Life Coach - Author - Graphologist

यह ब्लॉग खोजें

फ़ॉलोअर

शनिवार, 13 मार्च 2010

बीवी से कौन नही डरता

एक बार महाराज अकबर बीरबल के साथ शाम को बाग में टहल रहे थे। कुछ राज-काज की बातें करते-करते महाराज अकबर ने अचानक बीरबल से पुछा, सुना है कि तुम बहुत बड़े जोरू के गुलाम हो और अपनी बीवी से बहुत डरते हो। बीरबल को महाराज अकबर से इस तरह के सवाल का अंदेशा न था। उसने संभलते हुए कहा-जी, मैं ही क्या हमारी सल्तनत (राज्य) का हर आदमी अपनी बीवी से डरता है। महाराज अकबर ने बीरबल की तरफ टेडी नजर से देखते हुऐ कहा, तुम अपनी कमजोरी छुपाने के लिये इलाके के सभी लोगों पर इल्जाम नहीं लगा सकते। बीरबल ने कहा, महाराज मैं जो भी कह रहा हूँ वो एक कड़वी सच्चाई है। कोई मुंह से बोले या न बोले, आपके सामने मानें या न माने लेकिन हर इन्सान अपनी बीवी से डरता जरूर है। महाराज ने कहा क्या तुम अपने इस दावे को साबित कर सकते हो? बीरबल ने झट से हामी भर दी॥ अपनी आदतानुसार महाराज अकबर ने यह हुक्म भी दे डाला कि तुम अगर यह साबित नहीं कर पाये, तो तुम्हारा सिर धड़ से अलग कर दिया जायेगा। बीरबल ने चुनौती को स्वीकार करते हुए महाराज से एक जनसभा बुलाने का आदेश जारी करवा दिया।
एक निश्चित तिथि को सारे प्रदेश के लोगों को एक जगह एकत्रित होने के लिये कहा गया। जब सब मर्द वहां आ पहुंचे, तो महाराज अकबर ने बीरबल को उसका वादा याद करवाया। बीरबल ने भी पूरे विश्वास के साथ अपना काम षुरू कर दिया। बीरबल ने हर एक आदमी से पूछना शुरू किया, कि क्या वो अपनी बीवी से डरते है? तो अधिकतर लोगो ने कोई न कोई बहाना बना कर कबूल कर लिया, कि वो किसी न किसी कारणवश अपनी अपनी बीवी से डरते है। कुछ लोगो का कहना था कि मैं डरता तो नही लेकिन घर में झगड़ा होने के डर से बीवी की हर बात मान लेता  हूँ। बीरबल ने ऐसे सभी लोगो को एक-एक अंड़ा पकड़ा कर एक तरफ बैठने को कहा। यह सब कुछ देख महाराज अकबर भी परेशान होने लगे, कि यह सब क्या हो रहा है? हमारी फौज का एक से एक बहादुर योध्दा भी यहां तो भीगी बिल्ली बना हुआ नजर आ रहा है।
काफी समय के बाद एक हट्टे-कट्टे नौजवान की बारी आई तो उससे भी यही सवाल पूछा गया। तो उसने कहा बीवी से कैसा डरना? बीवी तो पैर की जूती के बराबर होती है। उसकी क्या हिम्मत जो आदमी के सामने कुछ भी बोल जाए। महाराज अकबर को थोड़ी तसल्ली हुई कि चलो देर से ही आखिर कोई तो शेर निकला, जिसने इतनी बात कहने की हिम्मत की। जब हर तरीके से बीरबल ने उसे परख लिया, तो महाराज ने उसे महल का सबसे सुन्दर घोड़ा इनाम में देने की घोषणा की। जैसे ही वो खुशी-खुशी घोड़ा लेकर अपने घर पहुंचा तो उसकी पत्नी ने हैरान होते हुए पूछा, सुबह तो पैदल धक्के खाते हुए काम पर गये थे, अब यह घोड़ा किस का उठा लाये हो? उसने सारा किस्सा अपनी पत्नी को बताया। उसकी पत्नी ने कहा, तुम्हें सारी उंम्र अक्ल नहीं आ सकती। अगर गलती से जिंदगी में पहली बार इतना बड़ा इनाम जीते ही थे, तो कम से कम दरबार से सफेद घोड़ा तो लेकर आते। यह क्या काले रंग का भद्दा सा घोड़ा उठा कर ले आये हो? उसने कहा, भाग्यवान तुम चिंता मत करो, आज महाराज मेरे से बहुत खुश है। आज तो उनसे जो कुछ भी मांगूगा, वो मुझे मना नही करेगे। यह काला घोड़ा तो मैं अभी बदल कर ले आता हूं।
कुछ देर बाद ही वो काला घोड़ा लेकर वापिस दरबार में पहुंचा और बीरबल से प्रार्थना करने लगा कि मेरी बीवी को यह काला घोड़ा पसन्द नहीं है, आप कृप्या मुझे कोई सफेद घोड़ा दे दो। बीरबल ने कहा, यह घोड़ा उधर बांध दो और यह अंडा लेकर घर जाओ। यह सब देखते हुए महाराज अकबर भी परेशान हो गये, कि अभी तो यह आदमी इतनी शेखियां बघार रहा था। महाराज ने बीरबल से सारी बात जानने की कोशिश की। बीरबल ने बताया, महाराज इसकी बीवी बहुत सुन्दर है। देखने में तो वो बिल्कुल परी लगती है। उसको यह तो क्या, कोई भी आदमी किसी काम के लिये ना नहीं कह सकता।
महाराज ने बीरबल से कहा, ऐसी खूबसूरत औरत को तो हम भी एक बार जरूर देखना चाहते है। तुम किसी तरह जल्द से जल्द इस मुलाकात का इन्तजाम करवाओ। बीरबल ने कहा महाराज यह तो कोई मुश्किल काम नहीं है। मैं कल ही उस औरत से आपकी मुलाकात करवा देता हूं। बीरबल की बात को बीच में ही काटते हुए महाराज बोले, लेकिन एक बात का ध्यान रहे कि हमारी बेगम साहिबा को इस बात की भनक भी नहीं लगनी चाहिये। बीरबल ने थोड़ा डरते और मुस्कराते हुए कहा कि उसकी आप बिल्कुल ंचिंन्ता मत करो। साथ ही बीरबल ने कहा कि महाराज अब आखिर में आप ही अकेले जोरू के गुलाम बचे थे। अब अगर इजाजत हो तो आप को भी यह अंड़ा दे दूं। बीरबल ने सदा की तरह अपनी अक्ल का सबूत पेश करते हुऐ, अपनी जान भी बचा ली। बादशाह अकबर आखिर यह मान ही गये कि हर मर्द किसी न किसी कमजोरी के चलते अपनी बीवी से जरूर डरता है। महाराज अकबर के पास अब झेंपने के अलावा कोई चारा नहीं था। जौली अंकल चाहे कुछ भी कहते रहे लेकिन हर कोई जानता है कि वो भी किसी और खास मिट्टी से तो बने नही कि वो यह दावा कर सके कि वो जोरू के गुलाम नही है। 

1 टिप्पणी:

अतुल मिश्र ने कहा…

Waah, Jolly Ji !! Kamaal Ka Likhte Hain Aap !! Aanad Aata Hai Aapko Padhkar !!