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शनिवार, 16 जनवरी 2010

दूरियॉ - नजदीकीयां

हैप्पी सिंह जब विदेश जाने लगा तो उसने अपने बचपन के दोस्त लक्की सिंह से कहा कि वो उसे यादगार के रूप में अपने हाथ में पहनी हुई सोने की अंगूंठी उतार कर दे दे। उसने जब इस का कारण पूछा तो उसने कहा कि मैं जब भी अपने हाथ में तेरी यह अंगूठी देखूंगा तो मैं तुझे याद कर लिया करूंगा। अब लक्की सिंह भी नहले पर दहले वाली कहावत पर बिल्कुल खरा उतरता था, उसने झट से कह दिया, मैं अपने किसी चहेते ध्दारा दी हुई यह अंगूठी तो तुझे नही दे सकता। हां अब जब कभी भी तू अपनी यह उंगली बिना अंगूठी के देखेगा तो तुझे जरूर मेरी याद आयेगी, कि मैने अपने दोस्त से एक अंगूठी मांगी थी, और उसने उसके लिये भी मना कर दिया था। इतनी छोटी सी बात को लेकर एक पल में बरसों पुरानी दोस्ती में खाई से बड़ी दरार बन गई। बचपन से इक्ट्ठे रहने वाले दो दोस्तो के बिछुड़ने से पहले ही उनके दिलों में दूरियॉ के बीज ने जन्म ले लिया।
विश्व भर के वैज्ञानिकों ने जमीन से चांद, सूरज और समुंन्द्र की लंम्बाई, चौड़ाई और गहराई तो नाप ली है। लेकिन अभी तक सारी दुनियॉ में कोई वैज्ञानिक ऐसा उपकरण ईजाद नही कर सके जो किसी के दिल की गहराई को जान सके। अभी तक कोई ऐसा उपकरण भी नही बना कि हम सामने वाले के दिल की बात को जान सके। इसीलिये शायद कहा जाता है कि आदमी दुश्मन से तो मुकाबला कर सकता है, लेकिन अपना कोई किस समय कैसा वार करेगा, उसे संभालना बहत मुश्किल है। हमारे मन में किसी के प्रति कितना स्नेह है या हम किसी के नजदीक रहते हुए भी उससे कितना दूर है, यह केवल हमारा मन ही जानता है। जब कभी हमारा कोई प्रिय व्यक्ति हम से दूर होता है, तो हमारा मन बार-बार उस करीबी की एक झलक पाने के लिये उसकी याद में तड़पता है। अक्सर लोग दूरियॉ या नजदीकीयों के बारे में बात करते समय मुख्य दो दूरियों की बात करते है। एक समय की दूरी और काल की। लेकिन सबसे खतरनाक दूरी का जिक्र करना भूल जाते है और वो होती है दिलों की दूरी।
हम सभी जानते है कि लालच की लालसा रखने वाले को जीवन में कभी सुख नही मिलता। इस बात से भी कोई इंकार नही कर सकता कि जिस परिवार में अशांति रहती है वहां भगवान भी निवास नही करते। फिर भी जब कभी किसी कारण से घर में लोभवश कोई मन-मुटाव हो जाता हैं तो एक ही घर में रहते हुए दो सगे भाई आपस में बात करना तो दूर एक दूसरे की शक्ल भी देखना पंसद नही करते। परिवार और सगे रिश्तेदारो के बीच रहते हुए भी आज का इंसान एक दूसरे के दिलों से इतने दूर हो गये है कि उन्हें एक दूसरे के दुख-दर्द से कोई वास्ता नही रह गया। इस स्वार्थीपन के दौर में अधिकांश लोगो को पैसे के लालच ने अपने खून के रिश्तो से भी बहुत दूर कर दिया है। ऐसे लोगो के जीवन का एक मात्र लक्ष्य होता है पैसा और सिर्फ पैसा। पैसे के प्रति मोह रखने वाले लोगो का मानना है कि चमड़ी तो जाऐ पर दमड़ी नही जानी चहिये। लेकिन रिश्तो में दिलों की दूरियॉ की कीमत उस समय मालूम पड़ती है जब कभी वो सभी सुख सुविधाऐ होते हुए भी तन्हाह महसूस करते है। उस समय सब कुछ होते हुए भी अपने प्रियजनों की याद सताती है।
एक तरफ जहां हम सभी भगवान को याद करने के लिये बड़े-बडे लाऊड स्पीकर, ढ़ोल-ढ़फली बजा कर और कीर्तिन आदि का साहरा लेते है। ठीक इसी के उलट दूसरी तरफ एक मां को परदेस में रोजी-रोटी कमाने की मजबूरी में बैठे अपने बेटे को याद करने के लिये यह सभी ढ़ोंग नही करने पड़ते। एक पल में आखें झुका कर वो अपने बेटे के पास होने का एहसास महसूस कर लेती है। उसकी आंखो में हर समय अपने लाल की तस्वीर घूमती रहती है। जिस किसी को हम दिल से चाहते है वो मन का मीत सात समुंद्र दूर भी क्यूं न बैठा हो तो हमारा मन उसे हर समय अपने करीब ही महसूस करता है। जिस दिल में सच्चा प्यार होता है, वहां किसी प्रकार की दूरी के कोई मायने नही रह जाते।
हमारा घर ही संस्कारों की पहली पाठशाला होता है और माता-पिता हमारे प्रथम गुरू। अगर वो अपने बच्चो को बचपन से ही अच्छें संस्कार देते है, तो कोई ऐसा कारण नही हो सकता कि उनके परिवार में कभी भी किसी के दिल में दूरियॉ जन्म ले सके। पैसे से आप हर तरह की दुनियावी वस्तुऐ तो खरीद सकते हो, लेकिन सच्चा प्यार और मन की शंति केवल अपने प्रियजनों के प्यार से ही मिलती है। यह भी बहुत बड़ी सच्चाई है कि यदि हर इंसान की आधी इच्छाऐं भी पूरी हो जाये, तो उसकी सम्सयायें दुगनी हो जायेगी।
जौली अंकल का मानना है कि आपकी सभी से मित्रता हो यह जरूरी तो नही, लेकिन आप अपने मन में किसी के लिये दुशमनी न पालो तो आपकी अपने सगे-संबंधियो और प्रियजनों से दिलों की दुरियॉ अपने आप ही खत्म हो जायेगी।     

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