Life Coach - Author - Graphologist

यह ब्लॉग खोजें

फ़ॉलोअर

रविवार, 14 फ़रवरी 2010

उज्जवल भविष्य

एक गधा अपने एक साथी को रोज पिटता देख उससे बोला कि तेरा मालिक तो बहुत ही कठोर और निर्दयी है। सारा दिन तुझ से ढेरो काम लेने के बावजूद रोज तुझे डंडो से मारता है। तू ऐसे मालिक की नौकरी छोड़ कर कही दूर क्यूं नही चला जाता। उस गधे ने कहा कि यहा इस घर में मेरा भविष्य बहुत उज्जवल है। अब पहले गधे ने हैरान होते हुए पूछा कि तुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि इसी घर में तेरा भविष्य उज्जवल है। पहले गधे ने अपने दोस्त को समझाते हुए कहा कि असल मे मेरे मालिक की एक बहुत सुंदर लड़की है और वो आये दिन घर के काम काज में कोई न कोई गलती कर बैठती है। उसकी हर बेवकूफी पर मेरा मालिक एक ही बात कहता है कि मैं एक दिन तेरी शादी किसी गधे से कर दूंगा। अब इस परिवार की जान-पहचान में मेरे से करीबी गधा तो और कोई है नही।
जो कुछ हमारे पास है, हम उसे छोड़ किसी नई राह पर अपने भविष्य को उज्जवल रूप में देखते है। गांव में रहने वालों को शहर में और शहर की युवा पीढ़ी को अपना भविष्य विदेशों में उज्जवल दिखाई देता है। जहां देश का एक बड़ा वर्ग उज्जवल भविष्य के लिये देश की बागडोर को युवा पीढ़ी के हाथों में सोंपने की वकालत करता है, वही दूसरी और कब्र में पैर लटकाऐं हमारे नेता लंबी उंम्र के तर्जुबे की आड़ का साहरा लेकर गद्दी का मोह त्यागनें या यूं कहिये कि उसकी कुर्बानी देने को तैयार नही। देश की जनता यदि प्यार से मिलजुल कर तरक्की की राह पर चलने का थोड़ा भी प्रयत्न करती है, तो हमारे नेता निजी स्वार्थ हेतू उन्हें धर्म, भाषा, जाति के आधार पर बांट कर अपने भविष्य को सुनहरा बनाना चाहते है।
मां-बाप बच्चो को डॉक्टरी, इंजीनीयरिंग एवं वकालत आदि की पढ़ाई करवा कर उनके भविष्य के साथ अपने बुढ़ापे को उज्जवल देखने की तंमत्रा मन में सजोयें हुए अपने जीवन की सारी कमाई उन पर लगा देते है। परन्तु तेजी से बदलते समाज में आजकल बेटीयां तो शादी के बाद मां-बाप के घर से विदा होती है लेकिन बेटे तो शादी से पहले ही आजाद और स्वतंत्र जीवन जीने की मंशा मन में लिये मां-बाप का साथ छोड़ जाते है।
कई बार अचानक भूंकप आ जाने से जहां लाखो लोग मर जाते है, वही कुछ लोगो के लिये यह वरदान बन जाता है। एक बार एक बड़े भूंकप के कारण जेल की इमारत गिर पड़ी। एक कैदी जिस को चंद दिन पहले ही मौत की सजा सुनाई गई थी, वो तुंरत वहां से भाग निकला और फांसी के फंदे पर लटकने से बच गया। इसी तरह शमशान घाट वाले जिन लोगो का कई दिनों से धंधा मंदा चल रहा था, इतने सारे लोगो की इक्ट्ठी मौत से वो भी खुश होकर भगवान का शुक्रिया अदा करने लगे।
हमारे देश में करोड़ो लोग सारा साल इसलिये देवी देवताओ को पूजा अर्चना द्वारा खुश करने में जुटे रहते है कि भगवान उन्हें इस बार सूखे, बाढ़ और भूकम्प से होने वाले जान-माल से उनकी सुरक्षा करे। बरसों से कमाई हुई खून पसीने की कमाई और प्रियजनों की जान बच सके। लेकिन सरकारी तंत्र से जुड़े कुछ अधिकारीयो और चंद भ्रष्ट नेताओ को इस तरह की त्रसादी में ही अपना भविष्य उज्जवल दिखाई देता है। जब कभी देश पर इस तरह का कोई संकट आता है तो यह लोग इसी आस में रहते है कि अब देश-विदेश से करोड़ो रूप्यों की राहत आयेगी, और मुहावजे का सारा पैसा इन्ही लोगो के द्वारा ही जनता तक पहुंचाया जायेगा। जनासाधरण की तबाई का मंजर ऐसे लोगो को एक त्यौहार के सामान लगता है। यह मन ही मन भगवान से प्रार्थना करते है कि इसी तरह के भूचाल और बाढ़ हर साल अच्छे से भेज दिया करो।
ऐसे ही हादसे में एक व्यापारी की मौत पर उसका दोस्त कुछ देर आंसू बहाने के बाद घर जाकर अपनी बीवी से बोला की चलो अच्छा हुआ, कि यह मर गया। पत्नी ने परेशान होते हुए कहा कि आप ऐसा क्यों कह रहे हो वो तो आपका सबसे अच्छा मित्र था। आऐ दिन हर दुख-सुख में तुम्हारा साथ निभाता था। पति ने जवाब दिया कि मैने उससे पांच लाख रूप्ये व्यापार के लिये उधार ले रखे थे, अब वो बार-बार पैसे लोटाने के लिये तकाजा करता रहता था। झुगी-झोपड़ी और सड़क पर जीवन व्यतीत करने वाले जो दिन रात मेहनत करके भी अपने बच्चो का पेट ठीक से नही भर पाते उन लोगो के जीवन में तो रोज ही भूचाल आते है। ऐसे लोगो का अपनी बेटी के हाथ पीले करने की फिक्र में जवानी में ही अपना चेहरा पीला हो जाता है।
सबसे बड़ी हैरानगी की बात तो यह है कि मनुष्य प्राणियों को यम के पास जाते हुए रोज देखता है और फिर भी ऐसे कुर्कम करने से नही डरता। वह लोग यह बात क्यूं भूल जाते है कि परोपकार से व्यक्ति को आनंद, सुख व वैभव की प्राप्ति सहज ही हो जाती है।
जौली अंकल तो सभी को सदा एक ही बात समझाते है कि ईमानदारी कभी किसी कायदे कानून की मोहताज नही होती। ईमानदार व्यक्ति से सदा सभी लोग खुश रहते है और उसका भविष्य सदा ही उज्जवल रहता है।     

कोई टिप्पणी नहीं: