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शनिवार, 13 मार्च 2010

बाप तो आखिर बाप ही होता है


एक बार अमन के पिता गांव से अचानक अपने बेटे को मिलने शहर पहुंच गये। जहां वो कालेज की पढ़ाई कर रहा था। जैसे ही वो स्टेशन से उसके घर पहुंचे वहां उन्होने देखा कि अमन एक लड़की रेखा के साथ एक ही घर में रह रहा था। दोनो का सारा समान भी एक ही कमरे में पड़ा हुआ था। अमन के पिता ने उन दोनों को इक्ट्ठे रहते देख कुछ कहा तो नही लेकिन उनके मन ने इस रिश्ते को शक की नजर से देखना शुरू कर दिया। वो उन दोनों के रिश्ते के बारे में जानने को काफी अधिक आतुर हो रहे थे। शाम को जब वो जब अपने बेटे के साथ सैर करने के लिये निकले तो पिता ने अपने बेटे अमन से लड़की के बारे में कुछ जानने की मंशा और उसके साथ रहने का कारण पूछ ही लिया। बेटे अमन ने शहर में महंगी और अच्छी जगह की कमी जैसी कई मजबूरीयॉ अपने पिता को बता दी।
जैसा की अक्सर एक कहावत में कहते है, कि चोर की दाढ़ी में तिनका होता है, ठीक उसी तरह से अमन ने अपने पिता के सामने बिना और कुछ पूछे ही अपने रिश्ते को पाक साबित करने की कई दलीलें दे डाली। रात को जब खाना खाने के लिये तीनों इक्ट्ठे बैठे तो अमन ने फिर से अपने पिता को हर प्रकार की सफाई देने की कोशिश करता रहा। उसने उन्हें बताया कि रेखा बहुत ही अच्छे परिवार से है और स्वभाव की भी बहुत अच्छी है। पढ़ार्इ्र के साथ खाने-पीने में भी मेरी हर तरह से और हर समय मदद करती है।
पिता के शक को कुछ हद तक कम करते हुए उसने आगे कहा कि वैसे भी हम दोनों अलग-अलग कमरे में ही रहते है। सिर्फ दिन में ही थोड़ी देर के लिये कभी-कभी जरूरी काम से मिलते है। बच्चे कितने भी बड़े और चतुर क्यों न हो जाए बाप तो आखिर बाप ही होता है। ठीक उसी तरह अमन के पिता ने भी उन दोनों के हाव-भाव और आखों की बातचीत सें अंदाजा लगा लिया कि दोनो की दोस्ती काफी गहरी हो चुकी है। ज्ञानी लोग एक बात कहते है कि हमारी जुबान कितना भी झूठ बोलने की कोशिश क्यों न करे, लेकिन हमारी आखें कभी भी जुबान और चेहरे का साथ नही देती। न चाहते हुए भी हमारी आखें सारी सच्चाई ब्यां कर ही देती है और समझदार लोग इस भाषा को पढ़ने में कभी कोई चूक नही करते।
एक दो दिन वहां रूकने के बाद जब अमन के पिता घर वापिस आ गए तो उन्होने अपनी पत्नी को सब कुछ बताया। मां ने बेटे की तरफदारी करते हुए कहा कि आप को तो हर आदमी में कुछ न कुछ कमी नजर आती है। हर किसी पर शक करना तो तुम्हारा पुराना स्वभाव है। कुछ भी हो जाऐ हमारा बेटा ऐसा नही हो सकता। उसकी शादी तो मैं अपनी ही बिरादरी में परिवार द्वारा पंसन्द की हुई लड़की के साथ बड़ी ही धूमधाम से करूंगी।
उधर अमन के पिता के जाने के बाद रेखा ने अमन से कहा, कि जब से तुम्हारे पिता यहां रह कर गए है, तब से मेरी एक महंगी वाली घड़ी नही मिल रही। अगर तुम बुरा न मानों तो एक बार पत्र लिख कर उनसे पूछ लो, कि कही गलती से उनके सूटकेस में तो नही चली गई। अमन को यह बात काफी अजीब सी लगी, कि रेखा एक तरीके से उसके पिता पर शक कर रही है। जैसा की हम सब जानते है, कि प्यार अंधा होता है, और प्यार में आदमी कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। न चाहते हुए भी अमन ने रेखा के दबाव में अपनी मां को इस बारे में एक पत्र लिख ही डाला।
एक दिन जब अमन के पिता शाम को दफतर से घर वापिस आऐ तो अमन की मां ने उन्हें बताया कि अमन की चिट्ठी आई है। उसने आपसे माफी मांगते हुए पूछा है, कि कहीं गलती उसके साथ रहने वाली लड़की रेखा की घड़ी तो आपके सामान में नही आ गई। उसके पिता ने उसी समय उस पत्र का जवाब बहुत ही सलीके से देते हुए लिखा कि मेरे प्यारे बेटे, मैं यह नही कहता कि तुम दोनों एक ही कमरे में रहते हो या रेखा तुम्हारे ही कमरे में सोती है। परन्तु अगर वो अपने कमरे में रहती होती तो उसको उसकी घड़ी उसे पहले दिन ही अपने तकिये के नीचे ही मिल जाती। आखिर में मैं इतना ही कहना चाहूंगा, कि झूठ बोलने वाला अल्पकाल के लिए ही जीतता है लेकिन असली आनंद तो सच बोलने वाले को ही मिलता है।
जीवन में एक बात सदैव याद रखो कि इंसान का व्यवहार ही उसके व्यकितत्व को निखारता है। जीवन में कई मौके ऐसे भी होते है, जब इंसान चुप रह कर बहुत कुछ कहने और सुनने की समर्था रखता है। भगवान ने माता पिता को धरती पर विधाता का रूप देकर भेजा है, इसलिये बड़े बर्जुगों के साथ छल की जगह उनकी सेवा करने वाले की आयु, यश, विद्या और शक्ति में सदैव वृद्वि होती है।
अंत में जौली अंकल इस विषय में जमाने की हवा से भी तेज भागने वाले युवाओं को केवल इतना ही संदेश देना चाहते है कि आप कितने भी चतुर और होशियार क्याेंं न बन जाओ, लेकिन एक बात कभी मत भूलना कि बाप तो आखिर बाप ही होता है। 


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