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शनिवार, 16 जनवरी 2010

आखिरी पहर

कुछ दिन पहले चुनाव अधिकारी जब मेरे पड़ोसीयों के घर मतदाता पहचान पत्र बनाने के लिए आये तो उन्होने घर की मालकिन से उसकी उंम्र जाननी चाही तो उसने झट से कह दिया कि 25 साल। पीछे खड़े उसके पति ने उसे डांटते हुए कहा कि इनको बिल्कुल ठीक-ठीक जानकारी देनी होती है। तुम 25-30 साल पहले भी खुद को 25 साल का कहती थी। आज भी अपने आप को 25 साल का बता रही हो। तुम क्या सारी उंम्र 25 साल की ही रहोगी?
उस औरत ने पलटवार करते हुए कहा कि मैं तुम्हारी तरह नही हूँ कि एक बार कुछ कहूं और कुछ देर बाद कुछ और। मैं तो जो भी बात एक बार कह देती  हूँ, हमेशा उसी पर कायम रहती  हूँ। पति ने कहा, मेरे से बाद में झगड़ा कर लेना पहले अधिकारीयो को अपनी उंम्र ठीक से बता दो। अब वो औरत बोली कि आप लिख दो 25 साल और कुछ महीने। अधिकारी ने कहा कि कितने महीने? परेशान पति बोला, जी आप 25 साल और 150-200 महीने लिख दो।
सिर्फ औरते ही नही आदमी भी बुढ़ापे के नाम से घबरा कर अपने बालो को रंग और चेहरे पर अनेक प्रकार की क्रीम लगा कर अपनी उंम्र को छुपाने की कोशिश करते है। कारण कोई भी हो इन्सान उंम्र के किसी भी पढ़ाव पर अपने आप को बुढ़ा मानने को तैयार नही होता। बुढ़ापे के नाम से ही लोगो को घबराहट और चिंता सताने लगती है। हालंकि आज तक चिंता करने से कभी किसी सम्सयॉ का हल नही निकला। उल्टा ंचिंता आदमी को चिता के और नजदीक ले जाती है।
हम भारतीय बहुत खुशनसीब है कि अभी तक हमारे देश में पूरे परिवार के सभी सदस्य बर्जुगो को बहुत ही इज्जत और प्यार देते है। जब कभी कोई विदेशी हमारे यहां आते है तो वो यह देख कर हैरान होते है कि हमारे यहां किस तरह से बच्चो को बर्जुगो के प्रति भरपूर प्यार, इज्जत और सम्मान करना बचपन से ही सिखाया जाता है। विदेशो की तरह उनको आश्रम में मौत का इंन्तजार करने के लिये नही छोड़ दिया जाता।
अब अगर हम हकीकत को समझने की कोशिश करे, तो पाऐेगे कि आदमी की सोच और विचारो के बदलते ही आदमी का खान-पान, रहन-सहन, यहां तक की उसकी सारी दुनियां ही बदल जाती है। विध्दवान लोग सच ही कहते है कि बुढ़ापा शरीर से नही इंसान की सोच में होता है। हर आदमी के अंन्दर एक अच्छा इंन्सान छुपा होता है, जरूरत है उसे जगा कर बाहर लाने की। जो कोई थोड़ा सा प्रयत्न करते है, उन्हें इस कार्य में सदैव सफलता मिलती है।
आप चाहे एक आम इंन्सान हो या कोई सेलिब्रिटी, आप अपनी पहचान को भुला कर जिंदगी के हर रंग में खुशी पा सकते है। यह बात भी ठीक है कि बढ़ती उंम्र के साथ शरीर में पहले जैसी ताकत नही रहती लेकिन अगर आप मन से अपने आप को जवां महसूस करते है तो आप सदा के लिए जवान रह सकते है। जिंदगी के प्रति सदा सकारात्मक दृष्टिकोण बनायें। बर्जुगो का भी परिवार और समाज की तरक्की में अहम योगदान होता है। आपके ध्दारा किया हुआ एक भी समाजिक नेक कार्य आपको बेशकीमती लाखो दुआऐ दिला देता है।
आप अपनी गली, मुहल्ले या सोसाईटी में होली, दीवाली या नये साल के मौके पर अपनी हिचकिचाहट को मिटा कर बच्चो के साथ-साथ रंगारंग कार्यक्रमों में भाग ले सकते है। इससे आपके अंदर छुपी हुई प्रतिभा को देख कर आपके प्रियजनों को दातों तले उंगुलीयॉ दबाने पर मजबूर होना पड़ेगा। आप जीवन के इस मोड़ पर भी यह साबित कर सकते है कि आपके अंदर पहले जैसा जोश अभी बाकी है। बच्चो की तरह आप सब बर्जुग मिल कर वर्ल्ड सीनियर डे आदि मना सकते है। अपने परिवार के सदस्यो से कुछ अधिक इच्छा रखने की बजाए समय-समय पर उनको मोके के अनुसार कुछ न कुछ तोहफा भेट करे। इससे सारे परिवार का भरपूर स्नेह आपको मिलने लगेगा।
छोटी-मोटे दुख एवं परेशानीयॉ जिंदगी का ही एक अंग है। बच्चो और रिश्तेदारो से अधिक अपेक्षाएं न रखें। अंत में बर्जुगो से एक ही विनती है, कि वो अपनी हर जरूरत और ख्वाहिश को पूरा करने के लिये घर वालो की मजबूरीओ को समझते हुए छोटी-छोटी बातो पर जिद्द न करे। अपनी इच्छा शक्त्ति को थोड़ा सा बढाते हुऐ आत्मविश्वास से घर में शंति के साथ रहने का प्रयत्न करे। इससे आपके जीवन के इस आखिरी पहर से आपकी सभी परेशानीयॉ छूमंतर हो जायेगी। फिर आप देखेगे कि न सिर्फ जौली अंकल बल्कि आपके घर वाले भी सुबह शाम आपको सलाम करेगे।  

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