स्कूल में दखिला लेने के चंद दिन बाद ही गट्टू ने गुनगुन से कहा कि मुझे तुम से इश्क हो गया है। क्या तुम भी मुझ से इश्क करोगी। गुनगुन ने कहा न बाबा न मैं यह सब कुछ नही जानती। गट्टू ने गुनगुन ने कहा, अगर तू इश्क नही करेगी तो मैं फिर तेरे साथ खेलने नही आंऊगा। गुनगुन - नही मेरी मम्मी को पता लग गया तो वो मुझे बहुत मारेगी। गट्टू एक बार कर ले न प्लीज,,,,,,,,देख तू मेरी प्यारी दीदी है न।
अभी तक अपने बड़े-बर्जुगों से सुनते आए है कि इश्क का भूत सिर चढ़ कर बोलता है। तेजी से बदलते दौर ने हर छोटे बड़े को इश्क की गिरफत में कैद कर दिया है। अब तो न किसी को अपनी उंम्र का, न समाज का और न ही बिरादरी का कोई डर रह गया है। हर कोई अपने मनमाने ढंग से अपना जीवन जीने में मस्त होता जा रहा है।
जब कभी भी इस मसले से जुड़े इतिहास के पन्नों की धूल को किसी ने हटा कर देखा तो सर्वप्रथम इश्क का जिक्र ही देखने को मिलता है। इश्क का नाम आते ही दिलों दिमाग पर दो प्रेमीयों के सच्चे प्यार की छवि उबरने लगती है। हर धर्म, देश और भाषा में इश्क की एक अलग ही महिमा है। सूफी संत और गायक भगवान से सच्चे प्यार को भी इश्क का दर्जा देते आए है। इश्क की किताब देखते ही सबसे पहले लैला-मजनूं, शीरी-फरियाद, हीर-रांझा और रोमीयों-जुलयिट के नाम उबर कर सामने आते है।
इश्क में डूबे इन प्रेमीयों को आज भी दुनियॉ का हर प्रेमी वर्ग अपना खुदा मानता है। हर कोई जानता है कि इन सभी ने इश्क में अधें होकर हर तरह से कष्ट सहते हुए कभी भी अपनी जान तक की परवाह नही की। सच्चे इश्क में किसी भी प्रकार की इच्छा या लालच का कोई स्थान नही होता। इश्क के इस खेल में हर कोई एक दूसरे के लिए हर तरह की कुर्बानी देने और मर मिटने को तैयार रहता है। खास तौर से हिंदी और उुर्द भाषा में न जानें कितने ही शायरों और विद्ववानों ने इनके इश्क और प्यार में कितने ही कसीदे पढ़े और अनेक ग्रंथ लिखे हैं। हमारे देश में तो इश्क के इतने दीवाने है कि अब तक हजारों फिल्में और गाने इश्क के ऊपर बनाए जा चुके है।
जमानें की तरक्की ने हमारे समाज में भी सब कुछ बदल दिया है। यहां तक की लैला-मजनूं, शीरी-फरियाद और हीर-रांझाा के पवित्र प्यार में डूबे इश्क को भी कमीना बना दिया है। अगर आप को मेरी बात पर यकीन नही हो रहा, तो वो हिन्दी फिल्म का वो गाना खुद सुन कर देख लो, जिसमें हमारे हीरो ने आज के बदलते हालात में इश्क को किस तरह ब्यां किया है - इश्क कमीना, इश्क कमीना।
इस गाने के मुताबिक बेदर्द इश्क निगोड़ा होने के साथ-साथ सब का दिल तोड़ता है। इश्क सारी रात तरसाते और तड़पाते हुए किसी को कहीं भी चैन से नही बैठने नही देता। इश्क के हाथों मजबूर होकर कोई भी आदमी न तो अपने दिल की और न ही किसी और की आवाज सुन पाता है। कई लोगो के घर लुटा और जला कर, सब कुछ बर्बाद कर देता है। यह इश्क कमीना एक अच्छे भले इंसान से सब कुछ छीन कर उसका जीना मुश्किल कर देता है। ऐसे हालात में इस इश्क को और कुछ न कह कर हम सिर्फ इश्क कमीना ही कह सकते है।
अकसर देखने में आता है कि जब कभी भी दो दिल मिलने की राह पर निकलते है, उस समय समाज उनका दुश्मन बन जाता है। इतिहास में ऐसे हजारों उदारण देखने को मिलते है जिसमें दो प्रेमीजनों की आत्माओं के मिलन को रोकने के लिये दुनियॉ ने नफरत की हर बड़ी से बड़ी दीवार खडी की है। इश्क से जलने वाले ऐसे लोगो के लिए जौली अंकल यही संदेश देना चाहते है कि भगवान जब किसी दूसरे को कोई खुशी देता है तो कुछ लोग जलन महसूस करते है, लेकिन वो उस समय यह क्यों भूल जाते है कि वो भी किसी के लिए दूसरे ही होते है।
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