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बुधवार, 16 दिसंबर 2009

दिल्ली हैं दिल वालों की

एक जमाने से सुनते आ रहे है कि दिल्ली है दिल वालों की है। क्या कभी किसी ने यह जानने का प्रयत्न किया है कि दिल्ली वालों के दिल में क्या-क्या छिपा हुआ है?
  • सरकारी-गैरसरकारी हर किसी दफतर की कमीयां निकालना हमारा जन्मसिद्व अधिकार है।
  • हर छोटी से छोटी बहस में भी सबसे पहले हर किसी से यही सुनने को मिलता है कि 'तू मुझे जानता नही'
  • स्कूटर हो या कार उसके पीछे घर के सभी बच्चो के नाम लिखवाना शायद यहां की एक जरूरी पंरमपरा है।
  • सड़क के दाई और यदि कुछ पल के लिए भी ट्रैफिक रूकता है, तो तुंरत सड़क के बाई और चलना शुरू कर देते है। अब चाहे सामने से आने वालों को घंटो ही क्यों न रूकना पड़े।
  • कोई भी ड्राईवर बस स्टैंड पर बस खड़ी करना अपनी बेईज्ती समझता है। बस के पीछे भागते और गिरते हुए लोगो को देख उसके मन को न जाने कितना सुकून मिलता है?
  • सड़क पर चलते हुए यदि किसी ने दायें या बायें मुड़ने का सिग्नल दिया है, तो यह हमारे लिये जरूरी नही कि हम उसी और ही मुड़ेगे।
  • ट्रैफिक सिग्नल किसी भी कारण से काम नही कर रहा हो तो चारों और से हर कोई सबसे पहले निकलने की फिराक में चौराहे पर घंटो फंसे रहना बेहतर समझता है।
  • किसी भी चौराहे पर गाड़ी-स्कूटर के हल्के से टकराने पर एक दूसरे की मां-बहन को पूरी इज्जत के साथ याद किया जाता है।
  • कुछ देर के लिये यदि ट्रैफिक सिग्नल पर रूकना ही पडे, तो टाईम पास करने के लिए दो-चार बार थूकना हमें बहुत भाता है।
  • किसी भी प्रकार की लाईन में खड़ा होना हमें सबसे मुश्किल काम लगता है। हर दफतर में लाईन तोड़ कर आगे बढ़ने में हम सभी बहुत गर्व महसूस करते है।
  • यदि दिल्ली वाले सिनेमा हाल में फिल्म का आंनद उठा रहे हो, तो उनके मोबईल फोन की घंटी बज उठे तो अपनी बात पूरी किये बिना फोन बंद नही करेगे। अब चाहे आप-पास वाले कितना ही परेशान क्यूं न होते रहे?
  • मंदिर, गुरूद्ववारा हो या शमशान घाट किसी भी स्थान पर मोबईल फोन बंद करना हमारी शान के खिलाफ माना जाता है।
  • रोजमर्रा की जिंदगी में हम कितने ही व्यस्त क्यूं न हो लेकिन सड़क पर अनजान लोगो का झगड़ा निपटाने के लिये हमारे पास घंटो का फालतू समय होता है।
  • यदि किसी के घर में शादी या अन्य कोई उत्सव है, तो उसे पूरी गली, मुहल्ले वालों की नींद हराम करने का बिना किसी परमिट के भी पूरा हक बनता है।
  • हर जलूस जलसे के लिए बिना किसी की इजाजत के सड़क के बीच टैंट लगाना और आम आदमी का रास्ता रोक कर सारी रात जोरदार संगीत चलाने से दिल्ली वालों को कभी कोई नही रोक सकता।
  • बस-स्टैंड, ट्रैफिक सिग्नल या बाजार में किसी सुंदर लड़की को देख कर सीटी बजाना या टीका टिप्पणी करना हमारा पुष्तैनी स्वभाव है।
  • शैखी बघारने में माहिर दिल्ली वालो ने चाहें किसी मंत्री की फोटो टी.वी या अखबार में भी न देखी हो, लेकिन उन का सदा ही यह दावा होता है कि यह मंत्री तो अपनी जेब में रहता है।

यह सब कुछ बोलना और शिकायते करना तो बहुत आसान है, सबसे कठिन होता है कुछ करके दिखाना। लेकिन प्रतिदिन आप एक अच्छा काम करने का संकल्प कर ले, तो एक दिन आपका स्वभाव हर काम को अच्छी तरह से करने का बन जायेगा। यदि आप जौली अंकल की बात मान कर कर अपने जीवन में छोटे-छोटे बदलाव लाने का प्रयत्न करे, तो आपको कोई भी कार्य मुश्किल नही लगेगा। फिर हम सभी सीना तान कर कह सकेगे कि दिल्ली है दिल वालों की।    

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