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बुधवार, 18 नवंबर 2009

दादागिरी

एक बार चमकू के दादा घर की परेशानीयों के कारण किसी गहरी सोच में बैठे थे। चमकू वहीं बरामदें में खेल रहा था कि अचानक उसकी गेंद दादा जी के सिर में जा लगी। अब दादा जी ने न आव देखा न ताव चमकू को दो-चार जोरदार थप्पड़ लगा दिये। कुछ देर के बाद जब सब कुछ सामन्य सा हो गया तो चमकू ने अपने दादा से पूछा कि क्या आपके दादा भी आपको मारते थे? दादा ने कहा, हां हमसें जब भी कोई गलती हो जाती थी, तो हमारे दादा तो हमें छड़ी से बहुत बुरी तरह से मारते थे। अब चमकू की चिन्ता और बढ़ गई। फिर उसने दादा से पूछा कि क्या उनके दादा भी उनको मारते थे? चमकू के दादा ने कहा, कि मैने यह सब कुछ देखा तो नही लेकिन वो भी उन्हें जरूर मारते होगे। आखिर तुम यह सब कुछ मेरे से क्यूं पूछ रहे हो। चमकू बोला, दादा जी मैं तो सिर्फ इतना जानना चाहता  हूँ कि आखिर यह दादागिरी कब तक चलेगी?
चमकू के दादा को उसकी इस सोच ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया, कि दादा सच में कोई डरावनी वस्तू का नाम है। आज भी अनेक घरों में बच्चे तो क्या शादीशुदा और बाल-बच्चो वाले लोग भी अपने बर्जुगो के सामने अपने दिल की बात कहने से घबराहते है। इसी के चलते कई बार घर की छोटी-छोटी गलतफहमीयॉ बहुत बड़े झगड़ो में बदल जाती है। घर की बात पुलिस थाने और कोर्ट-कचहरीयों तक पहुंच जाती है।
आज समय बिल्कुल बदल गया है, एक तरफ जहां बच्चे बहुत ही तेज-तरार और मार्ड़न होते जा रहे है। दूसरी तरफ मां-बाप के जरूरत से अधिक लाड-प्यार ओैर हर चीज की असानी से प्राप्यता बच्चो को बहुत ही नाजूक बनाती जा रही है। जरा सी बात पर बच्चे खुदकशी करने की धमकी देने लगते है। कुछ बच्चे तो बिना सोचे-समझें ही हल्की फुल्की तकरार के कारण झट से मौत को गले लगा लेते है।
हमारे बर्जुग चाहें कुछ भी कहें लेकिन वो इस बात से इन्कार नही कर सकते की उन्होने ने भी बदलते मौसम के साथ जीवन के सभी रंग देखे है। बचपन में उन्होने भी घर और स्कूल में कोई न कोई मस्ती जरूर की होगी। मां-बाप से कभी-कभार ही सही लेकिन जीवन में झूठ भी बोला होगा। यह सच है कि आज उंम्र्र के तजुरबे के साथ हमारे बर्जुग ंजिदगी की बरीकीयों को खूब समझते है, हर विषय में उनकी बहुत अच्छी पकड़ होती है। इन सब बातो के साथ अगर वो अपने चेहरे से दहशत का मुखोटा उतार दे तो घर के सभी सदस्यों के बीच दिलो की दूरियॉ सदा के लिये खत्म हो सकती है। घर में पोते-पोतीयों के जंन्मदिन पर कुछ देर के लिये ही सभी घरवालों के बीच बैठ कर अपनी खुशी का खुले दिल से इजहार करे। परिवार में हर खुशी के मोके पर सभी दोस्तो और रिश्तेदारो के साथ मिलकर जिंदादिली से उन पलो का आनन्द ले। ऐसे मोको पर घर में बने हर प्रकार के खाने का भी रसास्वाद करे, लेकिन अपनी सेहत का ध्यान रखते हुए, जिससे की बाद में आपको किसी दिक्कत का सामना न करना पड़े।
हमें अक्सर डर लगता है, कि अगर हम बच्चो के साथ मिलकर बच्चो वाली नटखट हरकते करेगे तो लोग क्या कहेंगे? आप इन सब बातो को भूलकर अपने परिवार की खुशी के लिये हर पल को अपने ही ढंग से जीने का प्रयत्न करो। जीवन के इन छोटे छोटे बदलावो से आपके घर के साथ-साथ पूरे समाज की सोच को एक नई दिशा मिलेगी। जौली अंकल का मानना है, आपके चेहरे पर रौनक और खुशी देखकर न सिर्फ आपके घरवालों के चेहरे खिल उठेगे ब्लकि आपके घर का हर कोना भी खुशीयों से झूमनें लगेगा।  

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