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शनिवार, 13 मार्च 2010

कम्पूयटर की दुनियॉ

इंसान के बहुत से सपनो को विज्ञान की तेज तरक्की ने हकीकत में बदल दिया है, सात समुन्द्र पार बसी दुनियॉ को एक दूसरे के करीब लाकर खड़ा कर दिया है। एक समय ऐसा भी था जब किसी का संदेश उसके वहां पहुंचने के कई दिन बाद मिलता था। इतिहास में ऐसे कई प्रमाण दर्ज है कि कुछ पत्र तो 20 से 30 साल बाद अपनी मंजिल पर पहुंच पाये थे। महीनों बाद पत्रो के माध्यम से मिलने वाले संदेश अब पलक झपकते ही ई-मेल के जरिये दुनियॉ के हर कोने में पहुंच जाते है। अब तो डाकिये का चेहरा भी सिर्फ दीवाली के मौके पर बक्शीश लेते समय ही नजर आता है। स्कूली बच्चो से लेकर हर दफतर, व्यापारी और बैंक के संदेशो का अदान-प्रदान ई-मेल से ही होता है।
एक दिन समाचार पत्र में क्लर्क की नौकरी का विज्ञापन देख कर चमकू मियॉ भी अपनी किस्मत आजमाने के लिये पहुंच गये। इंन्टरव्यू पूरा होने के बाद कम्पनी वालो को चमकू मियॉ में वो सभी खूबीयॉ नजर आई जिनकी उन्हें जरूरत थी। उन्होने पूरी जांच-पड़ताल के बाद अंत में उसे नौकरी के लिये चुन लिया और उससे कहा कि वो अपना ई-मेल का पता वहां छोड़ जाऐ। कुछ ही दिनों में उसे नियुक्त्ती पत्र भेज दिया जायेगा।
यह सुनते ही चमकू मियॉ ने गहरी सांस लेते हुए कहा, सर न तो मेरे पास कोई कम्पूयटर है और न ही कोई ई-मेल का पता। मुझे तो कम्पूंयटर चलाना ही नही आता। कंम्पनी के मालिक ने कहा, अगर तुम्हारे पास अभी तक कम्पूयटर या ई-मेल के बारे में कोई जानकारी नही है, तो तुम हमारे दफतर में क्या काम करोगे? हम तुम्हें किसी भी हाल में यह नौकरी नही दे सकते। कम्पनी ने वादे के मुताबिक चमकू को आने-जाने के किराये के रूप में 300 रूप्ये देकर बाहर का रास्ता दिखा दिया।
बुझे हुए मन से घर वापिसी में भूख और प्यास के कारण वो एक नारियल पानी वाले के पास रूक गया। ठंडा-ठंडा और स्वादिष्ट नारियल पानी पी कर चमकू में फिर से जैसे जान आ गई। इससे पहले उसने कभी भी इतना अच्छा और स्वादपूर्ण नारियल पानी नही पीया था। जब उसने दुकानदार को पैसे दिये तो उसने पाया कि यह नारियल तो हमारे इलाके से कही बढ़िया और बहुत ही सस्ता है।
चमकू ने कंम्पनी से मिले 300 रूप्यो के नारियल खरीद लिये और अपने शहर में आकर कुछ ही दिनों में उन्हे अच्छे मुनाफे में बेच दिया। फिर तो यह सिलसिला लगातार ही चल निकला। अब तो चमकू ट्रक भर कर नारियल मंगवाने लग गया। पूरे इलाके में उसके नारियल सबसे बेहतर और उमदा माने जाते थे। पुरानी कहावत है, कि पैसा आते ही इंसान को अक्कल भी अपने आप आ जाती है। कल तक बेरोजगार चमकू आज बहुत बड़ा समझदार सेठ और एक कामयाब व्यापारी बन चुका था।
अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के मद्देनजर एक दिन चमकू मियॉ ने एक बीमा एजेंट को बुलाया और परिवार के सभी सदस्यों का बीमा करने को कहा। कुछ जरूरी जानकारी, फार्म आदि भरने के बाद उस एजेंट ने कहा, सर यहा अपना ई-मेल का पता लिख दो। चमकू मियॉ ने कहा, कि उसके पास न तो कम्पूयटर है और न ही कोई ई-मेल का पता। एजेंट ने हैरान होते हुए कहा, सर अभी तक आपने कम्पूयटर और ई-मेल के बारे में कुछ नही सीखा तो भी आप शहर के सबसे धनी लोगो में से एक है। अगर आप कम्पूयटर का उपयोग सीख लेते तो फिर तो न जाने आपका व्यापार दुनियां में कहां से कहां पहुंच गया होता। चमकू सेठ ने मंद-मंद मुस्कराहते हुए कहा अगर मेरे पास कम्पूयटर और ई-मेल होता तो मैं आज भी शायद एक प्राईवेट कम्पनी में कर्ल्क की नौकरी ही कर रहा होता।
अब जौली अंकल से पूछे कि ई-मेल के बारे में उनके क्या विचार है। वो तो साफ-साफ यही कहेगे कि बदलते जमाने के साथ चलना अच्छी बात है, लेकिन यह जरूरी नही कि आप उसके बिना अपने जीवन में तरक्की कर ही नही सकते। कम्पूयटर जैसी छोटी मोटी रूकावटो के बावजूद आगे बढ़ना और दुखों को हंसी से झेलना ही जिंदगी है।


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