई भी व्यक्ति कितना आत्मविश्वासी हैं या वो हमारा कितना साथ निभा पायेगा। हमारी लिखावट से जुड़ा एक रोचक तथ्य यह भी हैं कि हम अपनी लिखाई को सुधार कर बहुत हद तक अपने कैरियर को सुधार सकते हैं। अनेक देशों के शौधकर्ताओं ने लिखाई के हजारों नमूनों की बारीकी से जांच करने के बाद इस नतीजा निकाला हैं कि दुनिया के सबसे कामयाब कारोबारी, नेता, अभिनेता और अलग-अलग पेशे से जुड़े सभी व्यक्तियों के लिखने का तरीका तकरीबन एक जैसा होता हैं। उनके अक्षरों का आकार, आकृति बहुत हद तक एक दूसरे से मिलती जुलती हैं। विदेशों में अधिकतर लोग किसी भी नये व्यक्ति को नौकरी देने या उसके कारोबार शुरू करने से पहले उसकी लिखाई और हस्ताक्षर का अध्ययन अच्छे से किसी विशेषज्ञ द्वारा करवाते हैं। 

हर व्यक्ति की लिखावट एवं हस्ताक्षर को पहचानने के अनेक पहलू होते हैं। कुछ लोग बिल्कुल सीधा लिखते हैं तो कई लोगों की लिखावट नीचे की और थोड़ी झुकी हुई होती हैं। कई व्यक्ति बहुत ही नरम एवं शांत स्वभाव से और कुछ बहुत तेजी से दबाव बना कर लिखते हैं। इसी तरह कई व्यक्ति हस्ताक्षर इस तरह से करते हैं कि वो दाई और से ऊपर की तरफ उठे होते हैं। किसी भी इंसान के व्यक्तित्व को सही से आंकने के लिये हमें उस व्यक्ति के लिखने के अंदाज, उसकी लिखावट के स्टाईल, दबाव और प्रेशर को भी गौर से देखना चाहिए। इसका मतलब यही होता हैं कि जब हम किसी भी कागज़ पर कुछ लिखते हैं तो उस की छाप का असर कागज के दूसरी तरफ कितना गहरा प्रभाव छोड़ता हैं। जितने अधिक प्रेशर से हम लिखते हैं उतना ही अधिक प्रभाव कागज़ के दूसरी तरफ भी ऊभर कर दिखने लगता हैं। कागज को उल्टा कर के हल्का सा हाथ लगाने से ही इस दबाव को महसूस किया जा सकता हैं। इस दबाव को हाथ लगाते ही हमें यह मालूम पड़ता हैं कि सामने वाले व्यक्ति की लिखाई में कितना मानसिक कसाव हैं। जो बिल्कुल हल्के से लिखते हैं वह लोग बहुत ही सहज और सरल स्वभाव के होते हैं। बहुत दबाव के साथ लिखने वाले लोगों की एक खास खूबी यह होती हैं कि यह जिस चीज को दिल से पसंद करते हैं उसे हमेशा अपने पास रखना चाहते हैं। अपनी सबसे प्यारी चीज को किसी के साथ शेयर करना इन्हें अच्छा नही लगता। हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि इस कला को अच्छे से समझने और कुछ समय तक अभ्यास करने के बाद आप भी अपने अनुभव के आधार पर अपने व्यक्तित्व का विकास अच्छे से कर पायेगे। 

जौली अंकल - 9810064112
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हस्ताक्षर बदल सकते हैं भाग्य - जौली अंकल

