- वादा करना जितना आसान होता है, उसे निभाना उतना ही मुशकिल।
- प्यार जताना बहुत अच्छा लगता है, पर उसे निभाना एक बोझ प्रतीत होता है।
- जीत सभी को अच्छी लगती है, हार को स्वीकार करना बहुत तकलीफ देह होता है।
- खुद को सुधारने की बजाए दूसरों की आलोचना करने में बहुत आंन्नद महसूस करते है।
- पूनम की रात का चंद्रमा बहुत खूबसूरत लगता है, अंधेरी रात के नाम से दिल कांपता है।
- किसी को ठोकर लग गिरते देख अच्छा लगता है, गिरे हुए को उठाना भारी महसूस होता है।
- दूसरों की कमियां निकालना बहुत आसान है, अपनी कमियों को देखना बहुत कठिन होता है।
- दूसरों के लिए कानून बनाना अच्छा लगता है, खुद उन्हीं को अपनाने में हमें तकलीफ होती है।
- अपनों को खोने का बहुत दर्द होता है, लेकिन उन्हें खोने से पहले हम उनकी कद्र नही करते।
- बार-बार रोजमर्रा की जिंदगी में गलतीयां करने के बावजूद भी हम उससे कुछ सीख नही लेते।
- तोहफे लेना तो हमें बहुत अच्छा लगता है, परन्तु तोहफा देते समय हमें यह भारी बोझ लगता है।
- सुधार करने के बारे में हम बातें तो बहुत करते है, लेकिन उसे अमल में लाने का प्रयत्न नही करते।
- हर रात सपने देखना हमें बहुत भाता है, असल जीवन में उन्हें पूरा करने से हम खुद ही कतराते है।
- बातो-बातो से हर किसी को खुश करना आसान होता है, व्यावहारिक तौर पर निभाना उतना ही कठिन।
- किसी को माफी देने में हमें बड़ा सुकून मिलता है, खुद माफी मांगते समय हमारा अंहकार आढ़े आता है।
- जीवन में सदा अच्छा ही देखने को मन करता है, बुरे वक्त के बारे में सोचते ही हमारी आत्मा तक कांप उठती है।
- दूसरों की कमियों को उजागर करने में हम गर्व महसूस करते है, अपनी कमीयों पर हहर कोई कोई पर्दा डालता है।
- इन नसीहयतों को पढ़ना तो बहुत अच्छा लग रहा है, लेकिन इन्हें अमली जामा पहनाना तो अपनी पहुंच से बाहर लगता है।
- बिना सोचे-समझे किसी को कुछ भी कहना बहुत सरल लगता है जबकि अपनी ही जुबान पर काबू रखना हमारे लिए एक कठिन कार्य है।
- जो हमें प्यार करता है, उसे ठेस पहुंचाने में हम पल भर की भी देरी नही लगाते, जबकि हम यह जानते है कि उस जख्म को भरना नमुमकिन होता है।
इसीलिए तो जौली अंकल सदैव यही कहते है कि दूसरों को सच की शिक्षा देने से पहले खुद झूठ बोलना छोड़िए। स्वयं में दैवी गुणों का आहवान करने का प्रयत्न करो तो अवमुण खुद ही भाग जाएंगे। सच्चा ज्ञान वही है, जो अपने ज्ञान से दूसरों को लाथन्वित कर सके। यदि सुखमय जीवन का आंनद लेना है तो हमें इस कथनी और करनी के फर्क को सच्चे मन से मिटाना होगा।