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शनिवार, 13 मार्च 2010

पेंन्टर बाबू


शहर में एक लंम्बे अरसे के बाद महशूर पेंटर बाबू की तस्वीरो की नुमाइश लगी, तो इलाके का हर शक्स उनकी चित्रकारी को देखने के लिए जरूरी काम छोड़ वहां आने लगा। कश्मीर घाटी की एक बहुत ही खूबसूरत तस्वीर गैलरी में लगी अनेक तस्वीरो के मुकाबले लोगो का ध्यान सबसे अधिक अपनी और आकर्षित कर रही थी। उस तस्वीर में चित्रकार ने घाटी के सुन्दर पहाड़ो, वादीयों और झरनों को बहुत ही मनमोहक और आर्कषक रंग-रूप दिया था। दुनियॉ भर में स्वर्ग से अधिक सुन्दर और महशूर कश्मीर के बगीचो को बिल्कुल जींवन्त कर दिया था। यहां तक की तस्वीर में खिले हुए खूबसूरत फूल और चिनार के पेड़ तो इस कद्र मौलिक लग रहे थे कि भंवरे और तितलीयों भी धोखा खा जाऐ। जनसाधारण के साथ कुछ बड़े घरानों के कारोबारी लोग भी अपने परिवार के सदस्यों के साथ इस नुमाइश को जब देखने आऐ तो वो भी ऐसी सुन्दर तस्वीर को देख कर प्रभावित हुए बिना नही रह सके।
एक अच्छे बड़े घराने की कारोबारी महिला ने जब अपने पति के साथ इस तस्वीर को देखा तो उसे देखते ही इतनी दीवानी हो गई कि उसने अपने पति से उस तस्वीर को किसी भी कीमत पर खरीदने के लिए आयोजको से बात करने को कह डाला। गैलरी के एक कोने में बैठे पेंन्टर बाबू जल्द ही वहां हाजिर हो गये, लेकिन उन्होने वो दिलकश तस्वीर बेचने से मना कर दिया। जब उस कारोबारी ने अपनी बीवी की जिद्द को पूरा करने के लिए उस तस्वीर की कीमत एक लाख रूप्ये देने की पेशकश की तो पेंन्टर बाबू अपने ऊपर काबू न रख पाये और झट से तस्वीर बेचने के लिये राजी हो गये। सौदा तह होते ही उस कारोबारी की बीवी ने पेंन्टर बाबू से कहा, की कृप्या इस तस्वीर पर अपने हस्ताक्षर कर दे, तो बहुत मेहरबानी होगी। कारोबारी ने भी जल्दी से अपना लाल स्याही वाला पैन पैंन्टर मियॉ की और बढ़ाते हुए तस्वीर पर हस्ताक्षर करने की गुजारिश की।
पेंन्टर बाबू जब तस्वीर पर हस्ताक्षर करने लगे तो लिखते समय वो पैन कुछ अटकनें लगा। कारोबारी ने कहा कि इसे थोड़ा सा छिटक दो तो यह ठीक से लिखने लगेगा। पैन्टर बाबू ने जैसे ही 2-3 बार उस पैन को छिटका तो लाल स्याही के कुछ छींटे उस तस्वीर पर आ गिरे। इससे पहले की वो कारोबारी उस तस्वीर की कीमत अदा करता उसकी बीवी ने आखों के इशारे से पति को तस्वीर खरीदने से मना कर दिया। उस कारोबारी को काफी अजीब सा लगा कि अभी कुछ देर पहले मेरी बीवी इस तस्वीर को लेने के पागल हो रही थी, अब न जाने पल भर में उसे क्या हो गया है? कारण जानने पर उस औरत ने कहा कि कुछ पल पहले कुदरत के नजारो की नियमतो को दर्शीती इस तस्वीर पर अब लाल स्याही के दाग किसी सफेद चद्दर पर खून की तरह चमक रहे है। मैं किसी भी हाल में इस बदसूरत तस्वीर को अपने घर में जगह नही दे सकती। अब यह हमारे घर की शोभा बढ़ाने की बजाए उसे और बदसूरत बना देगी।
पेंन्टर बाबू को यह सब कुछ सुन कर बहुत बड़ा धक्का सा लगा और वो गहरी सोच में डूब गये। उनके मन में विचार उठने लगे कि मेरे चंद रंगो और बुश्र की चित्रकारी से बने यह पहाड़, झरने और वादीयो के नजारे देख सभी लोग मेरे लिए वा-वाही कर उठते है। लेकिन उसी तस्वीर पर लाल स्याही के चंद छीटों को देख इन सभी को किस कद्र घबराहट होने लगी है। लाल स्याही के धब्बे इन्हें खून की तरह दिखाई देने लगे है। इसी बातचीत के दौरान वहां खड़े हर किसी के चेहरे पर उदासी छा गई। पैंन्टर बाबू सोच की गहराईयों में डूबे आसमान की बुलंदियों के पीछे छुपे बैठे दुनियॉ-जहां के मालिक रूपी पेटर के दिल की भावनाओं का अंदाजा लगाने लगा। खुदा ने तो दुनियॉ के सबसे दिलकश और खूबसूरत नजारो की हर नियामत कश्मीर वासीयो की झोली में डाली है लेकिन आज वहां सुबह-शाम खून-खराबे और तबाही का मंजर देख उस का दिल कितना रोता होगा? अब तक हजारों-लाखो निर्दोष लोगो का खून बहता देख उसकी आखों में कितने आंसू आ रहे होगे, इस का अंदाजा लगाने की हम ने कभी कोशिश नही की।
पेन्टर बाबू के साथ-साथ जौली अंकल दहशतगर्दो और अलगाववादीयो से सिर्फ यह जानना चाहते है कि हम अपने परिवार की हर खुशी में शरीक होने वाले मेहमानो को वापिस जाते समय तो हम सभी बढ़ियॉ-बढ़ियॉ तोहफे देते है, लेकिन जिस खुदा ने हमें दुनियॉ की सबसे अनमोल खूबसूरती के खजानों से नवाजा है, उसे हम बदले में सिवाए खून-खराबे के और क्या दे रहे है


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