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मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

बातचीत की महान कला का रहस्य है खामोशी

एक नेता की पत्नी ने बहस करते हुए कहा कि मेरे पति तो किसी भी मुद्दे पर घंटो बोल सकते है। सामने बैठी दूसरे नेता की पत्नी ने अंहकारवश कहा कि यह तो कुछ भी नही मेरे पति तो चुनावों के दौरान बिना किसी मुद्दे के घंटो भाषण दे देते है। बात घर की हो या राजनीति की, मंहगाई की हो या मौसम की, देश में फैले भ्रष्टाचार की हो या नेताओं से जुड़े घोटलों की। यदि हम दुनियांदारी की सभी बातो को छोड़ भी दे तो ऐसे बहस करने वाले वक्ता भगवान को ही अपनी बहस का मुद्दा बनाने से नही चूकते। कभी कभार जब कोई भी मुद्दा समझ न आ रहा हो तो बहस करने वाले बिना किसी मुद्दे के ही अपना अनमोल समय घंटो बहस में बिता देते है।
आजकल किसी के पास घर दफतर के जरूरी काम के लिये समय हो या न हो लेकिन फालतू की बहस करने के लिये उन्हें न तो किसी खास विषय की जरूरत महसूस होती है और न ही किसी मुद्दे की। हमारे देश में बहस करने के शौकीन लोगो को भगवान ने न तो मुद्दो की और न ही समय की कोई कमी दी है। बहस करते समय यह सभी लोग अपना खाना-पीना और अन्य सभी जरूरी काम तक भूल जाते है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह लोग सुबह सैर करने से लेकर, बस, गाड़ी में सफर करते हुए, राशन की लाईन में खड़े-खड़े या कहीं भी किसी भी बात को बहस का मुद्दा बना कर अपने साथ-साथ आसपास के सभी लोगो के लियें मुफत का मनोंरंजन शुरू कर देते है।
बहस करने वालों को इस प्रकार की चुस्कीयों में इसलिये भी बहुत आंन्नद मिलता है क्योकि बिना किसी मुद्दे के बहस करने के लिये न तो किसी शोध और न ही किसी तर्क की जरूरत होती है। कई लोग तो बिना किसी विषय की खोजबीन किए ही केवल बहस के बल पर हीरो बनने का दमखम रखते है। यह लोग विषय को अच्छी तरह से समझते है या नही, बहस के मुद्दे के बारे में कुछ ज्ञान है या नही, इससे इन्हें कुछ फर्क नही पड़ता। अब बाकी लोगो का यह हाल है तो आप सोच सकते है कि दारू पीकर बहस करने वालो का क्या हाल होता होगा? ऐसे लोग दारू के नशे में अपने दिमाग को भी पूरी तरह से ताला लगा कर बिना सिर पैर के मुद्दो पर पार्टीयों में घंटो बहस करते देखे जा सकते है।
बहस में कामयाब होने के लिये सिर्फ अपनी आधी-अधूरी जानकारी को सच साबित करने के लिये एक ही बात को बार-बार जोरदार आवाज में कहना आना चाहिये। यदि फिर भी कोई आपकी बात न माने तो आप शोर मचा कर और ऊंची आवाज में बोल कर लगातार बहस करते हुए आप अपनी गलत बात को सही साबित कर सकते है। इतना सब कुछ होने पर भी कोई आपकी बात से सहमत नही हो पाता तो भी ऐसे लोगो को इस बात से कोई सरोकार नही होता।
बहस करने वाले अक्सर यह भूल जाते है कि जो लोग बिना पूर्ण जानकारी के बहस में उलझते है उन्हें कभी भी सम्मान नही मिल पाता। इस तरह के लोग अपनी गर्दन ऊंची रखने की चाह में सदा मुंह के बल गिरते है। किसी विषय पर कितनी ही बहस करने पर भी चाहे उस का कोई हल न निकले लेकिन हम सभी को इस प्रकार के वाद-विवाद में खूब मजा आता है। सत्य यही है कि हमें बिना मुद्दो के बहस करना अच्छा लगता है, क्योंकि हमें ऐसे विषयो को सुलझाने के लिये किसी तरह से भी न तो कोई मेहनत करनी पड़ती है और न ही अपना दिमाग लगाना पड़ता है। परन्तु बिना तथ्यों के क्या किसी भी बात को स्वीकार किया जा सकता है? यदि कोई ऐसा करता है तो इसे उस इंसान की कमजोरी ही कहां जायेगा।
हर मुद्दे पर हम सभी के विचारो में अन्तर हो सकता है, लेकिन एक अच्छा इंसान होने के नाते हमारे स्नेह में कभी अन्तर नही होना चाहिए। हमारी वाणी ही हमारे साथ रहने वाले लोगो को हमारा दोस्त या दुश्मन बनाती है। बिना किसी मुद्दे के बहस करने और बड़ी-बड़ी बातें बनाने के बजाय हमें छोटे-छोटे नेक कामों से पहल करनी चहिये। कुछ न कुछ बुराई या कमी तो सब में होती है, लेकिन दूसरो को इसके बारे में बताने की बजाए पहले हमें अपनी कमीयों को भी देख लेना चाहिएं। हर विषय पर बड़े दावे करने से पहले हमें स्वयं की खोज के लिए स्वयं के प्रति सच्चा बनना पड़ेगा। ज्ञानी लोगो का कहना है कि एक समय के बाद हर इंसान मर जाता है परंन्तु उसके विचार हमेशा जिंदा रहते है।
यह तो कमाल ही हो गया, बिना किसी विषय के बारे में सोचे-समझे बहस करते-करते यह तो पूरा लेख ही बन गया। जौली अंकल अब इस बहस को और अधिक न बढ़ाते हुए केवल यही संदेश देना चाहते है कि बातचीत की महान कला का रहस्य है - खामोशी।

