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शनिवार, 13 मार्च 2010

दूर के ढ़ोल .......

चरण दास रोज काम पर जा-जाकर बहुत थक चुका था, उसे लगता था, कि उसकी पत्नी तो सारा दिन आराम से घर में बैठी रहती है। पूरे परिवार के लिये सारा काम तो मुझे अकेले ही करना पड़ता है। सारा दिन मेहनत करके पैसे मैं कमा कर लाता हूं और मेरी बीवी तो बस उस पैसे से मौज-मस्ती करती है। एक दिन उसने भगवान से प्रार्थना की, कि मेरी पत्नी को एक दिन के लिये आदमी और मुझे औरत बना दो। ताकि मैं भी जिंदगी में एक दिन सुख से जी सकूं। भगवान जी बहुत अच्छे मूड में बैठे थे, उन्होने झट से चरण दास की प्रार्थना स्वीकार कर ली और उन दोनों की आत्मा को एक दूसरे के षरीर में डाल दिया।
अगले दिन सुबह जब चरण दास उठा तो वो एक औरत बन चुका था। उठते ही बच्चों को स्कूल भेजने की ंचिंता शुरू हो गई, फिर उनका नाश्ता और लंच पैक करना शुरू कर दिया। भाग-भाग कर किसी तरह से उनको स्कूल बस तक पहुंचाया। आते समय बाजार से घर के बाकी लोगों के लिये नाश्ते का सामान और सब्जी वगैरह लेनी थी। घर का कुछ राषन भी खत्म था, वो भी लेना जरूरी था। घर पहुंचते ही देखा तो कुत्ते ने रास्ते में गन्द कर दिया था, अब सफाई वाली तो अभी तक आई नहीं थी, इसलिये वो भी खुद ही साफ करके कुत्ते को भी फालतू में नहलाना पड़ा।
पति को नाश्ता देकर दफतर भेजा, तो वो जाते-जाते बिजली और पानी का बिल जमा करवाने को कह गये। बैंक में बैलेन्स कम था, इसलिये वहां भी कुछ पैसे जमा करवाने का फरमान मिल गया। यह सब कुछ निपटा कर जब तक घर पहुंची तो एक बज चुका था। अभी घर की साफ-सफाई और कपड़े धुलवाने बाकी थे। रसोईघर भी बुरी तरह से बिखरा पड़ा था। एक कप चाय पीने का मन हुआ तो घड़ी की तरफ नजर गई, तो छोटे बेटे बंटी का स्कूल से वापिस आने का समय हो चुका था। चाय का इरादा छोड़कर उसे लेने बस स्टैंड पर भागना पड़ा। रास्ते में ही बंटी ने स्कूल और टीचर की षिकायतें षुरू कर दी। ढेर सारा होमवर्क भी बता दिया। घर आते ही बच्चों के कपड़े वगैरह बदल कर उनको खाना दिया। फिर दोनों बच्चों में टी.वी. को देखने में झगड़ा हो गया। एक बच्चे के माथे पर चोट लग गई, बाकी सब काम छोड़ कर डाक्टर के पास भागना पड़ा। दिन के 3 बज चुके थे, सुबह से खाना तो दूर एक कप चाय भी नसीब नहीं हुई।

जैसे-तैसे बच्चे खाना खाकर थोड़ी देर आराम करने के लिये लेटे, तो डाकियॉ डाक लेकर आ गया। अन्दर आकर कुछ पल टी.वी. देखने का मन बनाया ही था, कि दरवाजे पर फिर जोर से घंटी बजी, देखा तो वहां एक सेल्सगर्ल कुछ घरेलू सामान बेचने के लिये आई थी। अभी उस को निपटा ही रही थी, कि अन्दर से फोन की घंटी फायर ब्रिगेड के अलार्म की तरह से बजने लगी। सारे दिन में 5 मिनट का आराम भी नहीं मिल सका। अभी अगले दिन के लिये बच्चों की यूनिफॉर्म तैयार करनी थी, क्याेंकि दोनों बच्चों को फैन्सी डै्रस में स्कूल जाना था। पति ने रात को एक पार्टी में जाना था, उनके कपड़े भी खास तौर से तैयार करने का हुक्म भी पूरा करना था। घर के सभी सदस्याें के लिये रात का खाना भी तैयार करना था।
किसी तरह मन मार कर 5 मिनिट के लिये पड़ोस में एक सहेली के घर गई, तो उसी समय संदेशा मिला कि घर में कुछ मेहमान आये हैं। सब कुछ छोड़ कर उनकी सेवा शुरू करनी पड़ी। कहने को तो वो एक निमंत्रण पत्र देने आये थे, लेकिन अगर उनका बस चलता तो रात को भी हमारे यहां ही रुकते। रात के 9 बज चुके थे, शरीर थक कर चूर हो चुका था। टांगों और पीठ में बुरी तरह से दर्द था। लेकिन उधर बच्चे डिनर के लिये षोर मचा रहे थे। पति को पार्टी में जाने की जल्दी हो रही थी। एक अकेली औरत किस किस की कितनी सेवा करे। किसी तरह से घर के सारे काम निपटा कर रात को 12 बजे बिस्तर नसीब हुआ, लेकिन अभी तो पतिदेव के पार्टी से वापिस आने के इन्तजार में सो नहीं सकती थी। रात को दो बजे जब पतिदेव घर पहुंचे तो वो मस्ती के मूड में थे। जैसे तैसे रात निकली। सुबह होते ही चरण दास भगवान के चरणों में पहुंच गये और रो-रोकर प्रार्थना करने लगे कि मुझे यह सौदा नहीं मन्जूर। भगवान मुझे जल्दी से वापिस आदमी बना दो। भगवान जी फिर से प्रकट हुए और चरण दास की हालत देख कर मन्द-मन्द मुस्काने लगे। चरणदास रोते-रोते एक ही प्रार्थना कर रहा था, कि ऐ भगवान मुझसे बहुत बड़ी भूल हुई, जो मैंने औरतों के बारे में ऐसा सोचा। अब आगे से जिंदगी में यह गलती कभी नहीं करूंगा।
भगवान जी ने कहा, कि लगता है, तुम्हें अपनी भूल का अच्छी तरह से एहसास हो गया है। अब तुम कभी कुदरत के नियमों के विरूध्द कुछ नहीं कहोगे। लेकिन अब मैं अभी तुम्हे वापिस आदमी नही बना सकता, तुम्हें औरत बन कर ही जीना पड़ेगा, कारण पूछने पर भगवान जी ने बताया कि अब तुम गर्भवती हो चुकी हो, और तुम्हें अपने आने वाले बच्चे को पालना है। इसीलिये जौली अंकल सदा कहते हैं, कि दूर के ढ़ोल हमेशा सुहावने लगते हैं। 

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