कामयाब लेखक कैसे बनें
रोजमर्रा की जिदंगी में हम सभी कुछ न कुछ जरूर लिखते रहते हैं। लेकिन एक कामयाब लेखक कैसे बना जायें। सबसे अच्छी किताब किस तरह से लिखी जाऐं, इस बात को लेकर अधिकतर लोग दुविधा में रहते हैं। इस लेख में हम उन सभी महत्वपूर्ण पहलूओं पर विचार करेगे जो किसी भी साधारण इंसान को सफल लेखक बनाने में मदद कर सकते हैं। किसी भी नये रचनाकार के मन में एक बड़ी उत्सुकता यह भी होती हैं कि पुस्तक लिखने की षुरूआत से लेकर प्रकाषित होने तक का सफर किन गलियों से होकर गुजरता हैं। इस राह में किस प्रकार की कठिनाईया आती हैं और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता हैं। इसी के साथ हर लिखने वाले के मन में यह चिंता भी बनी रहती हैं कि वो ऐसा क्या लिखे जिससे वो हर पाठक के दिल में खास जगह बना पायें। आईये अपनी कलम के हुनर को निखारने संबधी अन्य पहूलओं को जानने का प्रयास करें।
लिखने से पहले पढ़ना जरूरी होता हैं
यह बात सुन कर हो सकता हैं कि आपको हैरानगी हो लेकिन हर लेखक को कुछ भी लिखने से पहले एक अच्छा पाठक बनना चाहिए। ऐसा इसलिये भी जरूरी होता हैं क्योंकि यह सारा खेल हमारे विचारों का होता हैं। अगर हम अपने विचार प्रभावषाली तरीके से सामने वाले तक पहुंचा पाते हैं तो हम उसके दिल में उतर जाते हैं। अगर विचारों को ठीक से समझें बिना जल्दबाजी में कुछ भी लिख देगे तो हो सकता हैं हम हमेषा के लिये दूसरों के मन से ही उतर जायें। कुछ भी नया लिखने से पहले हम जितना अधिक अनुभवी और विद्वान लोगों की पुस्तकों को पढ़ेगे उतने ही अच्छे
पुस्तक की खास बातें
एक सफल किताब लिखने के लिये हमें खासतौर से तीन मुख्य बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले हमें अपनी पुस्तक की षुरूआत यानि भूमिका बहुत ही प्रभावी लक जरूर दिखनी चाहिए। दूसरा हम जिस विशय के बारें में पुस्तक लिख रहें हैं उस विशय का पूर्ण रूप से और सही ज्ञान का होना बहुत आवष्यक होता हैं। क्योंकि जब तक हमारे पास ज्ञान पूरा न हो तो हमें अपनी किसी भी समस्या का समाधान नही मिल सकता। वैसे भी आधी-अधूरी बातें या वास्तविकता से दूर कुछ भी लिख देने से पाठकों के मन में लेखक के प्रति नकारात्मक भाव पैदा हो सकते हैं। तीसरा कहानी या पुस्तक की समाप्ति से पहले उसका निश्कर्श इतने साफ
सरल और सहज भाशा
कुछ लेखकों का मानना हैं कि लेख या पुस्तक लिखते समय भारी-भरकम बातें लिखने से उनका पद और प्रतिश्ठा बढ़ती हैं। लेकिन अनुभवी लेखकों की बात मानी जायें तो उनका मानना हैं कि सरल और सहज भाशा में लिखी हुई पुस्तकों को पाठक अधिक चाव से पढ़ना पसंद करते हैं। हमें सदैव अपनी हर बात इस तरह से लिखनी चाहिए जिसे कम से कम पढ़ा-लिखा इंसान भी आसानी से समझ सकें। इस तरह की पुस्तक को पढ़ते समय पाठक को किसी तरह का भारीपन या बोझ नही प्रतीत होता। साथ ही विशय को और अधिक रोचक बनाने के लिये अगर हल्का सा हंसी-मज़ाक का पुठ जोड़ दिया जाऐं तो हम अपनी पुस्तक को बहुत हद तक दिलचस्प बना सकते हैं।
कथन, कहावते और मुहावरों का महत्व
