मिश्रा जी ने कनाड़ा में पढ़ाई कर रहे अपने बेटे की आवाज जैसे ही फोन पर सुनी तो खुशी से उनका मन झूमने लगा। बात करते हुए जब उनके बेटे ने कहा कि उसने वहां शादी के लिये एक लड़की पंसद कर ली है, तो मिश्रा जी के चेहरे से सारी खुशी एक पल में गायब हो गई। जब बेटे ने जिद्द करते हुए कहा कि पापा शादी तो मैं इसी लड़की से करूगा तो उन्होने अपने लाल को गुस्सा करते हुए कहा कि तुम ने वहां की लड़की में ऐसा क्या देख लिया, जो हमारे देश की लड़कियों में नही है? बेटे ने कहा कि इसकी आखें बहुत सुंदर है। अब मिश्रा जी ने बेटे को डांटते हुए कहा कि तू क्या दो आखों के लिये सारी की सारी लड़की घर ले आयेगा। जब मिश्रा जी को लगा कि उनकी दाल नही गल रही तो उन्होने बेटे को समझाया कि फिर वापिस आते समय एक नही दो बहुऐं लेकर आना। बेटे ने कहा कि दूसरी बहू किस के लिये? मिश्रा जी उसे समझाया कि तू क्या इतना भी नही जानता कि विदेश से कोई भी अच्छी चीज लेकर आओ, एक तो कस्टम वाले ही रख लेते है।
सरकारी विभाग कोई भी हो, चाहे कस्टम, सैल्स-टैक्स, इंकम टैक्स, नगर निगम, ट्रासपोर्ट या अन्य कोई सरकारी एजैंसी। हर तरफ आपको कुछ न कुछ गोलमाल और घपलों की महिमा देखने को जरूर मिलेगी। इतना तो हम सभी जानते है कि जन्म से तो कोई भी भ्रष्ट नही होता, अब हमारे देश का वातावरण और फिज़ा ही किसी को भ्रष्ट बनने के लिये मजबूर कर दे तो उसमें बेचारे हमारे सरकारी बाबूओं का क्या दोष? स्कूल में दाखिले से लेकर, नौकरी का फार्म जमा करवाने तक हर जगह रिश्वत कहो या सुविधाशुल्क चुकाना पड़ता है। अगर आप का नसीब बहुत अच्छा है और आपको किसी सरकारी विभाग में दमाद बनने का मौका मिल ही जाये तो पिछला सारा हिसाब ब्याज समेत जनता से वसूलने का आपका हर हक बिल्कुल जायज बनता है।
हमारे देश में हर योजना और परियोजना को अमली जामा पहनाने का जिम्मा किसी न किसी सरकारी एजैंसी के पास ही होता है। टैंडर लेने से लेकर बिल पास करवाने तक हर काम के लिये लक्ष्मी जी का साहरा लेना पड़ता है। नेता लोगो को भी इस सारे खेल में एक मोटी रकम मिलना लगभग तय ही होता है। इसी के चलते नेता लोग कोई भी फैसला समय पर नही लेते और नतीजतन एक-दो साल में पूरा होने वाले काम को बरसों इंतजार करना पड़ता है। जैसे-जैसे देरी से लागत में बढ़ोतरी होती जाती है, हर किसी को कमीशन के हिस्से में मोटी रकम दिखाई देने लगती है। कुछ अफसरों के पेट तो इतने बड़े हो चुके है कि वो सरकारी अमानत में खयानत करने से भी नही चूकते। मौका मिलते ही एक से बढ़ कर एक घपला करने की तो हमारे सरकारी दफतरों में जैसे हौड़ सी लगी है।
यदि सरकारी बाबूओं को इतना सब कुछ करने की छूट सरकार ने दे रखी है तो देश के पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं को दिन दहाड़े औरतो के पर्स और चैन छीनने का पूरा हक बनता है। अब जो लोग इस धंधे में नेताओ और पुलिस वालो के साथ भागीदारी में काम करते है उन्हें तो बर्जुगो को लूटना, नकली दवाऐ बनाने और बेचने से लेकर छोटी बच्च्ीयों के साथ दुष्कर्म करने से कौन रोक सकता है? जब-जब किसी बलात्कार या घटिया दवाओ एवं शराब से मौत का मामला सामने आता है, तो मंत्री लोग जनता को चुप करवाने के लिये झट से सरकारी खज़ाने का मुंह खोलते हुए मुहावजे का ऐलान करने को तैयार रहते है। ऐसे दोषी लोगो के लिये हमारे मंत्रीगण दोस्ती की सभी पंरम्परायें निभाते हुए सरकारी कर्मचारीयों पर इतना दबाव बना देते है कि कोई अफसर चाह कर भी उनके खिलाफ कुछ नही बोल पाता।
एक बात जो हम सभी के गले ठीक से नही उतरती वो यह है कि जहर से भरी नकली दवाऐं बनाने वालें अपनी याददाश्त बढ़ाने के लिये कभी कोई दवा क्यूं नही बनाते? ऐसे लोग अक्सर यह भूल जाते है कि यही दवाऐं बाजार से होते हुए एक दिन उनके अपने प्रियजनों की जान को भी खतरे में डाल सकती है। कभी गलती से संसद या विधान सभा में कोई ऐसा मसला उठ ही जाऐ ंतो सत्ता पक्ष और विपक्ष में हाथापाई तक की नौबत देखने को मिलती है। ऐसे सभी समाचारों को मीडियां वाले अपनी टी.आर.पी. बढ़ाने के चक्कर में हर प्रकार के मिर्च मसालों के साथ दर्शको के सामने ऐसे परोसते है कि कोई भी टी.वी देखने वाला एक पल भी उससे दूर नही जा सकता, इसी के फलस्वरूप विज्ञापनों की बरसात होने लगती है।
मजाक की बात को छोड़ कर यदि हम इन मसलों पर गंभीरता से विचार करे तो एक ही बात सामने आती है कि यदि अब भी सरकार इस भ्रष्टाचार के गोलमाल को खत्म करने के लिये जल्द कोई प्रयास नही करती तो तेजी से प्रगित की और बढ़ता हुआ हमारा देश बर्बाद हो जायेगा। जौली अंकल तो खुद इस बात को मानते है कि हमें वैसी ही सरकार मिलती है जिसके हम पात्र है। जब हममें सुधार आ जायेगा तो सरकार में भी अपने आप सुधार हो जायेगा। इस बात से तो आप भी इंकार नही कर सकते कि घपलों के इस गोलमाल को मिटाऐं बिना अब देश को तरक्की की राह पर और आगे चलाना अंसभव होता जा रहा है।
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