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मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

आम आदमी

आंधी और तुफान की तरह तेज भागती जिंदगी ने आज हर किसी को एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ ने दीवाना सा बना दिया है। चंद दिन पहले इसी जल्दबाजी के चलते एक कार वाले ने मुसद्दी लाल जी की साईकल को टक्कर मार दी। एक तो चोरी और उस पर सीनाजोरी की कहावत को चिरतार्थ करते हुए कार वाले ने बिना सोचे समझे सारा इलजाम मुसद्दी लाल के सिर पर मढ़ दिया। कार के मालिक ने अपनी दौलत के नशे में तो यहां तक कह डाला की तुम्हारे जैसे साईकल चलाने वाले आम आदमी को सड़क पर चलने की समझ तक नही होती। टक्कर मारने और मुसद्दी लाल जी को बुरी तरह से घायल करने के बावजूद कार वाले ने उनकी मां-बहन को खूब अच्छी तरह से याद किया गया। उसके तुंरत बाद जेब से मोबइल फोन बाहर आ गये और हाथो की उंगुलियां अपनी हस्ती के मुताबिक अपनी पहुंच तक पहुंचने में व्यस्त हो गई। बीच-बीच में कार वाला मुसद्दी लाल जी को धमकी दे रहा था कि तुम मुझे जानते नही कि मैं कौन  हूँ? आखिर मुसद्दी लाल जी ने तंग आकर पूछ ही लिया कि पहले तुम यही बता दो कि भाई तुम हो कौन? अब कार वाले ने कहा कि मैं इस शहर के सबसे बड़े नेता का बेटा  हूँ। मुसद्दी लाल जी ने इतने गंभीर महौल में भी अपनी आदतनुसार मजाक करते हुए कहा कि क्या नेता जी इस बात को जानते है? इतना सुनते ही नेता जी के बेटे का खून खोलने लगा और उसने अपनी गालीयो की बौछार और उनका वजन और अधिक बढ़ा दिया।
इससे पहले की इस दुर्घटना की बात नेता जी के कान तक पहुंचती, पास से गुजरते एक टी,वी, चैनल वाले की नजर मुसद्दी लाल जी जैसे आम आदमी की टूटी हुई साईकल पर पड़ गई। जैसे ही टी,वी, चैनल वालो को यह मालूम हुआ कि साईकल को टक्कर मारने वाला एक बड़े नेता का बेटा है तो उनकी बांछे खिल गई। दिल्ली जैसे बड़े शहर में एक आम आदमी की इतनी दुर्गति देख कर टी,वी, चैनल वालो की पिछले सात जन्मों की हमदर्दी पल भर में आम आदमी के हित में जाग उठी। वो बात अलग है कि चैनल वालों के लिये इससे अच्छी मसालेदार खबर और क्या हो सकती थी। आम आदमी के प्रति सहानुभूति जताते हुए इस छोटी सी खबर को देश की सबसे बड़ी खबर बना दिया। कुछ ही देर में मुसद्दी लाल जी जैसे आम आदमी से लेकर उनके गली मुहल्ले वालो के इन्टरव्यू अलग-अलग टी,वी, चैनलों पर प्रसारित हो रहे थे।
इसीलिये शायद जो नेता अपने मां-बाप तक को नही पहचानते चुनावों के आस-पास वो भी आम आदमी के लिये घर में गाड़ी, पैसे और दारू तक भिजवा देते है। चापलूसी में माहिर नेता एक दिन के लिये ही सही आम आदमी को शंहशाह बना देते है। इसी भ्रंम के चलते भारत देश के गांव से लेकर राजधानी दिल्ली में रहने वाले आम आदमी की हैसीयत चाहे कुछ भी न हो लेकिन वो खुद को किसी से कम नही समझता। क्योकि वो इस बात को अच्छी तरह से समझता है कि हमारे मंत्री और सरकार को यह मालूम है कि यदि राजगद्दी पर टिके रहना है तो आम आदमी को खुश रखना ही पड़ेगा। वो बात अलग है कि चुनावों के बाद आम आदमी के लिए छोटे से छोटे काम को पूरा करने में सरकार बरसों तक का समय लगा देती है। कहने को सड़क से लेकर हर शहर में पुलों तक का निर्माण केवल और केवल आम आदमी के लिए किया जाता है। कुछ लाखों रूप्यों के बजट में होने पर काम पर करोड़ो-अरबों रूप्ये खर्च करने के बाद भी सड़क और पुल केवल सरकारी फाईलों में ही दिखाई देते है।
आम आदमी की हस्ती चाहे कुछ भी न हो परंतु हमारे नेता लोग इसकी नराजगी से बचने के लिये चुनावों में किये गये वादो में से कुछ को पूरा करने का अक्सर इन्हें झांसा देते रहते है। सारी दुनियां के लिए चावल, दाल 50 रूप्ये किलो बिकती है परंतु आम आदमी के लिए सरकार इसे दो रूप्ये किलो बेचती है। बाकी लोगो के लिए बिजली के दाम चाहें आकाश को छू रहे हो, लेकिन आम आदमी के लिए यह मुफत बिजली देने का दम भरते है। वो बात अलग है कि आम आदमी को दो रूप्ये किलो वाली दाल और चावल कभी सपने में भी देखने को नही मिलते। मुफत में मिलने वाली बिजली रानी के दर्शन तो शायद आज तक कभी किसी आम आदमी को नही हुऐ होगे। हमारे देश के नेता यह जानते हुए भी कि उन्हें सारी शक्ति आम आदमी से ही मिलती है वो कभी भी आम लोगो के लिए बराबर न्याय की बात सोचते तक नही। ऐसा लगता है बिना भ्रष्टाचार और पक्षपात के काम करना उनके स्वभाव में ही नही है। हालिंक राजनेता का मुख्य दायित्व जनसेवा ही होता है और हर मंत्री को आम आदमी का सच्चा सेवक होना चहिए, परंतु व्यवाहरिक जीवन में ऐसा नही होता। हमारे देश में राजनीति कुछ लोगो के लिए सिर्फ पैसा कमाने और मनोविनोद का साधन बन कर रह गया है। आज आम आदमी के कान नेताओं के झूठे वादे सुन-सुन कर पक चुके है, इससे आगे कुछ और सुनने की हिम्मत उसमें नही बची।
आम आदमी की और से जौली अंकल देश के रहनुमाओं से यही अनुरोध करते है कि आपके पास धन, दौलत और ताकत सब कुछ है। इन्ही के बल पर हर कोई आम आदमी को झुकाने की कोशिश करता है, असल में जरूरत है खुद को थोड़ा सा झुकाने की, क्योंकि जनहित के कार्यो से ही इंसान महान बनता है। नेता लोग चाहे कितने ही ऊंचे ओदे पर क्यूं न पहुंच जाये उन्हें यह बात जीवन में कभी नही भूलनी चहिये कि आम आदमी की आवाज ही ईश्वर की आवाज होती है। इसलिये सदैव अपने जीवन काल में नंम्र बनो तो आम आदमी आपको नमन करते हुए हर कार्य में सहयोग देगा।

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