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शनिवार, 13 मार्च 2010

मार्डन बहू


जब से मिश्रा जी के बेटे की एक विदेशी कम्पनी में नौकरी लगी है, तभी से उनके बेटे के लिये एक से एक बढियां रिश्तो के प्रस्ताव आ रहे थे। आखिर आए भी क्यों न? बेटे को 2 लाख रूप्ये महीने की तन्खवाह के साथ सुन्दर सा बंगला और मर्सीडिज कार जो कम्पनी से मिली है। हर मौके पर मिश्रा जी के दूर नजदीक के दोस्त और रिश्तेदार किसी न किसी बहाने से बात को घुमा-फिरा कर उनके बेटे के रिश्ते की बात पर ही आ कर रूकते थे।
एक बार जब मिश्रा जी की पत्नी ने अपने बेटे से इस बारे में पूछा कि वो किस तरह की लड़की से शादी करना पंसद करेगा। उसने हंसते हुए जवाब दिया कि मुझे तो बिल्कुल चांद जैसी बहू चहिये। मिश्रा जी की पत्नी ने कहा कि बेटा चांद में तो पहले से ही बहुत दाग है, फिर भी तुम्हें चांद जैसी बहू ही क्यों चहिये? बेटे ने मां को समझाते हुए कहा अब अगर बहू चांद जैसी होगी तो वो सिर्फ रात को आया करेगी और सुबह होते ही चली जायेगी। इससे सारा दिन सास-बहू में किसी प्रकार की खट-पट होने का कोई डर नही रहता और न ही मुझ से खर्चे के लिये पैसे मांग सकेगी। ऐसे ही हंसते खेलते पता ही नही चला कि कब मिश्रा जी के बेटे का रिश्ता पक्का हो गया और एक सुन्दर सी मार्डन बहू उनके घर आ गई। बहू के माता पिता ने बाजार से खरीदी जाने वाली हर सुख-सुविधा का सामान भी अपनी बेटी की डोली के साथ भेजा था।
करोड़पति दुल्हन के आते ही घर के सभी सदस्यों ने भारतीय पंरम्पराओं से बहू का स्वागत किया गया और सभी रिश्तेदारो से उसका परिचय भी करवाया गया। ऐसे मौके की सभी रस्में भी मिश्रा जी के परिवार ने खुशी-खुशी निभाई। इसी हंसी मजाक के महौल में दुल्हे के जीजा ने नई दुल्हन से अपने बारे में कुछ बताने को कहा। दुल्हन ने पूरे आत्मविश्वास के साथ खड़े होकर सबसे पहले पूरे परिवार का बहुत अच्छे तरीके से स्वागत करने के लिये धन्यवाद किया। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उसने कहा कि आप सभी सोच रहे होगे कि मेरे आने से आपके जीवन और घर में न जाने क्या-क्या बदलाव आ जायेगे?
आप सभी को किसी प्रकार की फिक्र करने की जरूरत नही है। क्योंकि मैं ऐसा कुछ भी नही करूगी जिससे आपको अपने व्यवहार और नित्यकर्म में किसी तरह का बदलाव करना पड़े या आपको कोर्इे भी दिक्कत आऐ। यह मैं सिर्फ अभी दिखावे के लिये ही नही बल्कि आने वाले बरसो या यूं कहिये कि हमेशा के लिये वादा करती  हूँ। यह सब कुछ सुन कर सास-ससुर से लेकर घर के सभी सदस्य मन ही मन खुश हो रहे थे कि इतने बड़े घराने से ताल्लुक होने के बावजूद भी इसमें किसी प्रकार का कोई घंमड नही है।
सास ने चेहरे पर लंम्बी सी मुस्कराहट बिखरते हुए कहा, बेटी तुम ऐसा क्यों सोच रही हो। हम सभी तुम्हारे साथ है, तुम जैसा चाहोगी सभी वैसा ही करेगे। बहू ने कहा सासू जी आप शायद मेरी बात को ठीक से नही समझी। मेरा कहने का मतलब यह था कि घर के सदस्य अभी जो कुछ घर का काम कर रहे है, वो सभी उसी प्रकार अपना-अपना काम करते रहेगे। जैसा कि मुझे बताया गया है, कि रसोई की सारी जिम्मेंदारी सासू जी संभलती है, घर की साफ-सफाई और कपड़ो की धुलाई का जिम्मा बड़ी भाभी का है। बाजार से हर प्रकार का सामान लाने की डयूटी ससुर जी बहुत सालो से अच्छे तरीके से निभा रहे है। बर्तन और गाड़ीयों को साफ-सुथरा रखने के लिये घर में एक नौकर मौजूद है।
अब तक सासू मां का पारा सांतवे आसमान पर पहुंच चुका था। सभी मर्यादयों को तोड़ते हुए उसने कहा कि तुमने हम सभी के काम तो हमें याद करवा दिये, अब जरा यह भी बता दो कि हमारी दुल्हन महारानी इस घर में क्या-क्या करेगी? दुल्हन ने हल्की सी मुस्कराहट चेहरे पर लाते हुए कहा कि आपके बेटे के चित को प्रसन्न रखने और उसको खुश रखने की सारी जिम्मेंदारी में अकेले ही निभाऊगी। ऐसी मार्डन लड़कीयो को जौली अंकल एक छोटा सा संदेश देना चाहते है कि अपने से बड़ो को खुशी देने के लिए केवल कीमती सामान नहीं थोड़ा से सम्मान की जरूरत होती है। 


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