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मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

इंतज़ार

मुसद्दी लाल जी के बेटे की शादी जैसे ही तह हुई तो वो सबसे पहले वो अपने खानदानी दर्जी के पास पहुंचे। उन्होने दर्जी से कहा कि मेरे पिता जी ने मेरी शादी के समय एक बढ़िया सी शेरवानी तैयार करने को कहा थालेकिन तुमने आज तक वो शादी का जोड़ा तैयार नही किया। अब अगले महीने मेरे बेटे की शादी तह हुई है। मैं चाहता  हूँ कि दुल्हा बनते समय वो वही जोड़ा पहनेजो मेरे पिता जी मेरी शादी के समय मुझे पहना हुआ देखना चाहते थे। दर्जी ने आखे टेढ़ी करते और चश्मा नाक पर चढ़ाते हुए कहामियां मैने आपकी शादी के समय भी कहा थाकि यदि हमसे अच्छा और बढ़िया काम करवाना है तो आपको थोड़ा इंतज़ार तो करना ही पड़ेगा। इस तरह से जल्दी के काम हम नही कर सकते। मुसद्दी लाल जी ने भी अपने टेढ़े तेवर दिखाते हुए कहा कि मैं भी अब और इंतज़ार नही कर सकताआप इसी वक्त मेरा कपड़ा वापिस लोटा दोमैं अपने बेटे की शादी के लिये शैरवानी कहीं और से सिलवा लूंगा।
जैसे ही मुसद्दी लाल जी शेरवानी सिलवाने के लिये कपड़ा लेकर दूसरे दर्जी के पास पहुंचे तो वो जल्दी में कहीं जा रहा था। उसने जाते-जाते इतना ही कहा कि आप 10-15 मिनट इंतज़ार करोमैं अभी आता  हूँ। मुसद्दी लाल जी ने यदि तुम 10-15 मिनट में नही आये तो। उस दर्जी ने मुस्कराहते हुए कह दियाफिर आप थोड़ा और इंतज़ार कर लेना। कारण चाहे कुछ भी हो हमारे देश में जन्म से लेकर मृत्यु तक हम अपना आधे से अधिक समय तो इंतज़ार करते हुए व्यर्थ में ही गवां देते है। घर से दफतर जाना हो या बाजारराशन की लाईन हो या सिनेमा टिकट की खिड़कीबैंक में पैसे या बिजली-पानी का बिल जमां करवाना होहर जगह लाईन में खड़े रहते हुए हमें अपनी बारी के लिए घंटो इंतज़ार करना पड़ता है। खास तौर से आम आदमी को अपने जीवन स्तर में सुधार के लिये नेताओं द्वारा किये हुए कभी न पूरे होने वाले वादों को अमली जामा पहनाने का इंतज़ार रह-रह कर सताता है।
इंतज़ार का तो यह आलम हो गया है कि बड़े शहरों में अब एक जगह से दूसरी जगह की दूरी मील या किलोमीटर में न बता कर समय के हिसाब से बताने का चलन चल निकला हैक्योंकि कुछ किलोमीटर का फांसला तह करने में भी घंटो टै्रफिक जाम के इंतज़ार में निकल जाते है। टिकट रेल गाड़ी की हो या हवाई यात्रा की उसे पाने के लिये कई-कई महीनों का इंतज़ार करना तो एक आम बात हो चुकी है। कहने को हर कोई मंहगाई की मार से परेशान हैलेकिन किसी भी अच्छे होटल में न तो रहने के लिये कमरा मिलता है और न ही अच्छा खाना खाने के लिये जगह। हर तरफ से एक ही जवाब सुनने को मिलता आप थोड़ा इंतज़ार करो शायद कुछ देर में कोई जुगाड़ बन जाये।
घर में शादी-विवाह या किसी अन्य उत्सव का आयोजन करना होअपनी जेब से पैसा खर्च करने के बावजूद भी हमें हर जरूरी काम के लिये छोटे-बड़े सभी संबंधित लोगो से काम करवाने के लिए हर किसी का इंतज़ार करना पड़ता है। एक जनसाधारण को सबसे अधिक इंतज़ार हमारे सरकारी बाबू करवाते है। क्या ऐसा नही लगता कि हमारे यहां लोग सरकारी नौकरी केवल दो चीजो के लिये ही करते है। पहली तनख्वाह और दूसरी छुट्टीयां लेने के लिये। दूसरों को इंतज़ार करवाते-करवाते इन लोगो को खुद भी हर काम में इंतज़ार करने की आदत सी पड़ जाती है नतीजतन हर काम में प्रतीक्षा करते-करते उनकी यह आदत उन्हें दूसरो की अपेक्षा बहुत पीछे छोड़ देती है। जबकि परिश्रमी लोग बिना किसी को इंतज़ार करवाएं अपना हर काम समय पर करते है और बिना किसी से कुछ भी कहें समय के साथ तेजी से आगे बढ़ते रहते है।
कुछ लोगो का मानना है कि इंतज़ार का फल मीठा होता हैपरन्तु अक्सर इंतज़ार में एक-एक पल बरसो की तरह बीतता है। हर इंतज़ार में सिर्फ दर्द ही छिपा हो ऐसा भी नही है। बूढें माता-पिता को परदेस में बसे अपने बच्चो काबच्चो को अपने दोस्तो कादोस्तो को अपने प्रियजनों के इंतज़ार में भी एक आशाएक उम्मीद दिखाई देती है। प्रेमी-प्रेमीका को अपने मधुर मिलन का इंतज़ार मधु की तरह मीठा लगता हैक्योकि वो जानते है कि जुदाई की रात कितनी भी लंबी क्यूं न हो एक दिन तो सुहानी सुबह का इंतज़ार खत्म हो ही जायेगा। एक और जिंदगी में हर किसी को अपनी मंजिल पाने का मीठा सा इंतज़ार रहता हैवही जिंदगी के आखिरी पलों में मृत्यु शैया पर मरती आखों को मोक्ष पाने की आस में आखिरी सांस का इंतज़ार करना पड़ता है।
समझदार लोग तो यही मानते है कि समय सर्वाधिक अमूल्य है अत: हमें इसे एक दूसरे के इंतज़ार में बेकार गवाने की जगह सदैव इसका सदृपयोग करना चहिए। यदि इंतज़ार की इस बुरी लत को खत्म करना है तो उसके लिये केवल दृढ़ निष्ठासंकल्प और इच्छाशक्ति की जरूरत हैइन सभी के आगे इंतजार का टिक पाना अंसभव है। इंतजार के बारे में बात करते-करते पता ही नही लगा कि कब इंतजार खत्म हो गया। जौली अंकल यह वादा करते है कि अब आपको और इंतजार न करवाते हुए जीवन से जुड़े किसी और खास पहलू पर सुदर सा लेख जल्द ही आपकी खिदमत में पेश करेगे। 

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