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मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

गम से न घबराना


पार्क में सैर करते हुए मिश्रा जी के एक दोस्त ने उनसे पूछ लिया कि अक्सर लोग यह कहते है कि मौहब्बत नाकाम हो जायें तो इंसान गमों में डूबने लगता है। परंतु कभी किसी ने यह नही बताया कि यदि किसी खुशनसीब की मौहब्बत कामयाब हो जायें तो क्या होता है? मिश्रा जी ने अपनी खास चुटकी भरी शैली में अपने उस मित्र को समझाते हुए कहा कि यदि मोहब्बत कामयाब हो जाये तो फिर सारी जिंदगी गम आंसू बन कर रास्ता बदल-बदल कर निकलते है। अगर आप को मेरी बात पर ऐतबार न हो तो कभी किसी शादीशुदा से एक पल के लिए उसके दिल का हाल पूछ कर देख लेना। एक क्षण में दूध का दूध और पानी का पानी कर के दिखा देगा। किसी और का क्या मैं अपने ही बहू-बेटे का एक मजेदार किस्सा आपको बताता  हूँ। इतना तो आप भी जानते ही हो कि मेरे बेटे ने हमारे लाख मना करने पर भी अपनी मर्जी से दफतर में साथ काम करने वाली एक लड़की से शादी की हैै। कल रात ही दोनो के बीच किसी बात को लेकर जोरदार तकरार हो गई। बहू ने चीखते हुए कहा कि मैं तो तुम्हारे साथ शादी करके लुट गई, बर्बाद हो गई। मेरे बेटे ने कल तक हूर परी दिखने वाली अपनी पत्नी से कहा, कि मैं भी तुम्हारे साथ शादी करके कोई अनिल अंबानी नही बन गया, बल्कि जो कुछ भी मेरे पास था वो भी सब कुछ लुट गया है।
अपनी बात को जारी रखते हुए मिश्रा जी ने कहा कि जीवन में खुशी और गम का तो चौली दामन का साथ है। अगर आप सोच रहे है कि गम सिर्फ इश्क और मोहब्बत की राह में ही मिलते है तो आप थोड़ा गलत सोच रहे है। इस बात से इंकार करना जरूर थोड़ा कठिन है कि इश्क और प्यार की जुदाई के चलते इंसान अक्सर गमों के अंधकर में खो जाता है। अगर अपनी अच्छी किस्मत के चलते जिंदगी में कोई किसी ऐसे एक गम से बच भी जाता है तो जरूर उसे कोई न कोई दूसरा गम सता रहा होता है। गरीब बेचारा बच्चो की पढ़ाई, मंहगाई की मार और बीमारी के मंहगे इलाज से, अमीर अपने खोखले दिखावेपन से, सरकार रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार से, भारतमाता अपने लुटते हुए गुलजार के गमों से दुखी है। मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार को बैमौसम बरसात का, किसान को सूखे की मार का गम तो सदा ही सताता रहता है। किसी को बिन बुलाऐ मेहमानों के आने से, किसी को अपने करीबी के खो जाने से गम के सागर में डुबकियां लगाने पर मजबूर होना पड़ता है। गम सिर्फ कमजोर, मजबूर और लाचार लोगो को ही दुखी और परेशान करता है ऐसी बात नही है। जमाने ने बड़ी-बड़ी हस्तीयां को भी इस लाइलाज बीमारी के प्रकोप से घबरा कर अक्सर मौत को गले लगाते हुए देखा है।
कमर तोड़ मंहगाई के गमों से लाचार और बेजार जनता अपने गमों की हा-हा कार का दुखड़ा रोये भी तो किस के आगे? देश के नेता कुछ उपकार करने की बजाए सभी हदों को पार करते हुए खुल कर चोर बाजारी और जनता के माल को लूट कर हर देशवासी के गमों में इजाफा कर रहे है। सब कुछ जानते हुए भी हमारी सरकार कान में रूई डालकर चैन से सो रही है। लेखक महाशय टूटी हुई पतवार से अपनी जीवन नैया को खींचते हुए चीख-चीख कर जमानें के गमों का हाल ब्यां कर रहे है, लेकिन उस बेचारे की चीख दुनियां के बड़े-बड़े गमों में न जानें कहां दब कर रह जाती है? चारों और छाये हुए गमों के बादलों को देख ऐसा लगने लगा है कि जैसे दुनियां का कोई भी व्यक्ति इनसे नही बच पाया। कुछ लोग गमों को हिम्मत से सहने की बजाए मैहखानो में नशे का साहरा लेकर गम को भुलाने की नाकाम कोशिश करते है। ऐसे लोग खुद को गम से बचाने की बजाए अंधेरी गलीयों में भटकते हुए खो जाते है।
हमारे बर्जुग अपने जीवन के तर्जुबे के मद्देनजर यही सीख देते है कि जिस प्रकार घर में आई हुई खुशी को अपनों के साथ बांट लिया लाये तो वो दुगनी हो जाती है, ठीक उसी तरह गम कितना भी बड़ा क्यूं न हो उसे अपने प्रियजनों के साथ बांटने से यह नामुराद आधा रह जाता है। बर्जुगो का यह भी मानना है कि इस दुनियां में कोई भी काम मुश्किल नहीं है, इसलिए काम करने से डर कर गम को पालने की जरूरत नही होती। कोई भी बड़े से बड़ा ताकतवर इंसान भी दुनियां के सभी काम अकेले नही कर सकता, ऐसे में घबरा कर गम को दिल में जगह देने से अच्छा है कि सच्ची लगन से काम करते हुए अपनी सारी उम्मीदें और उसका फल भगवान पर छोड़ दे। कुछ ही समय में आप देखेगे कि आपकी मंजिल आपके सामने होती है।
गमों से घबराने की जगह उनको भूलने के लिए सबसे अच्छा तरीका यही है कि परमात्मा को याद करने के साथ-साथ अपने काम में महारत हासिल की जाये। इस तरह इंसान अपने सभी गमों को धीरे-धीरे भूलने लगता है। इससे पहले की गम हमारे अपने ही प्यारे चमन को जला कर राख कर दे, हमें गुजरे हुए वक्त के हर गम को हंसी-खुशी में तबदील करना होगा। आयु के अनुसार बूढ़ा होना चिंता की बात नहीं, किंतु व्यर्थ के गमों से समय से पहले ही बूढ़ा होना कोई अक्कलमंदी नही है। जो कोई सभी गमों को भूलकर विकट परिस्थितियों का हंसी-खुशी सामना करता है, जमाना उसे एक जनसाधारण से महावीर बना देता है। जीवन में मिलना-बिछुड़ना, उतार-चढ़ाव, नफा-नुकसान सभी कुछ भगवान की मर्जी से ही होता है। गमों के इतने दुश्प्रभावों के बारे में सब कुछ जानने के बाद जौली अंकल की सोच तो यही कहती है कि ईश्वर और समय हर गम को मिटाने के दो परम चिकित्सक है, इसलिये हमारा जीवन चाहे कैसा भी हो, कभी भी गम से न घबराना। 

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