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बुधवार, 18 नवंबर 2009

हैरान-परेशान

एक बार दो आदमी मर कर जब स्वर्ग में पहुंचे तो पहले आदमी ने दूसरे से पूछा कि तुम तो अभी देखने में भले चंगे लग रहे हो फिर अचानक यहां कैसे पहुंच गये? उसने कहा कि मैं तो अपने जीवन की सबसे बड़ी हैरानगी के कारण मारा गया। जब विस्तार से इस बारे में जानने की कोशिश की तो उसने बताया कि कुछ दिन पहले मैने अपने घर में अपनी पत्नी को किसी पराये आदमी के साथ बैठे देखा था। लेकिन मुझे उस समय बहुत हैरानगी हुई जब मैने सारा घर छान मारा लेकिन मुझे वो आदमी कहीं नही मिला। इसी हैरानगी के चलते मेरी हार्ट अटैक से मौत हो गई। अब पहले आदमी ने अपनी मौत का रहस्य बताते हुए कहा कि मैं तो तुम्हारी इसी बेवकूफ भरी परेशानी के कारण मारा गया  हूँ क्योंकि तुम्हारे शक्की स्वभाव और गुस्से से डरते हुए तुम्हारी पत्नी ने मुझे फ्रिज के अंदर छिपने को कह दिया था। अब लगातार इतनी ठंड की परेशानी मुझ से बर्दाशत नही हो पाई और मुझे दुनियां को समय से पहले ही अलविदा कहना पड़ा। पागल आदमी अगर तूने एक बार फ्रिज को खोल कर देख लिया होता तो आज भी हम दोनो जिंदा होते।
हैरानगी और परेशानी की बात करे तो आम आदमी को यह दोनों तोहफे देने में सबसे बड़ा हाथ समाचार पत्रो का है। आजकल आप सुबह-सुबह कोई भी समाचार पत्र उठा कर देखो तो आपको उसमें दूर-दूर तक हमें सुकून देने वाली कोई खबर दिखाई नही देती। जी हां अब आप सोच रहे होगे कि यदि समाचार पत्र में कोई अच्छी खबर नही होती तो उसमें क्या पकोड़े होते है? अजी जनाब यदि सुबह-सुबह गर्मा-गर्म पकोड़े भी खाने को मिल जाये ंतो इससे अच्छी बात क्या होगी? परन्तु हमारे समाचार पत्र तो एक से बढ़ कर एक हैरान और परेशान करने वाली खबरे ले कर आते है। एक खबर जहां किसी को थोड़ा बहुत हैरान करती है, वही उसी खबर से कुछ लोग परेशान हो उटते है। आजकल कई बार तो यह हैरानगी होती है कि जहां कुछ समय पहले तक लाखो रूप्ये के घोटलो से जनता महीनों हैरान रहती थी, आज नेताओ द्वारा करोड़ो रूप्ये के घपले करने पर भी जनता को कोई परेशानी नही होती। हां उस समय देशवासीयों को जरूर थोड़ी हैरानगी और परेशानी होती है जब घपलों में लिप्त होने के सारे सबूत मिलने के बावजूद भी हमारे नेता बिल्कुल पाक साफ घोषित करके पहले से भी बड़े मंत्री पद पर सुशोभित हो जाते है।
आजकल कोई समाचार पत्र कितनी ही बड़ी और झटके देने वाली खबर क्यूं न छाप ले, लेकिन देशवासीओ की याददाश्त चंद ही दिनों में धूमिल पड़ने लगती है। लोगो की ऐसी सोच शायद इसलिये बन गई है क्योंकि हर कोई जानता है कि सड़क पर चलते एक जेब काटने वाले के लिये तो हमारे यहां हर प्रकार का कानून और सजा का प्रवाधान है, लेकिन जनता की गाढ़ी कमाई से अरबो रूप्ये का हेर-फेर करने वाले नेताओ के सामने कानून खुद को लाचार और बेबस पाता है।
ऐसा ही कुछ दिन पहले उस समय हुआ जब एक गरीब मां-बाप के बेटे बराक औबामा, जो अब अमरीका के राष्ट्रपति बन चुके है। उन्हें उनके सैक्ट्री ने उठा कर यह बताया कि उन्हें नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है तो उनके साथ-साथ पूरा वाइट हाऊस हैरान हो गया। जैसे ही मीडियां ने इस खबर को टी,वी, के माध्यम से सारी दुनियां तक पहुंचाया तो कई देशो के बड़े-बड़े नेता परेशान हो उठे, कि चंद दिनों में ही औबामा साहब ने ऐसा कौन सा करशिमा कर दिखाया है कि उन्हें यह दुनियां का इतना बड़ा पुरस्कार दिया जा रहा है।
छोटे बच्चो की कल तक नटखट और छोटी-छोटी शरारते जहां हमें पहलें थोड़ा बहुत हैरान करती थी, आज परेशानी का कारण बनती जा रही है। आज जिस किसी को देख लो फिर चाहे वो गरीब हो या दौलत के ढ़ेर पर बैठा कोई सेठ हर कोई जिंदगी से परेशान ही दिखाई देता है। इसका एक खास कारण है कि आज समाज, राष्ट्र व विश्व में लोगो के चरित्र का गिरना। दुनियां की सबसे जटिल समस्याओं का एकमात्र हल है चरित्र। चरित्र बिगड़ जाने पर किसी की कोई प्रतिष्ठा बाकी नही रहती।
छोटी-छोटी जीवन की रूकावटो से परेशान होने की बजाए हिम्मत से आगे बढ़ना और दुखों को हंसी से झेलना ही जिंदगी है। जौली अंकल रोजमर्रा की जिंदगी की हैरानी-परेशानी से बचने के लिए केवल एक ही बात में विश्वास करते है कि यदि आप एक क्षण खुश रहते है तो इससे मेरे अगले क्षण में भी आपके खुश होने की संभावना बढ़ जाती है।  

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