Life Coach - Author - Graphologist

यह ब्लॉग खोजें

फ़ॉलोअर

मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

ऐसी की तैसी


चीकू ने अपने दादा से पूछा कि जब भी मेरे से कोई गलती हो जाती है तो आप झट से कह देते हो कि तेरी ऐसी की तैसी। आखिर यह ऐसी की तैसी होती क्या है? दादा अभी कोई अच्छा सा जवाब देने की सोच ही रहे थे कि चीकू के भाई ने उसे समझाया कि जब किसी को खुल्ले दस्त लगे हो और पायजमें का नाड़ा न खुल रहा हो तो उस समय आदमी की ऐसी की तैसी होती है। चीकू ने बात को साफ करते हुए कहा कि न तो मुझे खुले दस्त लगे है और न ही मै कभी पायजमा पहनता  हूँ, तो फिर दादा जी हर समय मेरी ऐसी की तैसी क्यूं करते रहते है? दादा ने चीकू को बड़े ही प्यार से समझाया कि ऐसी की तैसी कुछ नही केवल एक मुहावरा है, लेकिन यह तुम्हारे जैसे अक्कल के अंधे को समझ नही आ सकता। इतना सुनते ही चीकू जोर जोर से रोते हुए अपनी मां से बोला कि दादा जी मुझे अंधा कह रहे है। अपने कलेजे के टुकडे की आखों में आसूं देखते ही चीकू की मां का खून खोलने लगा, उसने बात की गहराई को समझे बिना कांव-कांव करते हुए दादा के कलेजे में आग लगा दी।
दादा ने एक तीर से दो शिकार करते हुए अपनी बहू को डांटते हुए कहा कि लगता है कि बच्चो के साथ तुम्हारी अक्कल भी घास चरने गई है। न जानें इस परिवार का क्या होगा जहां हर कोई खुद को नहले पर दहला समझता है। बहू तुम तो अच्छी पढ़ी लिखी हो, मुझे तुम से यह कद्पि उम्मीद नही थी कि तुम कान की इतनी कच्ची हो। लगता है कि बच्चो की जरा सी बात सुनते ही इस तरह अंगारे उगल कर तुम्हारे दिल में जरूर ठंडक पड़ गई होगी। मै तो तुम्हारे बेटे को सिर्फ मुहावरो के बारे में बताने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मेरी बाते तो आप लोगो के सिर के ऊपर से ही निकल जाती है। इतना कहते-कहते दादा जी सांस फूलने लगी थी। परंतु उन्होने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि मुहावरे किसी भी भाषा की नींव के पत्थर की तरह होते है, जो उसे जिंदा रखने में मदद करते है। सारा गांव मेरी इतनी इज्जत करता है लेकिन तुम्हारे लिए तो मैं घर की उस मुर्गी की तरह  हूँ जिसे दाल बराबर समझते है। लोग तो अच्छी बात सीखने के लिए गधे को भी बाप बना लेते है,
इससे पहले की दादा मुहावरों के बारे में और भाषण देते, चीकू ने कहा कि लोग गधे को ही क्यूं बाप बनाते है, हाथी या घोड़े को क्यूं नही? दादा जी ने प्यार से चीकू को समझाया कि सभी मुहावरे किसी न किसी व्यक्ति के अनुभव पर आधरित होते हुए हमारी भाषा को गतिशील और रूचिकर बनाने के लिये होते है। हां कुछ मुहावरे ऐसे होते है जो किसी एक खास धर्म और जाति के लोगो पर लागू नही होते। चीकू ने हैरान होते हुए पूछा कि यह कैसे मुमकिन है? दादा जी ने चीकू को बताया कि अब एक मुहावरा है सिर मुढ़ाते ही ओले पड़े। अब तो आप मान गये कि यह मुहावरा किसी तरह भी सिख लोगो पर लागू नही होता। क्योंकि सिर तो सिर्फ हिंदु लोग ही मुडंवाते है। ऐसा ही एक और मुहावरा है कल जब मैं रात को कल्ब से रम्मी खेल कर आया तो मेरी हजामत हो गई। इतना तो आप भी मानते होगे कि सब कुछ मुमकिन हो सकता है, लेकिन किसी सरदार जी की हजामत करने के बारे में कोई सोच भी नही सकता। अजी जनाब आप ठहरिये तो सही अभी एक और बहुत बढ़ियां मुहावरा आपको बताना है वो है हुक्का पानी बंद कर देना। अब सिख लोग ऐसी चीजो का इस्तेमाल करते ही नही तो उनका हुक्का पानी कैसे बंद हो सकता है? इतना सुनते ही चीकू ने दातों तले उंगली दबाते हुए दादा से पूछा कि अगर आपको उंगली दबानी पड़े तो कहां दबाओगे क्योंकि आप के दांत तो है नही?
यही नही, ऐसे बहुत से और भी मुहावरे है जिन को बनाते समय लगता है, हमारे बर्जुगो ने बिल्कुल ध्यान नही दिया। सदियों पहले इनके क्या मायने थे यह तो मैं नही जानता लेकिन आज के वक्त में तो इनके मतलब बिल्कुल बदल चुके है। एक बहुत ही पुराना लेकिन बड़ा ही महशुर मुहावरा है कि न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी। अरे भैया, नाचने के लिए राधा को नौ मन तेल की क्या जरूरत पड़ गई? अगर नाचने वाली जगह पर थोड़ा सा भी तेल गिर जाये तो राधा तो बेचारी फिसल कर गिर नही जायेगी। वैसे भी आज के इस मंहगाई के दौर में नौ मन तेल लाना किस के बस की बात है? घर के लिये किलो-दो किलो तेल लाना ही आम आदमी को भारी पड़ता है। बहुत देर से चुप बेठा चीकू अपने दादा से बोला कि लोगो को नाच-गाने के लिए दारू लाते तो मैने अक्सर देखा है कभी किसी को तेल लाते तो नही देखा।
दादा ने चीकू से एक और मुहावरे की बात करते हुए कहा कि यह मुहावरा है बिल्ली और चूहे का। मैं बात कर रहा  हूँ 100 चूहें खाकर बिल्ली हज को चली। अब कोई मुहावरा बनाने वाले से यह पूछे कि क्या उसने गिनती की थी कि बिल्ली ने हज पर जाने से पहले कितने चूहे खाये थे? क्या बिल्ली ने हज में जाते हुए रास्ते में कोई चूहा नही खाया। अगर उसने कोई चूहा नही खाया तो रास्ते में उसने क्या खाया था? वैसे क्या कोई यह बता सकता है कि बिल्लीयां हज करने जाती कहां है? कुछ भी हो यह बिल्ली तो बड़ी हिम्मत वाली होगी जो 100 चूहें खाकर हज को चली गई। आखिर में मैं एक ऐसा मुहावरा आपको बताऊगा, जिसे सुनते ही कई लोग ऐसे गायब हो जाते है, जैसे गधे के सिर से सींग। मैं बात कर रहा  हूँ दौड़ने भागने की। इससे पहले की आप मेरे मुहावरो की ऐसी की तैसी करे मैं तो यहां से 9 दो 11 हो जाता  हूँ।


1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

Most interesting and entertaining articles. Congrats to Jolly Uncle.