कहानी, किताबों के साथ कथन, कहावते और मुहावरों की बात हो सकता है कि आपको थोड़ी अजीब लगे। परंतु आजकल हर किसी के पास समय की कमी होती जा रही हैं। ऐसे में कम से कम षब्दों में अपनी बात लिखने का चलन बहुत लोकप्रिय हो रहा हैं। हमारा लेखन चाहें किसी भी विशय से जुड़ा हो उसमें इन सभी का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता हैं। कई बार हमे अपने विचारों को लिखने के लिये एक पैराग्राफ भी कम पड़ता हैं। ऐसे में किसी कहावत या मुहावरें का इस्तेमाल करते हुए हम बिल्कुल कम अक्षरों में अपनी बात प्रभावी
साफ और सकारात्मक सोच
हम अपने लेखनकार्य की षुरूआत बेषक किसी लेख, कहानी या अन्य विशय से करें। लेकिन विशय के प्रति हमारी सोच, नजरिया और विचार सदैव सकारात्मक ही होने चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी होता हैं कि हमारी हर बात में कुछ नया और अनूठापन भी अवष्य हो। ऐसा लिखने से ही हम पाठकगणों के लिये कुछ नया लिख पायेगे। यह सच हैं कि नकारात्मक भावनाओं वाली रचना समाज के किसी छोटे से वर्ग को कुछ समय के लिये अच्छी लग सकती हैं। लेकिन ऐसा लिखने वालों को कभी भी न तो पाठकों का प्यार और न ही मान-सम्मान मिल पाता हैं। लाख कोषिष करने के बावजूद भी ऐसे लेखक आज तक लोगों के दिलों में जगह बनाने में कामयाब नही हो पाये। इसलिये हमें हमेषा अपनी हर बात इतने सलीके से लिखनी चाहिए जिसे समाज का हर वर्ग खुषी-खुषी पढ़ कर उस पर अमल कर सकें।
आलोचना से न घबराऐ
इतना तो हम सभी जानते हैं कि दूसरे अन्य कार्यो के मुकाबले लेखक बनना काफी कठिन होता हैं। लेकिन यह भी सच हैं कि किसी भी इंसान की षख्सियत मुसीबतों से टकराने के बाद ही निखर पाती हैं। झरना भी जब तक पहाड़ो से नही टकराता उसे आगे बढ़ने का रास्ता नही मिल पाता। हम अपने जीवन में जब भी कुछ नया काम करने की कोषिष करते हैं तो कुछ न कुछ कमी तो रह ही जाती हैं। यहा हमें इस बात पर गौर करना चाहिए कि जो गलती एक बार हुई हैं उसे हम कभी भी दौबारा न करें। इसलिये अगर आप का कुछ भी लिखा हुआ षुरू में लोगों को पसंद नही भी आता तो भी आलोचना से डरना नही चाहिए। इस बारें में कबीर साहब ने तो अपनी वाणी में लिखा था कि जो कोई हमारी निंदा करता उसे हमेषा अपने पास ही रखना चाहिए। क्योंकि एक यही इंसान तो ऐसा हैं जो बिना साबुन और पानी के हमारी कमियां बता कर हमारे व्यक्तित्व को बेहतर बनाता हैं। जब भी कुछ नया लिखने की षुरूआत करें तो मन में इतना आत्मविष्वास जरूर बनाऐं रखें कि मैं आज पहले से बेहतर लिखने की कोषिष करूगा। इतनी सी सोच से ही कामयाब लेखक की राह आसान होने लगती हैं।
सबसे अच्छी किताब अक्सर लोग सवाल करते हैं कि सबसे अच्छी ’बुक’ कौन सी होती हैं? इस बारें में अनुभवी लोग यही कहते है कि इस दुनिया में एक ही ऐसी ’बुक’ हैं जिसे हर इंसान छोटा हो या बड़ा, सभी दिल से प्यार करते हैं। जी हा इस ’बुक’ का नाम हैं ’चैकबुक’। जिस तरह सोना हर किसी को अच्छा लगता हैं लेकिन उसी सोने से जब खूबसूरत गहने बन कर तैयार हो जाते हैं तो कहा जाता हैं कि यह तो सोने पर सुहागा हो गया। इसी तरह चैकबुक पर भी हमारा नाम लिखा हो तो हमें सोने पर सुहागे जैसे भाव महसूस होने लगते हैं। बहुत सारे लेखक अक्सर यह जानना चाहते हैं कि सबसे अच्छी किताब किस लेखक की हैं। ऐसे लोगों के लिये जौली अंकल इतना ही कहते हैं कि सबसे अच्छी किताब अभी तक लिखी ही नही गई। बहुत जल्द एक कामयाब लेखक बन कर आप उस पुस्तक को लिखेगे।
जौली अंकल - 9810064112
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