हस्ताक्षर बदल सकते हैं भाग्य

आज तक आपने जन्मपत्री, वास्तु-शास्त्र एवं ज्योतिषयो के माध्यम से ही भाग्य को बदलने के बारें में सुना होगा। लेकिन इन सभी से भी अधिक विष्वसानीय एक कला और भी हैं। इस कला को  हस्तलेखन विज्ञान कहा जाता हैं। हस्तलेेखन विज्ञान एक ऐसी वैज्ञानिक तकनीक हैं जिस के द्वारा हम किसी भी व्यक्ति की लिखावट या हस्ताक्षर देख कर उसकी सोच, व्यवहार, सफलता, असफलता, चरित्र एव अन्य सभी बातों के बारें में आसानी से जान सकते हैं। इस तकनीक की सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैं कि आप सिर्फ लिखाई देख कर सामने वाले व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यक्तित्व के रहस्य को आसानी से समझ सकते हैं। इतना ही नही यदि किसी इंसान के जीवन में किसी प्रकार की कोई कमी हैं तो आप उसके हस्ताक्षर में थोड़ा बहुत बदलाव कर के उसके पूरे जीवन को बदल सकते हैं। हमारे हस्ताक्षर ही एक ऐसी चीज हैं जो सबसे छोटे होते हुए भी हमारे जीवन से जुड़े हर पहलू को बिल्कुल सही तरीके से दर्षाते हैं। ग्राफोलोजी के विषेशज्ञ लिखावट को दिमाग का एक्सरे और आईना मानते हुए कहते हैं कि हमारे हस्ताक्षर हमारे जीवन का सबसे अहम हिस्सा होते हैं। हमारे सिग्नेचर ना सिर्फ हमारे रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करते हैं बल्कि हमारी सफलता और असफलता भी बहुत हद तक इन्ही पर निर्भर करती हैं। कुछ पाठकों को यह बात षुरू में जरूर अजीब लग सकती हैं कि केवल लिखाई को देख कर किसी दूसरे इंसान की योग्यता, व्यवहार, चाल-चलन, उसकी ताकत और कमजोरियों आदि को कैसे समझा जा सकता हैं। 

इस बात को समझने के लिये हम इस उदारण को देखते हैं। सबसे पहली बात तो यह हैं कि जिस तरह सारी दुनिया में हर व्यक्ति की षक्ल बिलकुल अलग होती हैं। उगुंलियों के निषान अलग-अलग होते हैं, उसी तरह हर व्यक्ति की सोच और लिखावट भी बिल्कुल भिन्न होती हैं। ऐसे ही जब कोई व्यक्ति फोन पर किसी से बात कर रहा होता हैं तो हम बहुत हद तक यह अंदाजा लगा लेते हैं कि यह किस विशय और किस प्रकार के मूड में बात कर रहा हैं। अगर कोई इंसान प्यार से या गुस्से में बोल रहा होता हैं हम बिना उससे बात किये ही उसके मूड को समझ लेते हैं। इतना ही नही, सिर्फ किसी व्यक्ति के चेहरे के हाव-भाव से भी अंदाजा लग जाता हैं कि इसका व्यवहार या सलूक दूसरे लोगो के प्रति कैसा होगा। हमारे यही विचार फिर रेखाचित्र या ग्राफ के रूप में हमारे सामने आने लगते हैं। इसी कारण इस विज्ञान को ग्राफोलोजी या लिपि विज्ञान कहा जाता हैं।

ठीक इसी तरह हम जब भी हस्ताक्षर करते हैं तो हमारे दिमाग से हमें तुंरत कुछ खास किस्म के सकेंत/सिग्नल मिलने लगते हैं। हमें क्या कुछ और कैसे लिखना हैं, यह सारे सदेंष हमारे दिमाग से ही हमारे हाथ की उंगलियो को मिलते हैं। यहा एक बात ध्यान में रखना  जरूरी हैं कि हमारे मूड और आसपास के महौल के मुताबिक हमारी लिखाई और अक्षरों की बनावट में फर्क आ सकता हैं। अनेक देषों के षौधकर्ताओं ने लिखाई के हजारों नमूनों की बारीकी से जांच करने के बाद इस नतीजा निकाला हैं कि दुनिया के सबसे कामयाब कारोबारी, नेता, अभिनेता और अलग-अलग पेषे से जुड़े सभी व्यक्तियों के हस्ताक्षर करने का तरीका तकरीबन एक जैसा होता हैं। उनके अक्षरों का आकार, आकृति बहुत हद तक एक दूसरे से मिलती जुलती हैं। विदेषों में अधिकतर लोग किसी भी नये व्यक्ति को नौकरी देने या उसके कारोबार षुरू करने से पहले उसकी लिखाई और हस्ताक्षर का अध्ययन अच्छे से किसी विषेशज्ञ द्वारा करवाते हैं। लिखावट के बारें में विषेशज्ञ की राय जानने के बाद ही वहां लोग निर्णय लेते हैं कि दूसरे इंसान के गुण, काबलियत, स्वभाव और चरित्र कैसा होगा। 

