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बुधवार, 18 नवंबर 2009

रोटी से रिश्ता

अपने बेटे गप्पू को दूर से आते देख मिश्रा जी ने उससे पूछा कि सुबह से कहा गायब हो दिखाई ही नही दे रहे। गप्पू ने कहा, जी कहीं नही, मैं तो बस थोड़ी देर पहले रोटी खाने गया था, वहीं से ही आ रहा  हूँ। अच्छा जरा यह तो बता दो कि अब तुम इतनी जल्दी में कहां भागे जा रहे है? जी मां ने दिन के खाने के लिये बुलाया है, मैं वहीं खाना खाने जा रहा  हूँ। बहत अच्छे, मिश्रा जी ने कहा यदि तुम्हें खाने से फुरसत मिले तो जरा अपना शाम का प्रोग्राम तो हमें बता दो। गप्पू ने कहा जी कुछ खास नही बस एक दोस्त के घर जाना है, उसने खाने के लिये बुलाया है। बचपन से मां-बाप अपने हर बच्चे को यही समझाते है कि खाना कभी भी इस तरह से मत खाओ कि कोई मर्ज हो जाये। इतना सब कुछ समझने के बावजूद भी कुछ लोग इतना अधिक खाते है जैसे वो जीने के लिये नही सिर्फ खाने के लिये ही जी रहे हो। हालिंक कई बार ऐसे लोग अपने साथ-साथ सभी परिवार वालों के लिये भी परेशानी खड़ी कर देते है।
घर की रोटी जैसा तो कोई पकवान हो ही नही सकता, मगर जब कुछ लोगो को कभी-कभार मुफत की बढ़िया सी दावत खाने का मौका मिल जाये ंतो पेट भर जाने पर भी ऐसे लोगो की नीयत नही भरती। कुछ दिन पहले मिश्रा जी के बेटे को भी पड़ोस में शादी के एक उत्सव में खाने का न्योता मिला। वहां गर्मा-गर्म हलवा, पूरी और मख्खन वाले नान बनते देख उससे रहा नही गया। एक के बाद एक न जाने कितने ही तन्दूरी नान उसने वहां खा लिये। अब घर पहुंचते ही पेट दर्द से उसकी जान निकलने लगी। दर्द से कहारते हुए उसके मुंह से एक ही आवाज बार-बार निकल रही थी कि ऐ भगवान या तो मेरे अंदर से नान निकाल दे या मेरी जान निकाल दे, अब यह दर्द और बर्दाशत नही होता।
भगवान ने इंसान और रोटी का बहुत ही अजीब रिश्ता बनाया है। कमाल की बात तो यह है कि आदमी अमीर हो या गरीब जन्म से लेकर जिंदगी के अंतिम क्षणों तक रोटी खाते-खाते न तो इंसान का पेट भरता है और न ही मन। वो बात अलग है कि एक रईस की थाली में एक से एक बढ़िया पकवान परोसे जाते है और एक गरीब मजदूर कभी किसी बड़े घर की झूठन और कभी नमक की डली के साथ सूखी रोटी से अपने पेट की आग को बुझाने का प्रयास करता है। पशु-पक्षीयों से लेकर इंसान तक हर कोई सुबह की रोटी खाते ही रात की रोटी का जुगाड़ बनाने के लिये घर से निकल पड़ता है। रात को जैसे ही रोटी खाकर सोता है, तो सपने में सुबह की रोटी की चिंता सताने लगती है। भगवान ने हमारे जीवन की सभी सुविधाऐं तो हमारे आसपास ही हमें दी है, परन्तु हमें अपने हिस्से की रोटी कमाने के लिये घर-परिवार को छोड़ कर एक शहर से दूसरे शहर और कई बार तो परदेस तक जाना पड़ता है। रोटी कमाने की मजबूरी में इंसान कई बार बरसों तक अपने परिवार के सदस्यों और प्रियजनों की शक्ल तक देखने को तरस जाता है।
जब तक बच्चे मांता पिता पर आश्रित होते है, उस समय तक उन्हें घर के खाने में बीसियों कमियां दिखाई देती है। बच्चो को रोटी की असली कीमत उस दिन मालूम पड़ती है, जब वो अपने परिवार, खासतौर से मां से दूर हो जाते है। अपने हाथो से अनगिनत कमाई हुई दौलत भी उन्हें मां के हाथ की रोटी की मिठास और स्वाद नही दे पाती। जिस दिन से उन्हें रोटी कमाने के लिये खुद हाथ पैर चलाने पड़ते है, उस समय ऐसे लोग हर प्रकार के जायज-नजायज काम यहां तक की पाप करने से भी नही चूकते। यह लोग इस बात की एमहियत को भी भूल जाते कि अधर्म से की हुई कमाई की गिनती तो अधिक हो सकती है, परंतु बरकत ईमानदारी की कमाई में ही होती है। सबसे मीठी रोटी तो वो होती है, जो अपनी मेहनत और पसीने की कमाई से बनती है।
दो वक्त की रोटी कमाने के लिये आदमी दिन रात पागलों की तरह दौड़ता रहता है। कोई इंसान कितना भी कमा ले लेकिन एक समय में दो-चार रोटीयों से अधिक नही खा सकता। इसीलिये शायद कहते है कि जिस इंसान के पास संतुष्टि नहीं वह धनवान होते हुए भी सबसे बड़ा गरीब है, जबकि सन्तुष्ट गरीब अपने आप में बहुत अमीर होता है। इस बात से इंकार नही किया जा सकता कि कई बार भरसक प्रयत्न करने पर भी सफलता नहीं मिलती तो ऐसे में आप फल देने का काम परमात्मा पर छोड़ दें। जो लोग अपनी किसी न किसी कमी के कारण अपने परिवार के लिये अच्छे से रोटी नही कमा पाते वो अक्सर किस्मत को दोष देने लगते है, जबकि सच्ची लगन से मेहनत करने वाले तो किस्मत तक को बदल डालते है। मसला चाहे किसी लक्ष्य को पाने का हो या रोटी कामने का यदि आपके मन में दृढ़ निश्चय व विश्वास है तो आपकी विजय निश्चित है, अगर आपका संकल्प कमजोर है तो आपकी पराजय को कोई नही टाल सकता।
अब मसला चाहे रोटी कमाने का हो या अन्य किसी कार्य का यदि आप हर कार्य खुशी से करेंगे तो कोई भी काम आपको कभी मुश्किल नही लगेगा। रोटी कमाने और खाने के मामले में जौली अंकल का फंडा तो बिल्कुल आईने की तरह साफ है। उनका कहना तो यही है कि रोटी से रिश्ता बनाने के लिये काम तो सभी करते हैं लेकिन सफल वही होता है जिसका अंदाज सबसे अलग होता है।   

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