बेईमान नामक जन्तु तकरीबन दुनिया के सब भागों में देखने को मिल जाता है। हमारे देश के तकरीबन हर भाग में यह काफी अधिक मात्रा में पाये जाते है। किसी भी जीवजन्तु को अच्छे वातावरण के साथ जहां अच्छा खाने-पीने को मिलता है, तो वो स्थान इनका सबसे प्रिय हो जाता है। इसीलिये शायद भारत देश इनका सबसे प्रिय ठिकाना बन गया है। यहां के अधिकतर भोले-भाले लोग आज भी सामने वाले की जुबान पर जल्दी से विष्वास कर लेते हैं। इसी कमजोरी का फायदा बेईमान नामक जन्तु को सबसे अधिक मिलता है। कल तक पीर-फकीर और साधु-संतो के नाम से जाने वाला हमारा देश आज कुछ बेईमान लोगो के कारण विदेशों में अपनी साख खोता जा रहा है।
आजकल यह प्रजाति हमारे देष के बडे शहरों में बड़ी मात्रा में पाई जाने लगी है। हालांकि हमारे यहां बहुत से प्रदेश है, जिनका वातावरण, खान-पान, रहन-सहन सब कुछ बिल्कुल अलग अलग है। इसी कारण से इन लोगाें का रंग-ढंग तो कई बार दिखने में अलग हो सकता है, लेकिन बुनियादी गुण सबमें एक जैसे ही होते हैं। इन सबका उद्देश्य सीधेसादे लोगों को अपनी लच्छेदार बातों में उलझाकर अपनी ओर आकर्षित करना होता है। भारत में इनके कामयाब होने का एक मुख्य कारण मांग और आपूर्ति का सिध्दान्त है। हमारे यहां जनसंख्या अधिक होने के कारण हर चीज की मांग तो बहुत है, परन्तु सरकार के सदियों पुराने काम करने के ढंग और टेढ़े सीधे कानूनों की वजह से उस की पूर्ति नहीं हो पाती। हर सरकारी काम में जरूरत से अधिक समय लगना इनके काम को और भी आसान बना देता है। महीनों का काम कुछ दिनों और घंटो में करवाने का झांसा देकर यह अपने षिकार को आसानी से अपने जाल में फंसा लेते है।
आपको अपने बच्चे के किसी स्कूल में दाखिले की दिक्कत हो, राशन कार्ड, डाईविंग लाईसेंस या पासपोर्ट बनवाना हो, गैस का कन्षेक्शन लेना हो, या घर की कोई भी समस्या हो, ऐसे लोगोें के पास ऐसे सब काम करवाने के लिये अलादीन का चिराग हमेशा तैयार रहता है। यह जन्तु बाकी सब जगह के साथ-साथ नेताओं के आसपास, सरकारी दफतरों एवं कोर्ट कचहरियों के बाहर सुबह से ही कई किस्मोें में मिल जाते हैं। अपने षिकार को यह काफी दूर से ही भांप लेते हैं, और मिलते ही इस प्रकार से आपका स्वागत करेंगे, कि इस दुनिया में इन से सगा तो आपका कोई और है ही नहीं। आपकी पूरी बात सुने बिना ही उसके सैकड़ोें हल आपके सामने रख देते हैं। ऐसे में इनका षिकार भी अपना हाथ रोके बिना अपनी जेब का मुंह इनके लिये खोल देता है। ऐसे लोग आम जनता को तो बेवकूफ बनाते ही हैं, चालर्स शोभराज, नटवर लाल जैसे बेईमान भारत की सबसे बड़ी जेल के अधिकारियों को कई बार चूना लगाने के कई बार करिष्में दिखा चुके हैं।
आम आदमी के लिये इनको पहचानना बहुत ही कठिन काम है, यह हर रंगरूप में हमारे इर्दगिर्द मडंराते रहते है, कभी किसी कम्पनी के एजेंट, कभी राजनेता-अभिनेता के नजदीकी रिष्तेदार बनकर और अब तो इन बेईमानों की कई किस्में साधु-संतो और ज्योतिषियों के रूप में भी देखने को मिलती है। यह लोग अपने एक आशीर्वाद और कुछ साधारण से पत्थर आपको सोने के भाव बेच कर आपको जन्म-जन्म के लिये कष्टो से मुक्त करवाने का दम भरते हैं। चाहे उन का अपना जीवन नारकीय ढंग से ही बीत रहा हो।
बेईमान जाति के यह जन्तु सचमुच बहुत होशियार नस्ल के होते हैं, ऐसी बात नहीं है। यह हमारे आत्मविश्वास की कमी, अन्धविश्वास और किसी काम को खुद न करने की कमजोरी का नाजायज फायदा उठाते हुए हमें बेवकूफ बनाते हैं क्योेंकि हम लोग घर बैठे ही सब कुछ प्राप्त करना चाहते है, जिसकी एवजं में हम अपनी कमाई का एक मोटा भाग निकालकर इन बेईमानों का घर भर देते हैं।
जौली अंकल भी यही इशारा कर रहे है कि अब जब तक हम खुद अपने आप को संभालने की कोशिश नही करेंगे, तब तक ऐसे बेईमानों की जय-जयकार तो होती ही रहेगी। और हम सब कहते रहेंगे - जय बोलो बेईमान की।
1 टिप्पणी:
Most interesting and entertaining articles. Congrats to Jolly Uncle.
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