एक बार महाराज अकबर को पड़ोसी राज्य से एक खास मौके के लिये न्यौता मिला। उन्होंने झट से बीरबल को बुलाकर कहा, कि इस खास मौके पर जाने के लिये एक बढ़िया सी पोशाक तैयार करवाई जाए। बीरबल ने उसी समय महाराज के शाही दर्जी को बुला भेजा। दर्जी सिलाई-कढ़ाई के लिये अपना सभी जरूरी समान लेकर दरबार में हाजिर हो गया। महाराज अकबर का ठीक से नाप वगैरह लेकर उसने महल में पोशाक सिलने का काम शुरू कर दिया। अब क्योंकि महाराज अकबर की बहुत ही खास मौके के लिये पोशाक बन रही थी तो वो भी कौतूहलवश कुछ देर के लिये वहीं दर्जी के सामने बैठ गये।
दर्जी ने अपना काम शुरू करते हुए सबसे पहले कैंची से कपड़े को अलग-अलग कई टुकड़ो में काट कर कैंची को नीचे जमीन पर एक तरफ रख दिया। फिर सुई से कुछ काम करने के बाद उस दर्जी ने अपनी पुरानी आदतानुसार सुई को अपनी शाही दरबार से मिली हुई पगड़ी में टांक दिया। महाराज अकबर को कुछ अजीब सा लगा, कि इतनी महंगी और सुन्दर कैंची तो दर्जी ने अपने पैरों में रखी हुई है, और छोटी सी सुई को अपनी बेशकीमती महंगी शाही पगड़ी में टांक दिया। महाराज अकबर से रहा नहीं गया और उन्होंने बीरबल से इसका कारण पूछा। बीरबल ने कहा महाराज दर्जी ने दोनों चीजों को उनकी असली औक़ात के मुताबिक ठीक जगह पर ही रखा है और मेरे हिसाब से उसने यह बिल्कुल ठीक ही किया है।
महाराज अकबर ने गुस्से में बीरबल को डांटते हुए कहा, तुम बिना सोचे समझे हर बात का जवाब झट से दे देते हो। तुम यह सब कुछ इतने विश्वास के साथ कैसे कह रहे हो कि दर्जी ने कोई गलती नही की? तुम क्या जानो की चंद पैसों की सुई के सामने हमारे दरबार की शाही कैंची कितनी कीमती है, और तुम साथ ही यह भी कह रहे हो कि उसने यह बिल्कुल ठीक किया है। क्या तुम मुझे इस का कोई एक भी ठोस कारण बता सकते हो?
बीरबल ने महाराज को बताना शुरू किया कि अगर आपने गौर किया हो तो कैंची का काम सिर्फ हर चीज़ को काट कर टुकड़ों में बांटने का है फिर चाहे वो कपड़ा हो या अन्य कोई और वस्तु। दूसरी तरफ सुई बहुत छोटी होते हुए भी सिर्फ हर चीज़ को जोड़ने का काम करती है। वो हर छोटी बड़ी चीज़ को जोड़कर उसे हमारी ज़रूरत के मुताबिक हमारे इस्तेमाल करने के लायक बना देती है, जिससे कि साधारण सी चीज की कीमत में भी कई गुना का इज़ाफा हो जाता है। यह छोटी सी सुई का ही कमाल है, कि कैंची से काटे हुए चंद कपड़े के टुकडों पर बेशकीमती कढ़ाई आदि करने के बाद उन्हें आपस में जोड़कर आपकी यह अनमोल और बेहतरीन पोशाक तैयार कर दी है।
बीरबल ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा महाराज हर चीज की कीमत उसकी खूबसरती या कीमत को देखकर नही बल्कि उसकी उपयोगिता के अनुसार ही आंकी जाती है। कुछ ऐसे ही लोग आपको हमारे आस-पास देखने को मिल जायेंगे। एक श्रेणी में तो वो लोग आते हैं, जो समाज को धर्म, जाति, ऊंच-नीच, गरीब-अमीर का भेदभाव दिखा कर एक दूसरे से तोड़ने का काम करते हैं, और दूसरी तरफ साधु-संत अपने नेक कर्मों से हर वर्ग को जोड़ने का प्रयत्न करते रहते हैं। कोई भी कार्य कभी भी अकेले करने से सिद्व नही होता, और मिल-जुल कर किया गया कार्य कभी व्यर्थ नही जाता। आप तो खुद हमें समझाते हैं कि सरलता में महान सौन्दर्य होता है, जो सरल है, वह सत्य के समीप है। सभी को साथ लेकर चलने वालो को तो दुनिया हमेशा सिर आंखों पर बिठाती है और भगवान का रूप मानकर पूजती है। जो कोई अपनी गर्दन ऊंची रखता है, वह सदा मुंह के बल गिरता है। बीरबल के इस कथन से महाराज अकबर भी यह मान गये कि योग्यता, ईमानदारी और धैर्य शीलता के समक्ष हर कोई घुटने टेकने पर मजबूर हो जाता है।
जौली अंकल इसीलिये तो अक्सर कहते हैं, कि हर काम पूरी लगन और जान लगाकर करें, अधूरे मन से किया काम आपके श्रेष्ठ बनने का मौका छीन लेता है। अगर आप अपने जीवन में सुख और शंति देखना चाहते हो तो हर छोटे से छोटे रिश्ते की औकात को भूलकर कैंची की तरह काटने की बजाए सुई की तरह जोड़ते रहो।
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