एक बार हमारे प्रिय दोस्त मिश्रा जी का फैक्ट्री में काम करते समय दुर्घटना के दौरान मशीन में आकर हाथ कट गया। हम अपने परिवार के साथ उन का हालचाल पूछने उन के घर पर गये। मिश्रा जी के बाये हाथ पर बड़ी सी पट्टी बंधे देख हमने अफसोस जताते हुए कहा कि यह तो बहुत ही बुरा हुआ। पास बैठे मिश्रा जी के एक रिश्तेदार ने कहा कि चलो फिर भी शुक्र है भगवान का कि बायां हाथ ही कटा है, यदि दायां हाथ कट जाता तो रोजमर्रा के सभी काम करने और भी बहुत मुशकिल हो जाते। मिश्रा जी ने भी थोड़ी और अधिक चतुराई दिखाने की चाह में ढींग मारते हुए बोले कि मशीन में आया तो मेरा दायां हाथ ही था, लेकिन मैने झट से दायां हाथ निकाल कर अपना बायां हाथ आगे कर दिया, इसी कारण मेरा दायां हाथ कटने से बच गया।
मिश्रा जी के साथ इतना बड़ा दर्दनाक हादसा होने पर जब उन्हीं के उस रिश्तेदार ने फिर से भगवान का शुक्रीयां अदा किया तो मैं कुछ अंसमजस में पड़ गया। कुछ देर वहां चुप बैठने के बाद जब मेरे से नही रहा गया तो मैने उनसे पूछ ही लिया कि मिश्रा जी जिंदगी भर के लिये अपहिज हो गये है। अब उन्हें अपने बहुत से जरूरी कामों के लिये दूसरो पर निर्भर रहना पड़ेगा। ऐसे में आप फिर भी मुस्कराहते हुए भगवान का शुक्रीयां अदा कर रहे है। हमें तो यह बात बिल्कुल अच्छी नही लगी। अपनी आदतनुसार वो फिर हंसते हुए बोले जनाब यह तो कुछ भी नही हुआ, मैं आपको इससे भी खतरनाक किस्सा सुनाता हूँ।
कुछ दिन पहले हमारा एक पड़ोसी अपने व्यापार के सिलसिले में 8-10 दिनों के लिये शहर से बाहर गया हुआ था लेकिन काम जल्दी खत्म हो जाने के कारण वो अचानक अपने कार्यक्रम से दो दिन पहले ही घर वापिस आ गया। जब घर आया तो उसने देखा कि उसकी पत्नी अपने एक पुराने प्रेमी के साथ इश्क फरमा रही थी। उसने झट से अपनी पिस्तौल निकाली और अपनी पत्नी के साथ उसके प्रेमी को गोली मार दी। दोनों को गोली मारने के बाद खुद जाकर थाने में आत्मसमर्पण कर दिया। अब कुछ ही दिनों में उसको फांसी होने वाली है।
इतना सब सुनने के बाद मैने एक लंबी आह भरते हुऐ कहा कि यह तो बहुत ही बुरा हुआ। थोड़ी सी बेवकूफी के चलते बैठे-बिठाये दो हंसते खेलते परिवार सदा-सदा के लिये उजड़ गये। मुझे तो कुछ समझ नही आ रहा कि आपको इसमें भी क्या अच्छाई दिख रही है? अब मिश्रा जी का वही रिश्तेदार बोला कि हम तो हर चीज की तरह इसे भी अच्छा ही मानते है और भगवान का शुक्रीयां अदा करते है। अब मेरा मन और अधिक बैचेन हो रहा था। मुझे लगा कि यह आदमी या तो पागल है या कोई दीवाना। आखिर मैने उस सज्जन से पूछ लिया कि दो लोगो की मौत हो गई, घर का मालिक सारी उंम्र के लिये जेल चला गया, आप इसे भी न जानें क्यूं अच्छा मान कर खुश हो रहे हो? मुझे तो यह सब कुछ बहुत अजीब लग रहा है। उस सज्जन ने बड़े ही शांत मूड में कहना शुरू किया यदि मेरा वो पड़ोसी एक दिन और पहले आ जाता तो अब तक मेरा जनाजा उठ गया होता। इस दर्द भरे महौल में भी इस बात को सुनते ही वहां बैठे सभी लोगो की हंसी छूट गई।
जब तक मिश्रा जी की पत्नी हम सभी के लिये चाय-नाश्ता आदि लेकर आती मैने वहीं पास पड़े एक समाचार पत्र को पढ़ना शुरू कर दिया। जिसमें एक खबर छपी थी कि शहर की सबसे सुंदर और ऊंची इमारत में कल रात आग लग जाने के कारण बहुत से लोग बुरी तरह से जल कर घायल हो गये। इतना सुनते ही मिश्रा जी का वहीं रिश्तेदार फिर से बोला कि शुक्र है भगवान का। मैं बहुत ही हैरान हुआ, कि यह इंसान भी कमाल का है, किस कद्र अजीब-अजीब बाते कर रहा है। अब तो मैंने उससे कह ही दिया कि आप तो हद कर रहे है। पूरी इमारत में आग लग गई, लाखो-करोड़ों रूप्यो की सम्पति का नुकसान हो गया। सारा कीमती सामान जल कर राख हो गया और आप अभी भी कह रहे हो कि शुक्र है भगवान का। उस रिश्तेदार ने कहा कि मैं तो इसलिये भगवान का शुक्रियां अदा कर रहा कि हम लोगो में कोई भी उस इमारत में नही था, वरना आप सोच नही सकते है कि हमारे परिवार वालों और बच्चो के साथ कितना बुरा हो सकता था?
मिश्रा जी के रिश्तेदार की सभी बाते सुनने के बाद हमारा मन भी यही गवाई देने लगा कि भगवान जो कुछ करता है, कुछ न कुछ सोच कर ही करता है। उसके किसी भी काम में हम किसी तरह से भी दखल अंदाजी तो कर नही सकते। फिर मानसिक शंति का आनंद प्राप्त करने के लिए मन को व्यर्थ की उलझनों में क्यूं फंसने दे। ध्यान देने वाली सबसे जरूरी बात यह है कि किसी काम को करने के बाद नहीं, उसे करने से पहले उसके लाभ हानि के बारे में हमें सोचना चाहिए। दुनिया में अस्थायी चीजें बहुत सी हैं परन्तु जीवन जैसी अविश्वसनीय कोई भी चीज नही है।
ऐसे में जौली अंकल का अनुभव तो यही कहता है कि भगवान की लीला अपरमपार है, उसने जो कुछ भी यह दुनियॉ का खेल बनाया है, उसे एक न एक दिन अवश्य नष्ट होना ही है। इसलिये जीवन में कभी भी उम्मीद न खोते हुए हमें हर हाल में सदा ही हंसते-खेलते हुए यही कहना चहिये कि भगवान तेरा लाख-लाख शुक्र है।
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