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शनिवार, 13 मार्च 2010

हाय मेरे जूते

पति महोदय जैसे ही घर में घुसे तो पत्नी ने आवाज दे कर कहा कि जल्दी से जूते निकाल दो, मैं आपके लिये खाना लगा रही दूं। पति ने चुटकी लेते हुए कहा, क्यूं आज खाने में और कुछ और नही मिलेगा? अब आप कहेगे कि क्या जमाना आ गया है कि अन्य सभी विषय छोड़ हर जगह जूतो का ही चर्च हो रहा है। अजी जनाब आप जूतो के महत्व को जरा कम आंक रहे है। क्या आपने कभी सोचा है कि गर्मी के दिनो में चिलचिलाती धूप हो या सर्दीयों की कड़कती ठंड, हर मौसम में आपके पैरो की रक्षा कौन करता है? आपके करीबी दोस्त और रिश्तेदार चाहते हुए भी ऐसे में आपके लिये कुछ नही कर सकते। आपके जीवन की राह कैसी भी हो, आप इन जूतो के बिना मंजिल को नही पा सकते। ऐसे कठिन हालात में अगर कोई आपका साथ देता है तो वो है केवल आपके जूते। अनजान पत्रकार भी जूता प्रकरण से एक ही दिन में पूरी दुनियां में महशूर हो जाते है।
जूतो की महिमा के बारे में कुछ और जानने का प्रयत्न तो करे, आपको समझ आयेगा कि हम जब कभी मंदिर, गुरूदुवारे या अन्य किसी धार्मिक आयोजन में जाते है तो उस समय हमारा सारा ध्यान साधू-संतो के प्रवचन सुनने में कम और बाहर रखे अपने कीमती जूतो में अधिक होता है। बार-बार मन में एक ही डर सताता है कि पूजा-पाठ समाप्त होने तक हमारे जूते सलामत होगे या नही।
ऐसे में एक बात को लेकर हैरानगी होती है कि लाखो रूप्ये लगा कर धार्मिक और संस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने वाली संस्थायें हर मेहमान का स्वागत करने से लेकर खाने-पीने तक हर जरूरी काम का ध्यान तो रखती है, लेकिन उनके जूतो को संभालने की जिम्मेदारी अक्सर भूल जाते है। कुछ अपने आप को बहुत ही चतुर और होशियार समझने वाले लोग दायें और बाये पैर का जूता अलग-अलग जगह पर उतारते है, जिससे की जूता चोरी करने वाला उसे आसानी से नही उठा पायेगा।
कहने को भगवान ने जूतो की जगह हमारे पैरो में बनाई है, लेकिन मजे की बात तो यह है कि हमारा खाने पीने का सामान तो खुले आसमान के नीचे सड़क की पटरी पर बिकता है, और यह जूते वातानुकुलित शोरूम में आराम फरमाते है। बड़े से बड़ा कवि हो या राजनीति का महान नेता हर कोई जनता को केवल इसलिये खुश करने की जुगत में रहता हैं कि कहीं बिन मौसम जूतो की बरसात उन पर न हो जाये। हमारे देश की जनता तो टी.वी. चैनेलो पर समाचार देखते हुए शर्म ही महसूस करती है, लेकिन हमारे प्रिय नेता विधानसभाओ में एक दूसरे के ऊपर जूते फैकने में लगता है कि बहुत ही गर्व महसूस करते है। आज के बदलते हालात में जूता सजा देने का एक कामयाब हाथियार बन चुका है। किसी के भी ऊपर जूता फैंक कर लाखो रूप्ये की पब्लिसिटी मुफत में मिल जाती है।
कल तक जहां लोग सिर्फ अपने चेहरो को चमकाने में पैसा बर्बाद करते थे, आज तेजी से बदलते फैशन ने भारतीय और विदेशी जूतो में भी एक अच्छा खासा आर्कषण पैदा कर दिया है। किसी खास मौके के लिये आपके कपड़े गहने कितने ही कीमती क्यूं न हो, अगर उन से मेल खाते जूते आपने नही पहने तो आपकी सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है। कहने वाले तो यहां तक भी कहने से नही चूकते कि आपके जूतो ने आपकी पर्सनैलिटी में चार चांद लगा दिये है।
शादी वाले दिन दुल्हे मियॉ से अधिक महत्व उसके जूतो का होता है। उसकी सभी सालीयॉ और दुल्हन की सहेलियों की नजर दुल्हे से अधिक उसके जूतो पर होती है। उनकी तरफ से युध्द स्तर पर यह तैयारी की जाती है कि दुल्हे के जूते कैसे गायब किये जाये। दूसरी तरफ दुल्हे के दोस्त दुल्हे की फिक्र छोड़ उसके जूतो को बचाने की फिराक में लगे रहते है। अब बात चाहे जूतो की हो या सालीयों को खुश करने की, सालीयों से जूते वापिस लेने की एवज में कई बार हजारो रूप्ये नजराना तक देना पड़ जाता है।
जूतो की बात करते-करते जौली अंकल यह तो भूल ही गये कि वो भी अपने जूते आपके घर के बाहर ही छोड़ कर आये थे। अब यह तो भगवान ही जाने की उन्हें भी अपने जूते मिलेगे या नही। 


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