13 टिप्‍पणियां:

दीपक भारतदीप ने कहा…

आपका ब्लाग देखा। बहुत बढ़िया है और मजा आ गया। मुझे यह पता नहीं कि आपका यह ब्लाग ब्लागवाणी या चिट्ठाजगत पर दिखता है कि नहीं। अगर नहीं दिखता तो आप वहां जरूर पंजीकृत करायें। वहां पाठक बहुत सारे मिलेंगे। हिन्दी में आप जैसे स्वतंत्र तथा मौलिक लेखक अंतर्जाल पर उसे नया स्वरूप प्रदान करेंगे इसमें शक नहीं है। आपके इसी ब्लाग को उसी ब्लाग पर लिंक दे रहा हूं जिस पर आपने टिप्पणी लिखी है।
दीपक भारतदीप

सहसपुरिया ने कहा…

good post
keep it up

बेनामी ने कहा…

"बहस करने वाले अक्सर यह भूल जाते है कि जो लोग बिना पूर्ण जानकारी के बहस में उलझते है उन्हें कभी भी सम्मान नही मिल पाता। इस तरह के लोग अपनी गर्दन ऊंची रखने की चाह में सदा मुंह के बल गिरते है। ....बातचीत की महान कला का रहस्य है - खामोशी।"
पते की बात.

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

आपसे मिलकर अच्छा लगा

irshad ने कहा…

bahut khub

प्रदीप कांत ने कहा…

बातचीत की महान कला का रहस्य है - खामोशी।

सुनील गज्जाणी ने कहा…

jolly uncle ancle , pranam,
bilkul sahi kaha aap ne . is sandharb me apne rajastha ki ek kahavat kahna chahuga ki akasar log'' DHOOD {RET} ME LATTH ME MAAR NAA ''aise log hansi ke parta ban jate hai ho aadhi adhuri zankri ke dhood me latth marte hai.
thanks

Dr. Shashi Singhal ने कहा…

वाह जौली अंकल , एकदम सटीक बात कही है ..

Shabad shabad ने कहा…

आपका ब्लाग देख बहुत बढ़िया है ....

"हमारे देश में बहस करने के शौकीन लोगो को भगवान ने न तो मुद्दो की और न ही समय की कोई कमी दी है"
Bilkul sahee kha aap ne....
"Bahes main kissi ko khuda milta nahee
suljha rha hai dor ko aur sira milta nahee"

Hardeep

Kapila ने कहा…

Bohat acha likha apne. India mein hi nahi India se bahar rehne wale Indians mein se bhi kuch log aise hain jo bina kisi jankari ke behas karne se baj nahi ate.

Dr. Tripat Mehta ने कहा…

wah wah behetarien...

log on http://doctornaresh.blogspot.com/
m sure u will like it !!!

aapki post batiya to anmol hai...i loved it !!! :))

Dr. Tripat Mehta ने कहा…

http://liberalflorence.blogspot.com/
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JOLLY UNCLE - Writer & Graphologist ने कहा…

आशीर्वाद देने के लिए आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया............
जोली अंकल