चंद दिन पहले जब वैलेनटाईन्स डे का बुखार सारे देश में तेजी से फैल रहा था तो वो इस बार अपना कुछ असर हमारे दिल पर भी छोड़ गया। वैलनटाईन डे के साथ-साथ बिल किलंटन जो कभी अमरीका के सबसे ताकतवर नेता थे और अपने (गोरे घर) यानि वाईट हाउस मे रहते थे, उनके प्यार के चर्चे भी समाचार पत्रों में खूब छपे। पढ़ कर हमें बड़ी ही हैरानगी हुई कि दुनियां के सब से बड़े औदे पर आसीन होने के बावजूद और उंम्र की परवाह किये बिना वो अपने प्यार का तौहफा अपनी प्राईवेट सैक्ट्री को दिये बिना क्यूं नही रह पाये? आखिर सच्चे प्यार में कुछ बात तो जरूर है। वो बात अलग है कि वाईट हाउस और अपने मुंह पर कालिख पोतने के बाद उन्हें अभी तक सगी बीवी और बेटी से मुंह छिपाना पड़ता है।
इतनी महान हस्ती से प्रेरणा लेते हुए इस बार वैलेंनटाईन्स डे पर हम ने भी हिम्मत जुटा कर सोचा कि जो काम हम अपनी जवानी के दिनों में नही कर पाये। इस मौके का फायदा उठाते हुए उन्ही अरमानों को क्यूं न पूरा किया जाये? इस बार वैलेंनटाईन्स डे पर हम भी अपने प्यारे से दिल का तोहफा किसी को दे देकर देखते है। लेकिन अगले ही पल मन के किसी कोने से यह आवाज आई कि कही दिल लेने वाली सुंदर परी ने यह कह कर दिल लौटा दिया कि आप कोई दूसरा दिल पेश करो यह तो पिचका हुआ है तो बहुत किरकिरी हो जायेगी। इसी डर से मैने अपने नाजुक से दिल से खिलवाड़ करने की जगह तोहफे में फूल देने का मन बनाया। मेरे दिल ने मेरी हरकतो को भांपते हुए कहा, बड़े मियां दिल दो या फूल किसी ठीक-ठाक हम उंम्र को ही देना। यदि किसी खूबसूरत जवां हसीना की तरफ हाथ बढ़ा तो मैं उंम्र के इस पढ़ाव में ऐसे झटके बर्दाश्त नही कर पाऊगा। फिर मुझ से शिकायत मत करना क्योंकि ऐसे झटको के बाद और अधिक धड़कना मेरे बस में नही है। मैने सभी घरवालों से नजर बचा कर दाल-सब्जी की खरीददारी से थोड़े बहुत बचाये हुए पैसो को इक्कट्ठा करके पड़ोसी के बेटे को बाजार से कुछ फूल लाने को कहा। थोड़ी देर बाद उस बेवकूफ लड़के ने गुलाब के खुशबूदार फूलों की जगह प्लास्टिक के चंद फूल मेरे हाथ में थमा दिये। मैने उसे गुस्सा करते हुए कहा कि तुम्हें तो ताजे फूल लाने को कहा था। जरूरत से अधिक स्मार्ट उस बच्चे ने झट से कह डाला कि अंकल आप से इस उंम्र में किसी ने यह फूल लेने तो है नही, मैने सोचा कि क्यूं आपके पैसे बर्बाद करू? कम से कम यह प्लास्टिक के फूल अगले दो चार साल तो आपके काम आ जायेगे।
प्लास्टिक के फूलों को एक कौने में छिपा कर मैने अपने पोते से कहा कि बेटा जरा जल्दी से मेरे दांतो का सैट तो उठा ला। उसने खेलते-खेलते बिना मेरी बात की परवाह किये कह दिया कि दादा जी खाना तो अभी बना नही, अभी से दांत लगा कर क्या करोगे? अब मैं उसको यह भी नही कह सकता था कि मुझे अभी खाना नही खाना, तेरे दोस्त की दादी को स्माईल देनी है। हम बर्जुग जो छोटी सी बात को कहने के लिये बरसों हिम्मत नही जुटा पाते, उसी बात को नई पीढ़ी बिना सोचे समझे एक पल में कह देती है।
कभी किसी ने सोचा न होगा कि जमाना इतनी तेजी से करवट लेगा कि प्यार करने और उसके इजहार करने के सभी तरीके बदल जायेगे। आऐ दिन पुराने रिश्तो का गला घोंट कर हर कोई नई रिश्ते बना रहा है। हैरान करने वाली बात तो यह है कि आज के इस युग में किसी को दिल के टूटने का गम नही सताता। लोग ज्यादा वक्त न गवां कर डिश टी,वी, के रिमोट की तरह नई राह तलाशने लगते है। इसीलिये शायद आऐ दिन नई-नई जोड़ीयां और हर तरफ नया प्यार देखने को मिलता है।
इस बात को झुठलाना भी गलत होगा कि प्यार उंम्र का मोहताज होता है या प्यार को किसी एक दायरे में बांधा जा सकता है। सबसे बड़ी सच्चाई तो यही है कि प्यार पर किसी का कोई जोर नही होता। परंतु जमाने के बदलते हालात को देख कर प्यार को प्यार कहना भी सही नही लगता। प्यार के इस खेल में यदि आप विजयी होना चाहते है तो आपको अपनी इन्द्रियों पर सम्पूर्ण नियंत्रण रखना होगा। जब आप स्वयं से प्रेम करना सीख लेगे तो दूसरे आपसे नफरत करना खुद ब खुद छोड़ कर प्यार करने लगेगे।
सच्चे प्यार को समझने के लिए जहां ज्ञान जरूरी है, वहीं उसे महसूस करने के लिए अनुभव की आवश्यकता होती है। दूसरों को अपने से जोड़ने के लिये हमें सबसे पहले उनको को प्यार से अपना बनाना पड़ता है। हम जिन्हें सही अर्थो में प्रेम करते है, हमारा स्वरूप व व्यक्तित्व बिल्कुल वैसा ही बन जाता है। प्यार के इस व्यापारिक लेखे जोखे को जानने के बाद जौली अंकल तो इसी निष्कर्ष पर पहुंचे है कि आप जितना प्यार किसी को देंगे, उतना ही अधिक प्रेम पायेंगे। आपके पास प्यार जितना अधिक होगा, इसे दान करना उतना ही सहज हो जायेगा। इसलिये प्यार का तौहफा सदा उसी को दो जो उसकी सही मायनों में कद्र जानता हो।