सामने वाला इंसान कितना सच्चा, ईमानदार और आत्मविष्वासी हैं और किस तरह की जिम्मेंदारी निभाने लायक हैं।  यहा तक की कुछ लोग तो षादी करने से पहले ही एक दूसरे के हस्ताक्षर की भी जांच करवाते हैं। ऐसा करने से वो यह तह करने की कोषिष करते हैं कि उनका वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा। क्या वो दोनों अपने वैवाहिक जीवन में ठीक से संतुलन बना पायेगे या नही। हस्ताक्षर को समझने वाले इस विज्ञान के माध्यम से यह भी अंदाजा लगा लेते हैं कि कौन सा पार्टनर किस हद तक एक दूसरे का साथ निभा पायेगा। हर व्यक्ति के खास गुणों और विषेशताओं के रहस्य को जानने के लिये उसकी लिखावट, हस्तलेख या हैंड़राटिंग को पहचानने के अनेक पहलू होते हैं। कुछ लोग बिल्कुल सीधा लिखते हैं तो कई लोगों की लिखावट नीचे की और थोड़ी झुकी हुई होती हैं। इसी तरह कई व्यक्ति हस्ताक्षर इस तरह से करते हैं कि वो दाई और से ऊपर की तरफ उठे होते हैं। मौटे तौर पर देखा जाऐं तो जिस तरह इस दुनिया में करोड़ों लोग हैं लेकिन सब की षक्ल और आवाज बिल्कुल अलग होती हैं। उसी तरह हर इंसान के लिखने की षैली दूसरों से भिन्न होती हैं। 

हस्तलेख के विज्ञान में छोटी से छोटी बात बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। आपको जानकर हैरानगी होगी कि हमारे हस्ताक्षर में हर छोटे से  बिंदु का भी खास महत्व होता हैं। कोई व्यक्ति किस तरह और किस जगह बिंदु लगाता हैं इससे भी उस व्यक्ति की कई विषेशताऐं समाने दिखाई देने लगती हैं। छोटे-छोटे बिंदु मिल कर जब लाईन/रेखा का रूप लेते हैं तो वो हस्तलेख का अध्ययन करने में बहुत मददगार साबित होते हैं। किसी भी इंसान के हस्ताक्षर को जांचने से पहले हमें उस व्यक्ति के लिखने के अंदाज, उसकी लिखावट के स्टाईल, दबाव और प्रेषर को गौर से समझना पड़ता हैं। अब तो आपको भी साफ हो गया होगा कि हस्तलेखन का विज्ञान किसी अनुमान या कल्पना पर निर्भर नही हैं। इसलिये अगर आप भी चाहें तो अपने हस्ताक्षर में थोड़ा बहुत तकनीकी सुधार कर के अपने व्यापार, कारोबार और जीवन स्तर में सुधार ला सकते हैं। इसी के साथ आप हर प्रकार की चिंता, मानसिक तनाव और पारिवारिक समस्यों को भी आसानी से खुषहाली में तबदील करते हुए अपने भाग्य को बदल सकते हैं। 

जौली अंकल - 9810064112
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