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गुरुवार, 17 दिसंबर 2009

खुशहाल जीवन की संजीवनी - हंसी

इंसान पैसे की ताकत के बल पर सभी सुविधाओं से लेस बढ़ियां मकान या इमारत तो बना सकता है, लेकिन उसे तब तक एक अच्छा हसीन घर नही कहा जा सकता जब तक उसमें सारे परिवार की खुशीयां शमिल नही हो जाती। गृहस्थ जीवन में सुख दुख तो हमारे साथ-साथ चलते रहते है, लेकिन छोटी-छोटी परेशानीयों से घबरा कर हर समय रोने से कभी किसी को समस्यां का हल तो नही मिलता। ज्ञानी लोग शास्त्रो के माध्यम से समझाते है कि मनुष्य जन्म सभी योनियों में सबसे उतम जन्म है। क्योंकि हंसने की ताकत सिर्फ इंसान के पास है। भगवान ने मक्खी के डंक में, सांप के दांतो में और इसी तरह बाकी सभी जानवरों के शरीर के किसी न किसी अंग में जहर भरा हुआ है। परन्तु मनुष्य एक ऐसा जानवर है जिसकी रग-रग में जहर भरा हुआ है। यह जहर है काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार का। इन सभी को तभी खत्म किया जा सकता है जब आप अपने मन से द्वेष की भावना निकाल कर सदा खुश रहना सीख लेते है। जो कोई भी खुल कर हंसता है वो सदा शरीर और मन से स्वस्थ रहता है।
कई बार रोजमर्रा के जीवन से तंग आकर हमारा मन दुखी हो जाता है। ऐसे में कभी रोना आ भी रहा हो तो अकेले कमरें में रो लो, बाथरूम में रो लो। लेकिन कभी किसी के सामने मत रोआो। मुरझाये और रोते हुए चेहरे से हम अपने साथ और भी जुड़े हुए कई लोगो के मन को विचलित कर देते है। कुछ लोग बीमारी और बढ़ती उंम्र से घबरा कर कहते है कि अब तो भगवान जल्द से जल्द मौत देकर इस जीवन का अंत कर दे। जबकि हंसी जैसी संजीवनी से हर प्रकार का तनाव खत्म हो जाता है और अनेको बीमारीयां खुद-ब-खुद हमसे दूर भाग जाती है।
जीवन से निराश और काम के दबाव में घुट-घुट कर जीने वाले व्यक्ति भी यदि दिन में कुछ पल भी हंस लेते है तो पूरे परिवार में आनन्द, प्रसन्नता और उल्लास का महौल बन जाता है। ऐसे लोग हर महौल में अपने आप को ढाल लेते है और सदा ही जवान बने रहते है। परमात्मा ने जो अनगिनत सुख हमें दिये है उन्हें खुशी-खुशी जी भर कर जीते है। यदि आप एक बार हर परिस्थिति में खुश रहने का स्वभाव बना लेते है तो आपका जीवन न सिर्फ सुखमय और खुशहाल बनेगा बल्कि दूसरों के लिये भी एक आदर्श प्रेरणा स्त्रोत बन जाता है। ऐसा इसलिये भी कहा जा सकता है क्योंकि जब हम हंसते है तो वातावरण की शुद्व हवा हमारे फेफड़ो में दाखिल हो जाती है और शरीर को नुकसान पहुचानें वाली गैसे बाहर निकल जाती है।
आजकल न जाने लोग क्यूं दूसरों के रोने में अपनी खुशी ढूंढते है, दुसरों के नुकसान में अपना फायदा खोजते है। साधू-संत पराये लोगो का हक छीन कर खुश होने वालो की तुलना पागल कुत्ते से करते है, क्योंकि पागल कुत्ता ही अपने-पराये का फर्क भूल कर सभी को काटता है। सब कुछ जानते हुए भी हम यह क्यूं भूल जाते है कि हंसी अच्छे स्वास्थ्य की जननी है। इस बात में कोई दो रायें नही हो सकती कि आपकी एक छोटी सी मुस्कान न सिर्फ आपको बल्कि दूसरो का भी दुख दर्द बहुत हद तक कम कर सकती है। कभी भी किसी कमजोर का मजाक करने की बजाए सदा खुद पर हंसो, इससे किसी को भी आप के ऊपर हंसने को मौका नही मिलेगा।
जहां तक हो सके हमें टी.वी. और फिल्में भी सदा ऐसी ही देखनी चहिये जिसमें पूरे परिवार के लिये हास्य से भरपूर मनोरंजन हो इससे शरीर को हर दिन एक नई ताजगी और स्फूर्ति मिलती है। इसीलिये तो ज्ञानी लोग हमें सदा हंसने की सीख देते रहते है क्योंकि हंसने से शरीर स्वस्थ रहता है। हंसी हमारी बहुत सारी बीमारियों का निदान भी करती है। आप जितना हंसोगे शरीर की पाचन शक्ति उतनी ही बढ़ती है नतीजतन इससे हमारी उंम्र लंम्बी और जीवन बेहतर बनता है। सदा खुश रहने वाले कभी भी बूढ़े नही होते क्योकि हंसने से हमारा मन भी प्रभवित होता है और मन में सकारात्मक ख्याल आते है। जिंदगी से मायूस और चिढ़चिढे रहने वाले अक्सर बीमार रहते है। ऐसे लोगो की बीमारी शरीरिक रूप से कम और मन में अधिक होती है। नतीजतन इनका इलाज डॉक्टर लोग भी नही कर पाते।
एक तरफ जहां हंसने मात्र से सोचने की शक्ति बढ़ती है, वही दिलों की दुरियॉ कम होती है। हंसने का एक और बहुत बड़ा फायदा यह भी है कि इससे जीवन में परेशानी और तनाव कम होता है, जिससे परिवार और दोस्तो के बीच प्रेम बढ़ता है। इतना सब कुछ होने के साथ हमारे आस-पास की दुनियॉ अपने आप संवर जाती है। क्या आपने कभी सोचा है कि इतने सारे फायदे होने के बावजूद भी हमें हंसने की कोई कीमत भी अदा नही करनी पड़ती। हंसी तो वो जादू की पुड़ियां है जिसकी सुंगध बहुत दूर-दूर तक के वातावरण को महका देती है। तो फिर आज से अपने जीवन में यह नियम बना लो कि सदा हंसना और दूसरो को हंसाना ही है।
यदि हमें जीवन के हर पल का सच्चा सुख और आनंन्द लेना है तो हमें खुद हंसने के साथ दूसरो को भी हंसाना होगा, क्योंकि हंसी ही केवल खुशहाल जीवन की संजीवनी है और मुस्कुराना संतुष्टि की निशानी है इसलिए सदा मुस्कराते रहो। हमारी तो भगवान से सदैव एक ही प्रार्थना है कि कभी भी किसी के जीवन से उसकी खुशी न रूठे। जौली अंकल के तर्जुबे की बात करे तो उनका मानना है कि:
जो हंसता है, वो खुदा की इबादत करता है,
जो दूसरों को हंसाता है, खुदा उसकी इबादत करता है।

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