एक दिन वीरू बहुत देर से दारू और सिगरेट पीते हुए जोर-जोर से रोता जा रहा था। उसके दोस्त जय ने जब उससे रोने का कारण जानना चाहा तो तो उसने कहा कि मैं अपनी गर्ल-फ्रैन्ड़ से बहुत दुखी हो गया हूँ, और उसे भुलाने की कोशिश कर रहा हूँ। जय ने फिर पूछा लेकिन इसमें इतना रोने की क्या बात है? वीरू ने अपने आंसू पोछतें हुए कहा परन्तु मुझे उस गर्ल-फ्रैन्ड़ का नाम याद नही आ रहा कि वो कौन थी? वीरू ने अपने दोस्त जय से पूछा कि जब कभी तेरे से कोई चीज गुम हो जाए या तू उसे रख कर भूल जाए तो तू क्या करता है? जय ने मुस्कराते हुए कहा कि इसमें परेशान होने की क्या बात है, मैं तो बाजार से नई ले आता हूँ। लेकिन गर्ल-फै्रन्ड तो बाजार में नही मिलती, अब मैं क्या करू, यह कह कर वीरू ने नशे में फिर जोर-जोर से रोना शुरू कर दिया।
जय को अब तक समझ आ चुका था कि वीरू ने जरूरत से अधिक नशा कर लिया है। उसने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए उसे समझाना शुरू किया, कि गांधी जी जैसे महापुरष सदैव समझाते रहे है कि शराब इंसान की सबसे बडी दुश्मन है। नशा चाहे किसी भी प्रकार का हो उससे कभी किसी मसले का हल नही निकलता। इससे न सिर्फ हमारे घर-परिवार और पैसे की बर्बादी होती है ब्लकि साथ ही हमारे शरीर और आत्मा को भी बहुत नुकसान पहुंचता है। नशे में टून वीरू ने उसकी बात को काटते हुए कहा, कि तुम्हें तो दारू में सिर्फ बुराईयां ही बुराईयां दिखाई देती है। क्या तुमने कभी विद्ववान लोगो के प्रवचन सुने है, वो हमेशा एक ही बात समझाते है कि दुश्मन को भी गले से लगा कर रखना चहिये। अब यदि मैं शराब को अपने गले से लगा कर रखता हूँ, तो तुम्हें क्या दिक्कत है?
लगता है तुम्हारे जैसे लोग शराब के फायदो के बारे में बिल्कुल कुछ जानना ही नही चाहते, नही तो मेरे साथ ऐसी बात नही करते। हमारे देश में सबसे अधिक बीमारीयॉ पानी से ही फैलती है। पानी में अनेक प्रकार के बैक्टीरयॉ और छोटे-छोटे न जाने कितने ही कीटणु होते है? जबकि दारू तो बिल्कुल साफ-सुथरे फलो का रस निकाल कर बनाई जाती है। इसमें पानी को भी अच्छी तरह से कई बार छननी से छान कर, फिर अनेको बार उबाल कर साफ सुथरे तरीके से डाला जाता है। हर साल हमारे देश में सबसे अधिक मरने वालो की संख्या पानी के कारण ही है, अब वो चाहे पानी की बीमारीयो से मरे हो या बाढ़ से। वीरू ने शराब के नशे में अपनी लड़खड़ाती जुबान से बड़ी मुश्किल से अपनी बात पूरी की।
जय ने वीरू को थोड़ा संभालते हुए कहा कि क्या तुम जानते हो कि हमारे देश में सड़क हादसों में मरने वाले 10 प्रतिशत से अधिक लोग दारू के नशे के कारण मरते है। वीरू ने भी लगता है कि हार न मानने की कसम खा रखी थी, उसने अपने दोस्त की बात काटते हुए कहा कि बाकी के सभी 90 प्रतिशत लोग तो बिना दारू पीये ही मरते है। अब तुम खुद ही देख लो कि बिना दारू पी कर मरने वालों की संख्या हम जैसे लोगो से कितनी अधिक है।
जय अच्छी तरह से जानता है कि हर सफलता की शुरूआत लडखडहाट से ही होती है इसलिए इंसान को कभी घबराना नहीं चहिये। अधिकाश: गुनाह आदमी जानबूझ कर नहीं अंजाने में कर बैठता है लेकिन इन्हें क्षमा करने वाला सचमुच महान कहलाता है। इन्ही बातो से प्रेरित हो कर जय ने एक बार कोशिश करते हुए वीरू को कहा कि अगर यह सब सच होता तो हमारी सरकार हर शराब की बोतल और सिगरेट के पैकेट पर 'षराब और सिगरेट पीना सेहत के लिए हानिकारक है' क्यूं लिखते? झट से वीरू ने जवाब देते हुए कहा कि इतना तो मैं नही जानता, लेकिन तुझे शायद यह नही मालूम की दारू की सभी दुकानें भी हमारी सरकार ही चलाती है।
इससे पहले की जय आगे कुछ और कहता, वीरू ने कहा, कि क्या तुमने कभी उन लोगो के बारे में सोचा है जो शराब और सिगरेट बनाने वाली कम्पनीयों में काम करते है। अगर यह सब कम्पनीयॉ बंद हो जाऐगी, तो वहां काम करने वालो की रोजी-रोटी और उनके परिवार वालों के सपनो का क्या होगा? मैं तुम्हारी तरह स्वार्थी नही हूँ कि केवल अपनी सेहत और फैफड़ो की खातिर ऐसे हजारो-लाखो लोगो को बेरोजगार करके उनके सपनो को चूर-चूर कर दू।
जय ने दुखी होते हुए कहा, तू जितनी शराब पी सकता है, पी, आज के बाद मैं तुझे कभी नही रोकूगा। इस तरह के हालात में जौली अंकल जय और वीरू जैसे लोगो से एक छोटी सी बात कहना चाहते है कि जिस व्यक्ति ने जीवन में उम्मीद खो दी उसने सब कुछ खो दिया। परमात्मा ने हमें खुशबूदार फूल बनाया है, क्या हम सभी सब तक अपनी खुशबू फैला रहे हैं?
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